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बिहार से बाबा सिद्दीक़ी का है खास नाता, जानिए कितनी है संपत्ति और परिवार में कौन-कौन?  

बिहार (Bihar) में जन्मे बाबा सिद्दीकी (Baba Siddiqui) ने मुंबई में लंबी सियासी पारी खेली. राजनीति से लेकर अपने बॉलीवडु कनेक्शन के चलते खूब सुर्खियों में आए. बॉलीवडु के दो खानों के बीच में सुलह कराने का श्रेय भी उन्हें दिया गया, लेकिन बाबा सिद्दीक़ी आख़िर थे कौन? क्यों बिहार में भी वो राजनीतिक विकल्प तलाश रहे थे? संपत्ति कितनी थी? क्यों बॉलीवुड कनेक्शन उनके जान पर भारी पड़ी. 

परिवार में कौन? 

बिहार के गोपालगंज में स्थित मांझा शेख टोली में सन्नाटा पसरा है. बाबा सिद्दीक़ी की मौत की खबर उनके पैतृक गांव में मातम का माहौल बना गई. बिहार के रहने वाले कारोबारी अब्दुल रहीम और राजिया सिद्दीकी के घर जन्मे जियाउद्दीन सिद्दीकी “बाबा” की पत्नी का नाम शहजीम सिद्दीकी है. बेटी अर्शिया सिद्दीकी डॉक्टर हैं, जबकि बेटे जीशान सिद्दीकी कांग्रेस विधायक. 

कैसे बढ़े आगे?

मुंबई बाबा सिद्दीक़ी की कर्मभूमि रही. मायानगरी पहुंचकर उन्होंने छात्र राजनीति से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी, 1977 में किशोरावस्था में ही कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए, उड़ान तेज़ पकड़ते हुए 1980 में वो बांद्रा तालुका युवा कांग्रेस के महासचिव बन गए और दो साल के भीतर ही इसके अध्यक्ष चुने गए. जिस दौर में वो राजनीतिक तौर पर उभर रहे थे, उनके गहरे संबंध कांग्रेस नेता और गुज़रे ज़माने के मशहूर एक्टर सुनील दत्त के साथ बने. सिद्दीकी के दत्त के साथ घनिष्ठ संबंध उन्हें बांद्रा से टिकट दिलाने में काफी मददगार साबित हुए. यहां पर वह जीते और लगातार तीन बार 1999, 2004 और 2009 में ये विधायक सीट बरकरार रखी. 

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2004 से 2008 तक बाबा सिद्दीकी ने कांग्रेस-एनसीपी सरकार में महाराष्ट्र के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, श्रम, एफडीए और उपभोक्ता संरक्षण राज्य मंत्री के तौर पर काम किया.

कांग्रेस पार्टी के मुस्लिम चेहरे के तौर बाबा उभरते गये, पर मोदी लहर में 2014 के चुनावों में बीजेपी के आशीष शेलार से हार का सामना करना पड़ा. इस समय वो अपने राजनीतिक करियर को दोबारा से जिंदा करने की कोशिश करते रहे.  हालांकि उन्होंने खुद चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन 2019 के विधानसभा चुनावों में बांद्रा ईस्ट से अपने बेटे जीशान सिद्दीकी के लिए सीट सुरक्षित करने में कामयाब रहे, जिन्होंने शिवसेना के गढ़ माने जाने वाले इलाके में 5,000 वोटों के मामूली अंतर से जीत हासिल की. 

बिहार जाने का सोच रहे थे

शिवसेना के साथ गठबंधन करने और महाविकास अघाड़ी सरकार बनाने के फैसले की वजह से सिद्दीकी की कांग्रेस से अनबन की खबर भी थी. अपने लिए राजनीतिक रास्ता तलाशने और बेटे के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए सिद्दीकी ने एक समय पर बिहार में अपना राजनीतिक आधार बदलने पर गंभीरता से विचार किया था, क्योंकि यहीं पर उनके परिवार की जड़ें थीं. कहा जाता है कि उन्होंने आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव से राज्यसभा सीट भी मांगी थी, लेकिन वो इच्छा पूरी नहीं हो पाई. शिवसेना और एनसीपी में बंटवारा और राज्य में नए राजनीतिक बदलाव के बाद सिद्दीकी को दोबारा से करियर जिंदा करने का मौका दिखाई दिया.

इतनी है संपत्ति

इस साल के फरवरी महीने में सिद्दीकी ने कांग्रेस के साथ अपना 48 साल का नाता तोड़ते हुए अजित पवार की एनसीपी का दामन थामा. चुनाव आयोग को सौंपे गए अपने हलफनामे में बाबा सिद्दीकी ने 76 करोड़ की कुल संपत्ति बताई थी, इसमें 23 करोड़ का कर्ज भी बाबा सिद्दीकी के नाम था. उनके पास मर्सिडीज बेंज जैसी गाड़ियों का शानदार कलेक्शन था. वहीं सोने और हीरे की बहुमूल्य संपत्ति का भी उन्होंने जिक्र किया था. बाबा सिद्दीकी के पास रियल एस्टेट के कारोबार में कमर्शियल यूनिट्स, एग्रीकल्चरल प्लॉट और आवासीय प्रॉपर्टीज शामिल थीं.

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इफ्तार थी फेमस

2018 में वो ईडी की रडार पर आये. 462 करोड़ के 33 फ्लैट्स जब्त किए गये. ये सारे फ्लैट बाबा सिद्दीकी के नाम से थे. बांद्रा इलाके में झुग्गियों के पुर्नवास से जुड़े मामलों में मनी लॉन्ड्रिंग की शिकायत के बाद ये कार्रवाई की गई थी. राजनीति के साथ-साथ, सिद्दीकी की बड़ी पहचान का कारण उनकी शानदार इफ्तार पार्टियां रहीं. हर साल रमज़ान के मौक़े पर वो बड़ी फ़िल्मी हस्तियों के साथ देखे जाते रहे. सलमान ख़ान, शाहरुख़ ख़ान, संजय दत्त जैसे तमाम बॉलीवुड दिग्गज उनकी एक आवाज़ पर इन इफ़्तार पार्टियों का हिस्सा बनते रहे. बाबा की बॉलीवुड से करीबी का सबूत यही तस्वीरें रहीं.  

सलमान की खूब मदद की

 2013 में सुपरस्टार शाहरुख खान और सलमान खान को इनके बीच की पांच साल की खटास को ख़त्म कर इन्हें साथ लाने वाले भी बाबा सिद्दीक़ी ही रहे! इस पार्टी के बाद माना जाता है कि दोनों के बीच में चली आ रही दूरियां मिट गईं. सलमान खान के परिवार के साथ बाबा सिद्दीकी के करीबी रिश्ते थे. हिट एंड रन केस में वे खुद सलमान की मदद के लिए कोर्ट पहुंचे थे. राजनीतिक रुतबा उन्हें बॉलीवुड में बढ़ाता गया तो बॉलीवुड में पकड़ उनकी राजनीति को स्पॉटलाइट में रखती रही. शायद यही स्पॉटलाइट आज उनपर भारी पड़ी.  

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