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"मुझे झुकाने के लिए हर नियम तोड़ दिया…" : कैश फॉर क्वेरी केस में सांसदी जाने पर महुआ मोइत्रा

लोकसभा में शुक्रवार (8 दिसंबर) को सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू हुई. दोपहर 12 बजे एथिक्स कमेटी क चेयरमैन विजय सोनकर ने 500 पेज की रिपोर्ट पेश की. कैश फॉर क्वेरी केस में कमिटी की रिपोर्ट में टीएमसी सांसद महुआ की संसद सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की गई है. कमिटी ने इसके साथ ही इस मामले को गंभीर बताते हुए कानूनी जांच की मांग की है.

लोकसभा से निष्कासित होने पर महुआ मोइत्रा ने कहा, “मुझे उस आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी पाया गया है, जो अस्तित्व में ही नहीं है. एथिक्स कमिटी मुझे उस बात की सजा दे रही है, जो लोकसभा में सामान्य और स्वीकृत है. साथ ही जिसे प्रोत्साहित किया गया है.”

रिपोर्ट दो व्यक्तियों की लिखित गवाही पर आधारित

मोइत्रा ने कहा, “एथिक्स कमिटी के निष्कर्ष पूरी तरह से दो व्यक्तियों की लिखित गवाही पर आधारित हैं, जिनके कथन असल में एक-दूसरे के विरोधाभासी हैं.” उन्होंने कहा, “मेरे खिलाफ पूरा मामला लॉगिन क्रिडेंशियल शेयर करने पर आधारित है, लेकिन इस पहलू के लिए कोई नियम तय नहीं है. सांसद आम जनता के सवालों को संसद तक पहुंचाने में ब्रिज की भूमिका निभाते हैं. मुझे बिना सबूत के सजा दिया गया.”

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कैश या गिफ्ट का कोई सबूत नहीं

टीएमसी नेता ने कहा, “कैश या गिफ्ट का कोई सबूत नहीं है. एथिक्स कमिटी ने मुद्दे की जड़ तक पहुंचे बिना मुझे दोषी ठहराने का फैसला किया. दो शिकायतकर्ताओं में से एक मेरे एक्स पार्टनर भी हैं, जो गलत इरादे से एथिक्स कमिटी के सामने आम नागरिक के रूप में पेश हुए.”

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TMC ने 500 पेज की रिपोर्ट पढ़ने के लिए मांगा था वक्त

लोकसभा में एथिक्स कमिटी की रिपोर्ट पेश होते ही महुआ मोइत्रा समेत विपक्षी सांसदों ने हंगामा किया. TMC ने मांग थी कि 500 पेज की रिपोर्ट पढ़ने के लिए कम से कम 48 घंटों का समय दिया जाए. इसपर फिर हंगामा हुआ. आखिकार दोपहर 2 बजे से तीसरी बार कार्यवाही शुरू होने पर महुआ मोइत्रा के निष्कासन पर वोटिंग हुई.

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इससे पहले भी चर्चा के दौरान लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने महुआ मोइत्रा को सदन में बोलने की इजाजत नहीं दी थी. उन्होंने कहा था कि उन्हें पैनल मीटिंग में बोलने का मौका मिला था.

कांग्रेस का निशाना

कांग्रेस ने महुआ मोइत्रा के खिलाफ एथिक्स कमिटी की रिपोर्ट पर शुक्रवार को लोकसभा में ‘आनन-फानन’ में चर्चा कराये जाने का आरोप लगाया. पार्टी ने कहा कि यह ‘प्राकृतिक न्याय’ के सिद्धांत का उल्लंघन है. अगर सदस्यों को रिपोर्ट पढ़ने के लिए तीन-चार दिन दे दिए गए होते तो ‘आसमान नहीं टूट पड़ता’.

कांग्रेस की ओर से मनीष तिवारी ने कहा कि वकालत पेशे में 31 साल के करियर में उन्होंने जल्दबाजी में बहस जरूर की होगी, लेकिन सदन में जितनी जल्दबाजी में उन्हें चर्चा में हिस्सा लेना पड़ रहा है, वैसा कभी उन्होंने नहीं देखा.

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TMC क्या बोली?

वहीं, टीएमसी के सांसद कल्याण बनर्जी ने लोकसभा में चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि यह नियमों और संविधान के खिलाफ हो रहा है. महुआ मोइत्रा को बोलने का मौका दिया जाना चाहिए. वहीं, बीजेपी के सांसदों ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा का उल्लंघन हुआ है. 

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बीजेपी ने क्या कहा?

बीजेपी की सांसद अपराजिता सांरगी ने लोकसभा में चर्चा के दौरान कहा कि विपक्ष से सवाल है कि उन्होंने (महुआ मोइत्रा) जो किया, वो सही था या गलत. तीन बैठकें हुई और इसमें महुआ मोइत्रा को समय दिया गया. मीटिंग के दौरान मोइत्रा ने बदतमीजी की. 

एथिक्स कमिटी ने 9 नवंबर को दी थी रिपोर्ट

बीजेपी सांसद विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली एथिक्स कमिटी ने 9 नवंबर को बैठक में मोइत्रा को ‘पैसे लेकर सदन में सवाल पूछने’ के आरोपों में लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश वाली रिपोर्ट को स्वीकार किया था. समिति के 6 सदस्यों ने रिपोर्ट के पक्ष में मतदान किया था. इनमें कांग्रेस से निलंबित सांसद परणीत कौर भी शामिल थीं. समिति के चार विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट पर असहमति नोट दिए थे.

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