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तमिलनाडु में जातीय संतुलन साधने की कोशिश में बीजेपी, अन्नामलाई की कुर्सी पर संकट?


चेन्नई:

तमिलनाडु में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई के पद से हटने की अटकलें तेज हो गई हैं. यह कदम बीजेपी और उसके संभावित सहयोगी दल ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) के बीच गठबंधन को मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, बीजेपी तमिलनाडु में जातिगत संतुलन को ध्यान में रखते हुए नेतृत्व में बदलाव पर विचार कर रही है, ताकि राज्य की सामाजिक समीकरण में अपनी स्थिति को और मजबूत किया जा सके.

कौन हैं अन्नामलाई? 
अन्नामलाई, जो एक पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं और 2020 में बीजेपी में शामिल हुए थे, अपने आक्रामक और बेबाक नेतृत्व शैली के लिए चर्चा में रहे हैं. उन्होंने राज्य में बीजेपी को एक नई पहचान देने की कोशिश की, लेकिन उनके इस रुख ने कई बार एआईएडीएमके के साथ तनाव को जन्म दिया. दोनों दलों के बीच गठबंधन की संभावनाएं पिछले कुछ समय से चर्चा में हैं, खासकर 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद, जब बीजेपी ने दक्षिण भारत में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए क्षेत्रीय दलों के साथ सहयोग पर जोर देना शुरू किया. हालांकि, अन्नामलाई के रिश्ते एआईएडीएमके के साथ अच्छे नहीं रहे हैं. जिस कारण उनके प्रदेश अध्यक्ष रहते एआईएडीएमके के साथ गठबंधन की संभावना नहीं है.

जातिगत समीकरण को साधने पर बीजेपी की है नजर
सूत्रों के अनुसार, बीजेपी आलाकमान अब तमिलनाडु में एक ऐसे नेता की तलाश में है, जो न केवल पार्टी की विचारधारा को आगे बढ़ा सके, बल्कि राज्य के जातिगत समीकरणों को भी संतुलित कर सके. तमिलनाडु की राजनीति में जाति एक महत्वपूर्ण कारक रही है, और बीजेपी इस बात को समझती है कि एआईएडीएमके के साथ गठजोड़ तभी सफल हो सकता है, जब दोनों दलों के बीच आपसी सहमति और सामाजिक संतुलन बना रहे. अन्नामलाई ने पिछले कुछ समय में युवाओं और शहरी मतदाताओं के बीच लोकप्रियता हासिल की है, लेकिन उनकी छवि को कुछ हद तक एक ध्रुवीकरण करने वाले नेता के रूप में भी देखा जाता है. 

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पार्टी सूत्रों का कहना है कि अन्नामलाई के हटने की स्थिति में इसे आधिकारिक तौर पर “जातिगत संतुलन” का कारण नहीं बताया जाएगा. इसके बजाय, इसे संगठनात्मक बदलाव या व्यक्तिगत कारणों से जोड़कर पेश किया जा सकता है. हालांकि, राजनीतिक हलकों में इसे बीजेपी की उस बड़ी रणनीति के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है, जिसके तहत वह दक्षिण भारत में अपनी जड़ें मजबूत करना चाहती है. तमिलनाडु में द्रविड़ दलों का दबदबा रहा है, और बीजेपी के लिए यहां सफलता हासिल करना हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है. ऐसे में एआईएडीएमके जैसे मजबूत क्षेत्रीय दल के साथ गठबंधन पार्टी के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है.

इस संभावित बदलाव ने तमिलनाडु की सियासत में हलचल मचा दी है. कुछ विश्लेषकों का मानना है कि अन्नामलाई का हटना बीजेपी के लिए जोखिम भरा भी हो सकता है, क्योंकि उन्होंने पार्टी को राज्य में एक नई ऊर्जा दी थी. वहीं, दूसरी ओर यह कदम गठबंधन की राह को आसान बना सकता है.



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