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रेखा गुप्ता की ताजपोशी के समय प्रवेश वर्मा के मन में क्या चलता रहा? अब आगे क्या    

Pravesh Verma Role In BJP: आमतौर पर बेहद चुस्त और तेजतर्रार दिखने वाले प्रवेश वर्मा बीजेपी विधायक दल की बैठक और फिर एलजी के पास सरकार बनाने का दावा करते समय थके-थके से नजर आए. चेहरे पर मुस्कान तो थी, लेकिन आभा गायब थी. हर जगह साथ खड़े रहे, लेकिन अंदर से परेशान नजर आए. पूरी पार्टी खुशी से झूम रही थी, मगर प्रवेश वर्मा अपना कर्तव्य पूरा कर रहे थे. ये बीजेपी में ही हो सकता है. जहां पार्टी का हर फैसला हर नेता एक कार्यकर्ता की तरह पूरी शिद्दत के साथ निभाता है. चाहे उसके मन का हो या ना हो. प्रवेश वर्मा ने साबित किया कि उनके लिए सब कुछ पार्टी का अनुशासन है और ये आज नहीं तो कल प्रवेश वर्मा को बड़ा गिफ्ट दिलाएगी.

2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान प्रवेश वर्मा को टिकट नहीं मिला तो हर कोई एक बार चौंका, लेकिन जानकार समझ गए कि बीजेपी ने उन्हें और रमेश बिधूड़ी को विधानसभा चुनाव के लिए बचा रखा है. दिल्ली विधानसभा चुनाव का ऐलान हुआ तो प्रवेश वर्मा को अरविंद केजरीवाल के खिलाफ और रमेश बिधूड़ी को आतिशी के खिलाफ बीजेपी ने उतार दिया. बीजेपी ने दिल्ली विधानसभा के पिछले कई चुनावों में इतना बड़ा रिस्क नहीं लिया था. जाहिर है बीजेपी के इस फैसले से कार्यकर्ताओं में जोश आया. कार्यकर्ताओं को सीधा मैसेज था, अभी नहीं तो कभी नहीं.

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प्रवेश वर्मा जी-जान से नई दिल्ली सीट पर जुट गए. धीरे-धीरे केजरीवाल नई दिल्ली सीट पर घिरने लगे. वो चुनाव आयोग तक प्रवेश वर्मा की शिकायतें लेकर जाने लगे. प्रेस के सामने आरोप लगाने लगे. ऐसा लगने लगा कि केजरीवाल के हाथ से सीट फिसलती जा रही है. रही-सही कसर प्रवेश वर्मा ने यमुना नदी में बोट से जाकर पूरी कर दी. केजरीवाल के कटआउट का स्नान यमुना नदी में करवा दिया. यमुना का मुद्दा फिर से गर्म होने लगा. फिर भी आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल के पिछले स्ट्राइक रेट को देखते हुए हार-जीत को लेकर संशय बना रहा. हां, एक बात हर कोई मान रहा था कि केजरीवाल की खुद की सीट से लेकर पूरी दिल्ली में मामला 50-50 चल रहा है. इसी बीच प्रवेश वर्मा ने बताया कि खुद अमित शाह ने उन्हें लोकसभा चुनाव के दौरान बता दिया था कि उन्हें नई दिल्ली सीट से लड़ना है. साफ था कि प्रवेश वर्मा को बीजेपी के बड़े नेताओं का फुल सपोर्ट था.

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रिजल्ट आया तो आप तो आप, केजरीवाल खुद की सीट भी हार चुके थे. प्रवेश वर्मा नायक की तरह उभरे. जीत के तुरंत बाद गृहमंत्री अमित शाह ने उन्हें मिलने के लिए बुलाया. इधर, रमेश बिधूड़ी आतिशी से चुनाव हार गए. सभी को लगने लगा कि अब प्रवेश वर्मा का मुख्यमंत्री बनना तय है. कम से कम उनकी दावेदारी पर तो कोई सवाल नहीं ही उठा रहा था. हर कोई उन्हें गंभीरता से लेने लगा. कयासों का सिलसिला चलने लगा तो हर विधायक के नाम की अटकलें लगने लगीं. मगर हर अटकलबाजी में प्रवेश वर्मा का नाम टॉप पर रहता था. आखिर प्रवेश वर्मा ने वो किया था, जिसकी कल्पना करना मुश्किल था. ऐसे में बुधवार को जब रेखा गुप्ता के नाम का ऐलान खुद प्रवेश वर्मा से कराया गया तो वो अंदर से हिले हुए नजर आए. उन्हें पर्यवेक्षकों ने पहले ही अलग से कमरे में बुलाकर सारी जानकारी दे दी थी. संभवत: उन्हें सीएम न बनाने के कारण भी बता गए होंगे, मगर फिर भी निराशा को छुपा लेना इतना आसान नहीं होता. उनके मन में निराशा ने डेरा डाल लिया. हालांकि, वो इसे छुपाने की पूरी कोशिश करते दिखे. 

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पार्टी के आदेश का पालन तो किया, लेकिन कहीं भी वो तेज नजर नहीं आया, जो चुनाव के दौरान नजर आता था. उनकी बॉडी लैग्वेंज झटके वाली थी. उनसे जब मीडिया ने बात करने की कोशिश की, तो वो बिना बात किए बाहर निकल गए. हो सकता है उन्हें डिप्टी सीएम बनाया जाए, लेकिन इस बारे में कोई औपचारिक फैसला नहीं लिया गया है. The Hindkeshariने बात की तो प्रवेश वर्मा ने कहा कि बहुत खुशी की बात है कि दिल्ली को महिला मुख्यमंत्री मिली. इसके बाद जब उनसे डिप्टी सीएम का सवाल किया गया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. इसके बाद वो मीडिया से बिना बात किए चले गए. हैरान सिर्फ प्रवेश वर्मा ही नहीं हुए, बल्कि उनके प्रशंसक भी हुए. बीजेपी के कार्यकर्ताओं का एक वर्ग भी हुआ, मगर सभी ने पार्टी के निर्णय को दिल से स्वीकार किया. माना जा रहा कि बीजेपी ने प्रवेश वर्मा की जगह रेखा गुप्ता का चयन देश की महिलाओं को एक संदेश देने के लिए और लंबी रणनीति के तहत लिया है. अब आज शपथ ग्रहण समारोह में फिर सभी की नजरें प्रवेश वर्मा पर ही रहेंगी. आखिर उन्हें क्या जिम्मेदारी मिलती है. हालांकि, प्रवेश वर्मा ने जिस तरह से एक अनुशासित सिपाही की तरह काम किया है, ये तो तय है कि उन्हें आज नहीं तो कल पार्टी कोई बड़ा मौका देगी. 
 



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