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बच्ची को दुनिया में लाकर चली गई ब्रेन डेड मां, दिल्ली की एक दर्दनाक कहानी

आशिता एक निजी फर्म में कस्टमर सपोर्ट मैनेजर के रूप में काम करती थी.


नई दिल्ली:

एक मां के लिए उसका बच्चा ही पूरी दुनिया होता है. अपने बच्चे को पहली बार गोद में लेना और उसे पहली बार छाती से लगाने का एहसास सबसे अलग होता है. दिल्ली की रहने वाली 38 वर्षीय आशिता चंदक भी जल्द ही एक बच्चे को जन्म देने वाली थी. आशिता बस उस पल का इंतजार कर रही थी कि कब वो अपने बच्चे को जन्म दे और उसे अपने सीने से लगाए. लेकिन आठ महीने की गर्भवती आशिता के साथ कुछ ऐसा हुआ कि वो अपने नवजात को देखने से पहले ही इस दुनिया से चली गई. आशिता के परिवार वालों को अभी तक यकीन नहीं हो रहा है कि वो उनके बीच नहीं है. आशिता का परिवार अपने घर में नन्हे मेहमान के आने का इंतजार कर रहा था. घर में नन्ही परी तो आ गई लेकिन उनकी बहू आशिता उनके बीच नहीं रही.

आशिता की दर्द भरी कहानी

  • आशिता एक निजी फर्म में कस्टमर सपोर्ट मैनेजर के रूप में काम करती थी.
  • आशिता को गर्भावस्था के आठवें महीने के दौरान अचानक ब्रेन स्ट्रोक हुआ.
  • मेडिकल स्टाफ ने उसे वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा.
  • तत्काल सिजेरियन सेक्शन कर बच्चे का जन्म करवाया गया.
  • आशिता ने एक बच्ची को जन्म दिया.
  • आशिता शादी के 8 साल बाद गर्भवती हुई थी.

ब्रेन स्ट्रोक ने ली जान

7 फरवरी को आशिता को अचानक से ब्रेन स्ट्रोक हो गया. उसे परिवार वालों से तुरंत अस्पताल में भर्ती करवाया. आशिता का आठवां महीना चल रहा था और कुछ ही हफ्ते में वो एक बच्चे को जन्म देने वाली थी. लेकिन ब्रेन डैमेज होने की वजह से समय से पहले सिजेरियन कर बच्चे की डिलीवरी करवाई गई और आशिता ने एक बच्ची को जन्म दिया. जन्म के बाद बच्ची को वेंटिलेटर सपोर्ट पर आईसीयू में रखा गया है. TOI में छपी खबर के अनुसार 13 फरवरी को आशिता को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया.

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परिवार ने किया अंग दान

ब्रेन डेड घोषित करने के बाद आशिता के परिवार वाले से डॉक्टरों ने अंग दान के लिए संपर्क किया. जिसपर वे सहमत हो गए. परिवार ने आशिता की दोनों किडनी, लिवर और कॉर्निया का दान किया है. आशिता के दान किए गए अंगों की मदद से कई लोगों को नई जिंदगी मिलेगी. 

आशिता का पति राजुल रामपाल, बिज़नेस डेवलपमेंट एग्जीक्यूटिव के तौर पर काम करते हैं. TOI से बात करते हुए आशिता के ससुर ने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक के बाद आशिता को आर्टेमिस अस्पताल में ले जाया गया. जहां पर उसे दिल का दौरा आ गया. आशिता को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया और तुरंत सिजेरियन सेक्शन किया गया.

क्या होता ब्रेन डेड

ब्रेन डेड उस व्यक्ति को घोषित किया जाता है जिसका दिमाग पूरी तरह से काम करना बंद कर देता है. मस्तिष्क में कोई गतिविधि नहीं होती है .कुछ भी समझने की और शरीर को किसी भी प्रकार के सिग्नल भेजने की क्षमता पूरी तरह से खत्म हो जाती है. किसी व्यक्ति को ब्रेन डेड घोषित करने का मतलब है की वो एक किस्म का मृत है.


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