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संभल की आड़ में मुस्लिम वोटर्स को रिझाने में लगे…; संसद में जनहित के मुद्दे ना उठाने पर बसपा सप्रीमो मायावती ने विपक्ष को घेरा

पूर्व यूपी सीएम मायावती

संसद के शीतकालीन सत्र में लगातार हंगामा देखने को मिल रहा है, जिस वजह से संसद की कार्यवाही ठीक से नहीं चल पा रही है. संसद में देश और जनहित के मुद्दे ना उठाने पर बसपा सुप्रीमो और पूर्व यूपी सीएम मायावती ने विपक्ष को घेरा है. बसपा सुप्रीमो ने कहा, “संसद में विपक्ष देश और जनहित के मुद्दे नहीं उठा रहा है. बल्कि अपने राजनीतिक हितों के लिए खासकर सपा और कांग्रेस पार्टी संभल में हिंसा के बहाने मुस्लिम मतदाताओं को खुश करने की कोशिश कर रही है. उन्हें अन्य मुद्दों से कोई लेना-देना नहीं है. इतना ही नहीं, ये पार्टियां संभल में लोगों को आपस में लड़वा रही हैं. मुस्लिम समुदाय को भी सतर्क रहना होगा…” 

देशहित में ठीक से चले संसद

इसी के साथ मायावती ने कहा कि इससे भी ज्यादा दुख की बात ये है कि जिनकी बदौलत से संसद में दलित वर्ग के सांसद पहुंचे हैं वो भी अपनी-अपनी पार्टियों के आकाओं को खुश करने के लिए दलित उत्पीड़न के मुद्दों पर चुप बैठे हैं. इससे पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने शनिवार को केंद्र सरकार और विपक्ष से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया था कि संसद के मौजूदा सत्र व्यापक देशहित में ठीक से चले जिसके लिए सरकार और विपक्ष दोनों को गंभीर होना बहुत जरूरी है. उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने यह अपील ऐसे समय में की है जब संभल में मस्जिद के सर्वेक्षण के बाद हुई हिंसा को लेकर संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही में अवरोध उत्पन्न हो रहा है.

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ध्यान भटकाने के लिए अपनाएं जा रहे हथकंडे

मायावती ने शनिवार को यहां उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के वरिष्ठ पदाधिकारियों और जिला अध्यक्षों सहित पार्टी के अन्य सभी जिम्मेदार लोगों की बैठक को संबोधित करते हुए इस बात पर जोर दिया था कि राजनीतिक सशक्तीकरण के संघर्ष में दलित और आंबेडकरवादी समुदायों को एकजुट होने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि पूर्व में कांग्रेस की सरकार की तरह ही वर्तमान में भाजपा की गरीब-विरोधी और पूंजीपतियों के हितों का समर्थन करने वाली नीतियों के खिलाफ लोगों में आक्रोश है जिससे लोगों का ध्यान भटकाने के लिए यह पार्टी जातिवादी, सांप्रदायिक और संकीर्ण हथकंडे अपनाती है. मायावती ने प्रदेश की योगी सरकार पर धार्मिक एजेंडे को संवैधानिक जिम्मेदारियों से अधिक प्राथमिकता देने का आरोप लगाया.



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