झारखंड की नई सरकार पर राज्यपाल की 'चुप्पी' के पीछे कौन? क्या BJP पलट सकती है बाजी
खास बातें
- झारखंड की राजनीति में उठापटक का दौर जारी है
- हेमंत सोरेन को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है
- जेएमएम-कांग्रेस विधायक सुरक्षित ठिकानों पर भेजे जा रहे हैं
नई दिल्ली:
झारखंड में राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहे हैं. हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद राज्यपाल ने चंपाई सोरेन (Champai Soren) को सरकार बनाने का अभी न्योता नहीं दिया है. चंपाई सोरेन राज्यपाल से मिलने गुरुवार को पहुंचे थे. लेकिन आधिकारिक तौर पर उन्हें अभी कुछ भी जवाब नहीं मिला है. इस बीच जेएमएम को इस बात का डर है कि बीजेपी की तरफ से विधायकों की खरीद-फरोख्त हो सकती है. विधायकों को झारखंड से बाहर ले जाने की तैयारी भी हो रही है. बहुमत के लिए विधानसभा में 41 विधायकों की जरूरत है और जेएमएम की तरफ से 47 विधायकों के समर्थन का दावा किया जा रहा है. आइए जानते हैं कि किस तरह से बीजेपी, जेएमएम को सरकार बनाने से रोक सकती है.
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झारखंड विधानसभा का क्या है समीकरण
झारखंड विधानसभा में 81 विधायक हैं. हाल ही में कांग्रेस के एक विधायक सरफराज अहमद ने इस्तीफा दे दिया था. जिसके बाद अभी सदन में 80 विधायक हैं. चंपाई सोरेन की तरफ से 47 विधायकों के समर्थन का दावा किया गया है. जिनमें झारखंड मुक्ति मोर्चा के 29, कांग्रेस के 17 और. राजद के एक विधायक हैं. वहीं सीपीआईएमएल के भी एक विधायक हैं. जिसका साथ जेएमएम को मिल सकता है.
बीजेपी के पास क्या है विकल्प?
राजनीति के जानकारों का मानना है कि बीजेपी सरकार बनाने से अधिक फोकस जेएमएम सरकार को गिराने पर ध्यान दे रही है. बीजेपी की कोशिश जेएमएम और कांग्रेस के असंतुष्ट विधायकों से फ्लोर टेस्ट में क्रॉस वोटिंग करवाने पर होगी. जिससे चंपई सोरेन जादुई आंकड़ों तक नहीं पहुंच पाएंगे. अगर जेएमएम और कांग्रेस को मिलाकर 10 विधायक भी क्रॉस वोटिंग करते हैं तो जेएमएम की सरकार फ्लोर टेस्ट में हार जाएगी. अगर एक बार फ्लोर टेस्ट में सरकार गिर जाती है तो उसके बाद बीजेपी राज्य में या तो असंतुष्ट विधायकों के साथ मिलकर सरकार बनाने पर ध्यान देगी या राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने पर विचार कर सकती है.
फ्लोर टेस्ट में क्रॉस वोटिंग का क्यों है खतरा?
झारखंड की राजनीति को जानने वाला का मानना रहा है कि झारखंड में पार्टी आधार के साथ ही अधिकतर विधायकों के पास अपने आधार वोट होते हैं. ऐसे में कई ऐसे विधायक होते हैं जो किसी भी पार्टी में जाकर चुनाव जीतने की क्षमता रखते हैं. यही कारण है कि हर चुनाव में कुछ निर्दलीय विधायक सदन में पहुंचते हैं.
जेएमएम में संथाल बनाम कोल्हान
झारखंड मुक्ति मोर्चा में लंबे समय से संथाल बनाम कोल्हान का विवाद होता रहा है. कई बार जेएमएम में कोल्हान के नेताओं ने विद्रोह भी किया है. शिबू सोरेन और उनका परिवार संथाल परगना का प्रतिनिधित्व करते हैं. वहीं विधायक दल के नए नेता चंपई सोरेन कोल्हान से आते हैं. ऐसे में संभव है कि संथाल से आने वाले जेएमएम विधायक इस फैसले से बहुत खुश न हों.
सोरेन परिवार में विवाद
सोरेन परिवार में सत्ता को लेकर लंबे समय से विवाद रहा है. हेमंत सोरेन के राजनीति में आने से पहले दुर्गा सोरेन ही शिबू सोरेन के राजनीतिक उत्तराधिकारी माने जाते थे. हालांकि उनकी मौत के बाद उनकी पत्नी दुमका के जामा विधानसभा सीट से लगातार विधायक बन रही हैं. लेकिन उन्हें हेमंत सरकार में मंत्री नहीं बनाया गया था. इसी तरह शिबू सोरेन के सबसे छोटे बेटे बंसत सोरेन को भी हेमंत सरकार में मंत्री नहीं बनाया गया था. भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे की तरफ से जेएमएम में टूट की लंबे समय से अटकलें लगाई जा रही है.
साल 2022 में कोलकाता में पैसे के साथ पकड़े गए थे कांग्रेस के विधायक
साल 2022 में कांग्रेस के 3 विधायकों को कोलकाता में पकड़ा गया था. ये विधायक थे इरफान अंसारी, विक्सल कोंगाड़ी और राजेश कच्छप इन तीनों के अलावा और कुछ विधायकों के बीजेपी के संपर्क में होने की बात कही गयी थी. हालाकि बाद में इन नेताओं ने इसका विरोध किया था. यह मामला खत्म हो गया.
कांग्रेस के कई विधायक लड़ना चाहते हैं लोकसभा चुनाव
झारखंड में लोकसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन लंबे समय से बेहद अच्छा रहा है. ऐसे में कांग्रेस के कई ऐसे विधायक जो पूर्व में बीजेपी में रह चुके हैं या लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं वो ‘खेला’ कर सकते हैं. कई बार मीडिया में ऐसी खबरें भी आयी थी कि कांग्रेस की कुछ महिला विधायक पार्टी से नाराज हैं.
क्या सोरेन परिवार किसी अन्य को सीएम के तौर पर स्वीकार करेगा?
राजनीति के जानकारों का मानना रहा है कि सोरेन परिवार जेएमएम या सरकार के प्रमुख पद पर कभी भी किसी बाहरी व्यक्ति को स्वीकार नहीं कर सकता है. हालांकि चंपई सोरेन, सोरेन परिवार के बेहद करीबी माने जाते हैं लेकिन कई ऐसे उदाहरण रहे हैं जब सोरेन परिवार की तरफ से नबंर 2 की हैसियत रखने वाले नेता को टिकट या पद अंतिम समय में नहीं दिया गया है.
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