देश

BJP-JJP ने 'सीक्रेट डील' से तोड़ा गठबंधन? क्या वाकई बिगड़े रिश्ते या कांग्रेस का बिगाड़ना है 'खेल'

कहा जा रहा है कि BJP-JJP के बीच लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर अनबन हुई थी. BJP हरियाणा की सभी 10 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करना चाहती थी. लेकिन JJP कम से कम 2 सीटों की मांग कर रही थी. बात यहीं से बिगड़ी और 4 साल पुराना रिश्ता टूट गया. अब खट्टर और दुष्यंत चौटाला के रास्ते अलग हो चुके हैं. बावजूद इसके दोनों नेताओं की संत कबीर कुटीर में 30 मिनट की मुलाकात हुई, जिससे कई तरह की अटकलों को हवा मिल रही है. माना जा रहा है कि BJP-JJP लोकसभा चुनाव और हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर कोई प्लानिंग कर रही है. लोकसभा चुनाव के बाद ही हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं.

ऐसे कई पॉइंट्स हैं, जिससे पता चलता है कि BJP-JJP में अंदरखाने कोई न कोई ‘सीक्रेट डील’ चल रही है:-

गठबंधन टूटने पर दोनों पार्टियों ने साधी चुप्पी

मंगलवार को कुछ घंटों के अंदर हरियाणा में 4 साल पुराना गठबंधन टूटा, सीएम का इस्तीफा हुआ और नए सीएम का शपथ ग्रहण समारोह भी हो गया. अगले ही दिन मनोहर लाल खट्टर को BJP ने करनाल से लोकसभा चुनाव का टिकट भी दे दिया. इस बीच न तो BJP और न ही JJP में किसी ने गठबंधन टूटने पर कोई बयान दिया. नेताओं ने चुप्पी साधे रखी. डिप्टी सीएम की कुर्सी गंवाने के बाद दुष्यंत चौटाला ने X प्लेटफॉर्म पर लंबा-चौड़ा पोस्ट जरूर किया. लेकिन इसमें BJP के लिए कुछ भी नहीं था. दुष्यंत चौटाला ने हरियाणा के लोगों से उनकी सेवा करने का मौका देने के लिए शुक्रिया अदा किया था. 

यह भी पढ़ें :-  मोदी अपनी आलोचना बर्दाश्त नहीं कर सकते लेकिन दूसरे के खिलाफ कुछ भी बोलते हैं: शरद पवार

वहीं, हरियाणा के BJP नेताओं ने भी दुष्यंत चौटाला या उनकी पार्टी के बारे में कोई बयान नहीं दिया. इससे समझा जा सकता है कि दोनों पार्टियां भविष्य के लिए कुछ न कुछ जरूर प्लान कर रही हैं.

फ्लोर टेस्ट में पहुंच गए JJP के 5 विधायक

नए सीएम नायब सिंह सैनी को बुधवार (13 मार्च) को हरियाणा विधानसभा में बहुमत (फ्लोर टेस्ट) साबित करना था. नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने ध्वनिमत से विश्वास मत जीत लिया. JJP ने अपने 10 विधायकों को व्हिप जारी कर फ्लोर टेस्ट से अलग रहने को कहा था. इसके बाद भी JJP के 5 विधायक विधानसभा पहुंच गए. हालांकि, JJP का दावा है कि इन विधायकों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया था.

JJP के कदम से BJP को हुआ फायदा

13 मार्च को दुष्यंत चौटाला के पिता दिवंगत अजय सिंह चौटाला का जन्मदिन था. दुष्यंत चौटाला ने इस अवसर पर हिसार में रैली की. रैली में आधे विधायक (5 MLA) ही शामिल हुए. बाकी विधानसभा पहुंच गए थे. राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, JJP ने ये कदम BJP को फायदा पहुंचाने के लिए उठाया था.

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, अगर गठबंधन टूट गया है और कोई पार्टी सरकार से बाहर हो गई है. तो वो विपक्ष में अपने आप आ जाती है. फ्लोर टेस्ट के समय विपक्ष अमूमन खिलाफ में वोट करता है. लेकिन JJP ने विधायकों को व्हिप जारी किया कि वो वोटिंग में शामिल नहीं होंगे. इसका सीधा मतलब है कि आप बहुमत के आंकड़े को कम करके अप्रत्यक्ष रूप से दूसरी पार्टी की मदद कर रहे हैं. 

यह भी पढ़ें :-  असम कांग्रेस प्रमुख ने लोगों से चुनाव लड़ने के लिए आर्थिक सहयोग की अपील की

सत्ता विरोधी लहर की काट 

हरियाणा में BJP को सत्ता विरोधी लहर का अंदेशा भी था. खासकर किसानों के प्रदर्शन के बाद से एंटी-इंकमबेंसी बढ़ी है. माना जा रहा है कि BJP ने इस सत्ता विरोधी लहर की काट खोजने के लिए ही JJP से गठबंधन तोड़ा है, लेकिन उससे मुंह नहीं मोड़ा है. BJP अंदरखाने JJP से बात कर रही है. इसके पीछे कांग्रेस भी एक वजह है, जो हरियाणा विधानसभा में मुख्य विपक्ष की भूमिका में है. राज्य में कांग्रेस और JJP के वोट बैंक एक ही हैं. जाहिर तौर पर BJP को लगता है कि गठबंधन टूटने से वोट बैंक भी बटेंगे. इसका सीधा फायदा भगवा पार्टी को ही होगा.

इस रणनीति में कितनी कामयाब हो सकती है बीजेपी?

हरियाणा एक ऐसा राज्य है, जहां ज्यादातर सीएम जाट समुदाय से रहे हैं. यहां जाटों की अच्छी-खासी आबादी. हालांकि, अहीर समुदायों का भी प्रभाव है. 2019 के विधानसभा चुनाव की बात करें, तो दुष्यंत चौटाला की पार्टी ने BJP-कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ा. JJP ने 10 सीटें जीती. लेकिन सरकार बनाने के लिए दुष्यंत चौटाला ने बाद में BJP से हाथ मिला लिया. गठबंधन सरकार में दुष्यंत चौटाला को डिप्टी सीएम पद और JJP के विधायकों को मंत्री पद भी मिला. बताया जा रहा है कि BJP के साथ जाने के लिए जाट समुदाय दुष्यंत चौटाला से नाराज है. दुष्यंत चौटाला को भी ये बात समझ में आ रही थी कि किसानों और पहलवानों का मुद्दा ऐसा है, जिससे उनके कोर वोटर उनसे दूर जा रहे हैं.  BJP ने यहां भी जाट बनाम गैर जाट का कार्ड खेला. ऐसे में BJP के लिए जाट समुदाय का वोट वापस पाना बड़ी चुनौती होगी.

यह भी पढ़ें :-  पुणे जिला कलेक्टर को पूजा खेडकर के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करना चाहिए- पूर्व IAS अरुण भाटिया

हरियाणा में किसके पास कितने नंबर?

हरियाणा में कुल 90 विधानसभी सीटें हैं. 2019 के विधानसभा चुनाव में BJP ने 41 सीटें जीती थीं. JJP के 10 विधायक हैं. कांग्रेस के पास 30 विधायक हैं. जबकि इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) के एक विधायक, हरियाणा लोकहित पार्टी से एक विधायक हैं. 6 निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी BJP के पास है.

 

Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button