भाजपा की सूची: बंगाल के पूर्व न्यायाधीश, संदेशखाली ‘पीड़िता', दिलीप घोष लोकसभा उम्मीदवारों में शामिल
कोलकाता:
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पश्चिम बंगाल में आगामी लोकसभा चुनाव के लिए पूर्व न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय, संदेशखाली की पीड़िता रेखा पात्रा और पार्टी की प्रदेश इकाई के पूर्व प्रमुख दिलीप घोष सहित 19 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की है. राज्य में लोकसभा की 42 सीट हैं, जिनमें से 20 सीट के लिए उम्मीदवारों की घोषणा दो मार्च को की गई थी.
यह भी पढ़ें
घोष वर्तमान में मेदिनीपुर से सांसद हैं. उन्हें अब बर्धमान-दुर्गापुर सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री एसएस अहलूवालिया के स्थान पर उम्मीदवार बनाया गया है. घोष दिसंबर 2015 से अक्टूबर 2021 तक भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष रहे. उनके कार्यकाल के दौरान ही राज्य में भाजपा का उदय हुआ और उन्हें इसका श्रेय भी दिया जाता है.
प्रदेश भाजपा प्रमुख के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान पार्टी ने 2019 में 18 लोकसभा सीट और 2021 में विधानसभा में 77 सीट जीतीं. घोष को उनकी खरी टिप्पणियों के लिए जाना जाता है. इसके लिए अकसर पार्टी के भीतर और सामाजिक जीवन में उन्हें प्रशंसा के साथ ही आलोचना का भी सामना करना पड़ता रहा है.
माना जाता है कि पात्रा उस समूह का भी हिस्सा थीं, जिसने छह मार्च को बारासात में मोदी की सार्वजनिक बैठक के मौके पर उनसे मुलाकात की थी और संदेशखाली की महिलाओं की दुर्दशा के बारे में प्रधानमंत्री को बताया था.
भ्रष्टाचार के मामलों में अपने त्वरित फैसलों के लिए जाने जाने वाले कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय को तामलुक से टिकट दिया गया है. न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्हें प्रशंसा और आलोचना दोनों मिलीं. न्यायाधीश के पद से इस्तीफा देने के बाद वह इस महीने की शुरुआत में भाजपा में शामिल हुए थे.
वह तामलुक सीट से चुनाव लड़ेंगे, जिसे शुभेंदु अधिकारी और उनके परिवार के गढ़ के रूप में जाना जाता है. शुभेंदु के छोटे भाई दिव्येंदु अधिकारी, जो हाल ही में भाजपा में शामिल हुए हैं, ने तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर दो बार यह सीट जीती थी. वर्ष 2019 में उन्होंने कुल मतदान में से 50 प्रतिशत मत हासिल कर यह सीट जीती थी.
उत्तर 24 परगना के राजनीतिक गलियारों में ‘बाहुबली’ के रूप में जाने जाने वाले अर्जुन सिंह एक बार फिर बैरकपुर से चुनावी मैदान में होंगे. सिंह ने तृणमूल कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर 2019 में भाजपा के टिकट पर यह सीट जीती थी. करीब 14,000 मतों के अंतर से सीट जीतने के बाद, वह 2022 में तृणमूल कांग्रेस में वापस लौट गए थे लेकिन सांसद के रूप में इस्तीफा नहीं दिया. बैरकपुर सीट से टिकट नहीं मिलने के बाद वह इस महीने भाजपा में वापस लौट आए थे.