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कश्मीर में BJP पलट देगी बाजी या फिर कांग्रेस-अब्दुल्ला बनाएंगे सरकार, इन 5 विधायकों के हाथ में होगी चाबी?


नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में राज्य के विधानसभा चुनावों के लिए सभी तीन चरण की वोटिंग पूरी हो चुकी है. प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो चुकी है. क्या राज्य में बीजेपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस या कोई और पार्टी सरकार बनाएगी? या फिर राज्य में कोई और फैसला होगा? इसका जवाब 8 अक्टूबर को मतगणना के बाद पता चलेगा. लोग जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजों पर उत्सुकता से नजर रखे हुए हैं, क्योंकि केंद्र शासित प्रदेश की खुशहाली, शांति और सुरक्षा बहुत कुछ दांव पर लगी है. हालांकि राज्य में खंडित जनादेश मिलने के हालत में सबकी नजर उन 5 मनोनीत विधायक पर होगी जिसकी चाभी उपराज्यपाल के हाथों में होगी. 

राज्य में 10 साल के बाद विधानसभा चुनाव हुए हैं. यह विधानसभा चुनाव राज्य में अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद पहली बार हो रहे हैं. इस लोकतांत्रिक प्रक्रिया में लोगों की भागीदारी जम्मू-कश्मीर से एक स्पष्ट संदेश था कि वे मतपत्र चाहते हैं, न कि गोली. 

मनोनीत विधायक क्यों होंगे निर्णायक?
जम्मू कश्मीर में हुए मतदान को लेकर अधिकांश एग्जिट पोल ने त्रिशंकु विधानसभा होने के संकेत दिए हैं. ऐसे में सरकार बनाने के लिए 48 के जादुई आंकड़ों तक पहुंचने की सबकी तमाम दल और गठबंधन प्रयास करेंगे. ऐसे में 5 विधायक जिसे उपराज्यपाल मनोनीत करेंगे उनकी भूमिका बेहद अहम हो जाती है. इन विधायकों का मनोनयन सदन की पहली बैठक से पहले ही उपराज्यपाल को करना होगा और ये विधायक भी निर्वाचित विधायकों की तरह ही मतदान में हिस्सा ले सकते हैं. 

कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस को किस बात की है आशंका? 
कांग्रेस पार्टी और नेशनल कॉन्फ्रेंस को एग्जिट पोल में सबसे बड़े गठबंधन के तौर पर जरूर दिखाया गया है. हालांकि जादुई आंकड़ें तक ये गठबंधन पहुंच पाता है या नहीं इसे लेकर एग्जिट पोल में मतभेद देखने को मिले हैं. अगर गठबंधन 48 की संख्या से नीचे रहती है तो इस हालत में निर्दलीय और मनोनीत विधायक निर्णायक साबित हो सकते हैं. निर्दलीय उम्मीदवारों को लेकर यह चर्चा है कि वो बीजेपी के करीब हैं. ऐसे में कांग्रेस गठबंधन को यह चिंता हो रही है कि अगर उपराज्यपाल के द्वारा मनोनीत विधायक भी बीजेपी के करीबी हुए तो जम्मू कश्मीर विधानसभा में बड़ा खेल हो सकता है. पीडीपी को लेकर भी इंडिया गठबंधन बहुत अधिक सहज नहीं है. पहले भी पीडीपी ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनायी है. 

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पुदुचेरी के मामले बढ़ा रहे हैं कांग्रेस की बेचैनी
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 15 में विधायकों के मनोनयन की बात की गयी है. यह पुदुचेरी के तर्ज पर किया गया है. पुदुचेरी में तीन विधायकों को मनोनीत करने का अधिकार उपराज्यपाल के पास है. पुदुचेरी में उपराज्यपाल किरण बेदी ने 2 विधायकों को बिना राज्य सरकार के परामर्श के मनोनीत किया था. बाद में राज्य की कांग्रेस सरकार ने उपराज्यपाल के फैसले को अदालत में चुनौती दी थी. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उपराज्यपाल के फैसले को सही ठहराया था. कांग्रेस को आशंका है कि अगर बीजेपी समर्थक लोगों को उपराज्यपाल मनोनीत करते हैं तो यह नई समस्या उत्पन्न कर सकते हैं.

एलजी के ये अधिकार उचित नहीं: कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी के नेता एलजी की इस ताकत का विरोध कर रहे हैं. जम्मू कश्मीर कांग्रेस के उपाध्याक्ष रविंदर शर्मा ने कहा है कि उपराज्यपाल की तरफ से होने वाले मनोनयन का हम विरोध करते हैं. वहीं बीजेपी का कहना है कि जो भी होगा वह नियम के तहत ही होगा. ऐसे में इस बात की संभावना बढ़ने लगी है कि जम्मू कश्मीर में इस मुद्दे पर कांग्रेस और बीजेपी में टकराव बढ़ सकते हैं. 

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बहुमत के लिए चलेगा कौन सा गणित? 
सारे एग्जिट पोल के निचोड़ The Hindkeshariके पोल ऑफ एग्जिट पोल्स के मुताबिक जम्मू कश्मीर में बीजेपी को 27 कांग्रेस-एनसी को 42, पीडीपी को 7 और अन्य को 14 विधानसभा सीटें मिल सकती हैं. बहुमत का आंकड़ा 48 है, इसलिए यदि नतीजे ऐसे ही आते हैं तो कोई भी पार्टी अपने बलबूते सरकार बनाने की स्थिति में नहीं होगी. तब गठबंधन ही अगली सरकार के लिए रास्ता बना सकेगा. राज्य में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस का गठबंधन है लेकिन वे दोनों मिलकर भी बहुमत के आंकड़े से कुछ दूरी पर हैं. 

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कहा जा रहा है कि इस बार राज्य में बड़ी तादाद में चुनाव लड़ने वाले निर्दलीय उम्मीदवारों में से अधिकांश को बीजेपी का समर्थन हासिल है. ऐसी स्थिति में बीजेपी को यदि सारे छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन मिल जाए तो वह बहुमत के करीब तो पहुंच जाएगी लेकिन सरकार नहीं बना सकेगी. इन हालात में पीडीपी के साथ मिलकर वह आसानी से सरकार बना सकती है.  दूसरी ओर यदि कांग्रेस-एनसी के साथ पीडीपी भी गठबंधन में शामिल हो जाती है तो सरकार आसानी से बन जाएगी. हालांकि नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के साथ आने की संभावना लगभग असंभव है.  

बीजेपी निर्दलीय विधायकों के संपर्क में है
जम्मू कश्मीर के पूर्व उपमुख्यंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता निर्मल सिंह ने The Hindkeshariके साथ बात करते हुए बताया कि निर्दलीय चुनाव जीतने की संभावना रखने वाले नेताओं के साथ बातचीत जारी है. हालांकि उन्होंने कहा कि ये पार्टी के स्तर पर नहीं वो अपने स्तर पर कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारी इच्छा है कि हमारी पार्टी सरकार बनाए. जो हमारे जान पहचान के हैं मैं उनसे बात कर रहा हूं. सिर्फ हम ही नहीं बाकी लोग भी बातचीत जरूर कर रहे होंगे. ऐसा तो होता नहीं है कि लोग रिजल्ट का इंतजार करेंगे. 

बीजेपी नेता ने कहा कि जिस तरह से चुनाव पूर्व गठबंधन होता है उसी तरह मतगणना से पहले भी तो चर्चा हो ही सकती है. यह पूछे जाने पर कि क्या बीजेपी की अगर सरकार बनती है तो क्या कोई गैर विधायक भी मुख्यमंत्री बन सकते हैं? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि अभी तक तो कोई ऐसी परंपरा नहीं रही है. कांग्रेस इस तरह का कार्य करती रही है.  
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साल 2014 के चुनाव में भी बने थे यही हालात
पिछला चुनाव 2014 में हुआ था. इसके परिणाम 23 दिसंबर 2014 को घोषित किए गए थे. तब जम्मू कश्मीर में विधानसभा की 87 सीटें थीं, अब 90 सीटें हैं. विधानसभा चुनान में महबूबा मुफ्ती की पार्टी जम्मू-कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) को सबसे अधिक 28 सीटें मिली थीं. कुल 25 सीटें जीतकर बीजेपी दूसरे स्थान पर रही थी. फारूक अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस को 15 और कांग्रेस को 12 विधानसभा क्षेत्रों में जीत मिली थी. राज्य में तीन सीटों पर निर्दलीय और चार सीटों पर अन्य छोटे दलों के उम्मीदवार जीते थे. बहुमत के आंकड़े तक कोई भी पार्टी नहीं पहुंच सकी थी.

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