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BJP या…. तीसरे चरण का वोट किसे दे रहा चोट, जानें 93 सीटों पर कहां कितना प्रतिशत हो गया मतदान

प्रधानमंत्री मोदी वोटिंग प्रतिशत को लेकर जनता को समय-समय पर जागरूक करते रहे हैं…

नई दिल्‍ली :

देश के 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 93 लोकसभा सीटों पर आज तीसरे चरण के लिए वोटिंग हो रही है. तीसरे चरण में सुबह 9 बजे तक 10.5 प्रतिशत मतदान हुआ है. पहले और दूसरे चरण में ‘कम वोटिंग प्रतिशत’ पार्टियों की चिंता का विषय रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी वोटिंग प्रतिशत को लेकर जनता को समय-समय पर जागरूक करते रहे हैं. पीएम मोदी ने तीसरे चरण के सभी मतदाताओं से भी आग्रह किया है कि वे अधिक से अधिक संख्या में मतदान करें. आइए आपको बताते हैं कि 93 सीटों पर कहां कितना प्रतिशत मतदान हो रहा है… 

तीसरे चरण में सुबह 9 बजे तक 10.5% वोटिंग

  • असम में 10.12 प्रतिशत
  • बिहार में 10.41 प्रतिशत
  • छत्तीसगढ़ में 13.24 प्रतिशत
  • दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव में 10.13 प्रतिशत
  • गोवा में 13.02 प्रतिशत
  • गुजरात में 9.87 प्रतिशत
  • कर्नाटक में 9.45 प्रतिशत
  • मध्य प्रदेश में 14.43 प्रतिशत
  • उत्तर प्रदेश में 12.94 प्रतिशत

पहले और दूसरे फेज में वोटिंग प्रतिशत 

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पहले फेज की वोटिंग में 65.5 पतिशत वोट डाले गए थे. वहीं दूसरे फेज में 66.00% मतदाताओं ने ही अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. दोनों ही चरण में पूरे देश में मतदान प्रतिशत में गिरावट देखी गयी है. कई ऐसी सीटें हैं जहां 50 प्रतिशत से भी कम वोट पड़े. लोकसभा चुनाव के पहले चरण में देश के 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में शाम 7 बजे तक कुल 60.03 प्रतिशत औसत मतदान हुआ. पहले चरण में शाम को 5 बजे तक 59.7 प्रतिशत औसत मतदान होने का अनुमान था. दोपहर 3 बजे तक 49.9 फीसदी मतदान हुआ था. दोपहर 1 बजे तक कुल 39.9 फीसदी मतदान हुआ था.

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कम वोटिंग प्रतिशत के मायने 

कम वोटिंग प्रतिशत को आमतौर पर सत्‍ता पक्ष के विरूद्ध माना जाता है. पिछले 12 में से 5 चुनावों में मतदान प्रतिशत में गिरावट देखने को मिले है. जब-जब मतदान प्रतिशत में कमी आई है, तब  4 बार सरकार बदल गयी है. वहीं एक बार सत्ताधारी दल की वापसी हुई है. 1980 के चुनाव में मतदान प्रतिशत में गिरावट हुई थी और जनता पार्टी की सरकार सत्ता से हट गयी. जनता पार्टी की जगह कांग्रेस की सरकार बन गयी थी. वहीं 1989 में एक बार फिर मत प्रतिशत में गिरावट दर्ज की गयी और कांग्रेस की सरकार चली गयी थी. विश्वनाथ प्रताप सिंह के नेतृत्व में केंद्र में सरकार बनी थी. 1991 में एक बार फिर मतदान में गिरावट हुई और केंद्र में कांग्रेस की वापसी हो गयी.  1999 में मतदान में गिरावट हुई लेकिन सत्ता में परिवर्तन नहीं हुआ. वहीं 2004 में एक बार फिर मतदान में गिरावट का फायदा विपक्षी दलों को मिला था. हालांकि, राजनीति के जानकारों का मानना है कि इस बार ऐसा देखने को नहीं मिलेगा.

“कम वोटिंग टर्न आउट अच्छी खबर नहीं…” 

कम वोटिंग ट्रेंड को लेकर लोकनीति, CSDS के को-डायरेक्टर संजय कुमार ने बताया कि वोटरों के लिहाज से देखें तो कम वोटिंग टर्न आउट अच्छी खबर नहीं है. इससे समझ में आता है कि लोकसभा चुनाव को लेकर वोटरों में कुछ उदासीनता है. अगर हम 2019 के आम चुनावों से तुलना करें, तो उदासीनता साफ दिखाई पड़ती है. कम वोटिंग से किसे इलेक्टोरल गेन मिलेगा और किसका लॉस होगा… वास्तव में इसका कोई हिसाब नहीं होता है. कई बार वोटिंग टर्न आउट गिरता है, फिर भी सरकारें जीत कर केंद्र में आती हैं. कई बार वोटिंग टर्न आउट कम होने से सरकारें हारती भी हैं.

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