Jannah Theme License is not validated, Go to the theme options page to validate the license, You need a single license for each domain name.
दुनिया

चीन के करीब आ रहा बांग्लादेश? मुहम्मद यूनुस इस महीने जाएंगे बीजिंग- इन मुद्दों पर होगी बात

मुहम्मद यूनुस ने पिछले साल बांग्लादेश की कमान संभाली है.

बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद वहां की केयरटेकर सरकार भारत से दूर और चीन के करीब दिख रही है. केयरटेकर सरकार के नेता मुहम्मद यूनुस इस महीने बीजिंग जाएंगे. भारत के साथ खराब हो रहे रिश्तों ने उनकी सरकार को नए दोस्त बनाने के लिए प्रेरित किया है.

नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस ने पिछले साल अगस्त में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से बेदखल करने के बाद बांग्लादेश की कमान संभाली थी. छात्रों के नेतृत्व में हुए इस विद्रोह के बाद शेख हसीना भारत भाग गई थीं.

चूंकी भारत के हसीना सरकार के साथ अच्छे रिश्ते थे. उनके पीएम पद से हटने के बाद दोनों देशों के सीमा पार संबंधों में खटास आ गई है. इस सच्चाई ने यूनुस के नेतृत्व वाली केयरटेकर सरकार को एशियाई उपमहाद्वीप में प्रभाव के लिए नई दिल्ली के मुख्य प्रतिद्वंद्वी बीजिंग के साथ अधिक संबंध बनाने के लिए प्रेरित किया है.

“चीन से रिश्तों को नई उंचाई पर ले जाना है”

न्यूज एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार यूनुस के मीडिया सचिव शफीकुल आलम ने अगले सप्ताह की यात्रा पर एक ब्रीफिंग में कहा, “बांग्लादेश का लक्ष्य इस द्विपक्षीय रिश्ते को नई ऊंचाइयों पर ले जाना है.. वे (यूनुस) दोनों देशों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करेंगे.

शेड्यूल के अनुसार यूनुस 26-29 मार्च की यात्रा के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने वाले हैं. साथ ही वह पेकिंग यूनिवर्सिटी से मानद डॉक्टरेट की उपाधि भी प्राप्त करेंगे और निवेश के अवसरों का पता लगाने के लिए कई चीनी कंपनियों से मिलेंगे.

आलम ने कहा, “बांग्लादेश एक मैन्युफैक्चरिंग केंद्र बनने की इच्छा रखता है और इस प्रयास में चीन के साथ पार्टनरशिप करने का इच्छुक है.”

यह भी पढ़ें :-  अमेरिका की तरह ब्रिटेन कर रहा अवैध प्रवासियों पर सख्त कार्रवाई, भारतीय रेस्टोरेंट को बनाया निशाना

दोनों के बीच बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों की विशाल आबादी पर भी चर्चा होने की उम्मीद है, जिनमें से अधिकांश 2017 में पड़ोसी म्यांमार में हिंसक सैन्य कार्रवाई के बाद बांग्लादेश भाग गए थे. बता दें कि चीन ने अतीत में इन उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों की वापसी के लिए बांग्लादेश और म्यांमार के बीच मध्यस्थ के रूप में काम किया है. हालांकि म्यांमार उन्हें वापस नहीं लेना चाहता और इस वजह से बात आगे नहीं बढ़ी.


Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button