दिल्ली जल बोर्ड घोटाले में बड़ा खुलासा, ED ने कहा- पैसा 'आप' नेताओं को दिया गया
ईडी का यह तलाशी अभियान दिल्ली, वाराणसी और चंडीगढ़ में चलाया गया था. ईडी के मुताबिक इस घोटाले में रिश्वत के पैसे आम आदमी पार्टी से जुड़े लोगों को पहुंचाया गया. ईडी के मुताबिक इस घोटाले में दिल्ली जल बोर्ड के तत्कालीन चीफ इंजीनियर जगदीश अरोड़ा ने यह बात जानते हुए भी कि कंपनी टेक्निकल एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया को पूरा नहीं करती है, 38 करोड़ रुपये के ठेके एमएस एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर को दिए थे. जगदीश अरोड़ा ने ही रिश्वत का पैसा आगे आम आदमी पार्टी से जुड़े लोगों तक पहुंचाया.
इसी मामले में 31 जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय ने सेवानिवृत्त मुख्य इंजीनियर जगदीश कुमार अरोड़ा और ठेकेदार अनिल कुमार अग्रवाल को गिरफ्तार किया था. प्रवर्तन निदेशालय ने मेसर्स भारत पेपर्स लिमिटेड के निदेशक अनिल कुमार अग्रवाल को बैंक लोन धोखाधड़ी के मामले में पीएमएलए के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया था. उन्हें बुधवार को पीएमएलए कोर्ट, जम्मू के समक्ष पेश किया गया. कोर्ट ने उनकी 13 फरवरी तक की ईडी को हिरासत दे दी है.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) में कथित अनियमितताओं से जुड़ी धन शोधन जांच के तहत दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी सहायक बिभव कुमार और अन्य लोगों के परिसरों की मंगलवार को तलाशी ली थी.
केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों ने बिभव कुमार, दिल्ली जल बोर्ड के पूर्व सदस्य शलभ कुमार, पार्टी के राज्यसभा सदस्य और राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष एनडी गुप्ता के कार्यालय तथा चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) पंकज मंगल के अलावा पार्टी से जुड़े कुछ अन्य लोगों के परिसरों की तलाशी ली थी.
दिल्ली की मंत्री आतिशी ने आरोप लगाया कि ‘आप’ नेताओं के खिलाफ छापेमारी पार्टी को ‘‘डराने और चुप कराने” की कोशिश है.
धन शोधन का यह मामला डीजेबी में भ्रष्टाचार और रिश्वत के आरोपों पर सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर से जुड़ा है. सीबीआई की एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि अरोड़ा ने डीजेबी के कुछ ठेके 38 करोड़ रुपये में ‘एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड’ को दिए जबकि ‘‘कंपनी तकनीकी योग्यता के मानदंड को पूरा नहीं करती थी.” ईडी के सूत्रों के अनुसार, जांच में पाया गया कि एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने कथित तौर पर फर्जी, जाली और झूठे दस्तावेज जमा कर ठेका हासिल किया.
सूत्रों ने बताया कि उन्हें नकद के रूप में और बैंक खातों में ‘‘रिश्वत” भेजी गई और उन्होंने यह कथित रिश्वत बिभव, शलभ कुमार, पंकज मंगल और अन्य को भेजी. ईडी की जांच में पाया गया कि डीजेबी के ठेके ‘‘अत्यधिक उच्च दरों” पर दिए गए ताकि ठेकेदारों से रिश्वत ली जा सके.
ईडी के विश्लेषण में पाया गया कि 38 करोड़ रुपये के ठेके में से केवल 17 करोड़ रुपये ठेके के काम में खर्च किए गए और बाकी की धनराशि का ‘‘विभिन्न फर्जी खर्चों की आड़ में गबन” किया गया.
आतिशी ने आरोप लगाया कि प्रवर्तन निदेशालय ने आबकारी नीति समेत कुछ मामलों में ‘आप’ पदाधिकारियों के खिलाफ की जा रही जांच में गवाहों के बयान की ऑडियो रिकॉर्डिंग ‘डिलीट’ कर दी है.
”अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को बदनाम किया जा रहा”
आम आदमी पार्टी ने कहा है कि, हम दिल्ली जल बोर्ड अधिकारियों या उसके ठेकेदारों द्वारा किए गए किसी भी तरह के गलत काम की निंदा करते हैं, अगर यह सच साबित होता है. हम ईडी के इस सरासर झूठे आरोप की भी निंदा करते हैं कि आम आदमी पार्टी या उसके नेताओं का इस मामले से कोई लेना-देना है. जिन आप नेताओं पर कल ईडी ने छापेमारी की, उनके पास से एक भी पैसा या सबूत बरामद नहीं हुआ है. यह स्पष्ट है कि मोदी सरकार हिटलर की विचारधारा में बहुत विश्वास करती है, “यदि आप एक झूठ को हजार बार दोहराते हैं, तो लोग उस पर विश्वास करना शुरू कर देंगे.”
आम आदमी पार्टी ने कहा है कि, पिछले 10 वर्षों में मोदी सरकार और उनके ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों के ‘मायाजाल’ ने ‘आप’ नेताओं के खिलाफ 230 से अधिक मामले दर्ज किए हैं. फिर भी अदालतों में एक भी सिद्ध नहीं हो सका है. इससे पता चलता है कि उनका एकमात्र उद्देश्य हर दिन मीडिया में सनसनी पैदा करके सीएम अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को बदनाम करना है.
‘आप’ ने कहा है कि, बिना किसी सबूत के एक बार फिर ‘आप’ का नाम लेकर ईडी ने साबित कर दिया है कि यह भाजपा के मुखपत्र के अलावा और कुछ नहीं है. हम आम आदमी पार्टी को बदनाम करने के लिए ईडी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे. यदि ईडी वास्तव में भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिए उत्सुक थी, तो ऐसा क्यों है कि सीएजी द्वारा उजागर किए गए मोदी सरकार के घोटालों की कोई जांच नहीं की जा रही है, जैसे कि आयुष्मान भारत घोटाला या भारतमाला परियोजना घोटाला जहां एक किलोमीटर सड़क 18 करोड़ की जगह 250 करोड़ प्रति किलोमीटर के हिसाब से बनाई गई.
अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी ने कहा है कि, ऐसा क्यों है कि ईडी ने छगन भुजबल, नारायण राणे, अजीत पवार और सुवेंदु अधिकारी जैसे भ्रष्ट लोगों की जांच सिर्फ इसलिए बंद कर दी है क्योंकि उन्होंने बीजेपी के साथ गठबंधन कर लिया है?