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SKM के 'भारत बंद' आह्वान के मद्देनजर पंजाब में बस सेवाएं ठप, हरियाणा में टोल प्लाजा पर धरना

राज्य में कई स्थानों पर बाजार और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान भी बंद रहे. किसानों ने कई स्थानों पर प्रदर्शन किया और पठानकोट, तरनतारन, बठिंडा और जालंधर में राष्ट्रीय राजमार्गों को अवरुद्ध कर दिया. उन्होंने अपनी मांगें नहीं मानने के लिए केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की.

हरियाणा के हिसार में, हरियाणा रोडवेज के कर्मचारियों ने ‘भारत बंद’ का समर्थन किया, जिसके चलते बस सेवाएं ठप रहीं. भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के सदस्यों ने हरियाणा के कई टोल प्लाजा पर धरना दिया और अधिकारियों पर यात्रियों से टोल टैक्स न वसूलने के लिए दबाव डाला.

भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने किसानों की मांगों के समर्थन में उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में विरोध प्रदर्शन में भाग लिया. बीकेयू (राजेवाल), बीकेयू (दकुंडा), बीकेयू (लाखोवाल), बीकेयू (कादियान) और कीर्ति किसान यूनियन सहित कई किसान संगठन बंद में हिस्सा ले रहे हैं.

पंजाब रोडवेज, पनबस और पीआरटीसी कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के बंद के आह्वान का समर्थन कर रहे हैं. वे केंद्र के प्रस्तावित ‘‘हिट-एंड-रन” कानून का विरोध कर रहे हैं. निजी बस संचालक भी बसें नहीं चला रहे हैं.

कई बस अड्डों पर यात्री अपने-अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए बसों का इंतजार करते दिखे. बसों की अनुपलब्धता के कारण मुख्य रूप से छात्रों और कार्यालय जाने वालों को असुविधा हुई. पटियाला बस स्टैंड पर कॉलेज छात्र ने कहा कि उसे लांडरां रोड जाने के लिए कोई बस नहीं मिली.

एक सरकारी कर्मचारी ने कहा कि उसे काम के लिए मोहाली जाना था लेकिन कोई बस उपलब्ध नहीं है. जालंधर जाने के लिए अमृतसर बस स्टैंड पर खड़ी एक महिला यात्री ने कहा कि वह 30 मिनट से अधिक समय से बस का इंतजार कर रही है.

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जीरा की रहने वाली सतबीर कौर (32) ने कहा कि वह बंद के कारण अपने कार्यालय नहीं जा सकीं. उन्होंने कहा, ‘मैं हर दिन जीरा से फिरोजपुर तक यात्रा करती हूं लेकिन आज कोई बस उपलब्ध नहीं थी इसलिए मुझे छुट्टी लेनी पड़ी.’

फिरोजपुर में अधिकांश शैक्षणिक संस्थान और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे और बाजार सुनसान दिखे. प्रदर्शनकारी किसानों ने फिरोजपुर-फाजिल्का रोड पर स्थित गोलू का मौर गांव, मक्खू क्षेत्र में एनएच-54 पर बंगाली वाला पुल और तलवंडी भाई अंडरब्रिज समेत विभिन्न स्थानों पर सड़कें अवरुद्ध कर दीं.

सब्जी मंडी आढ़ती एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक पसरीचा ने कहा कि व्यापारियों को इस महत्वपूर्ण समय में किसानों का समर्थन करना चाहिए क्योंकि अधिकांश व्यवसाय किसानों पर निर्भर है. उन्होंने कहा, ”किसानों के समर्थन में आज सभी दुकानें बंद हैं.” मान्यता प्राप्त एवं संबद्ध स्कूल एसोसिएशन (आरएएसए) के अध्यक्ष नरिंदर सिंह केसर ने कहा कि स्कूल बंद हैं और केवल वार्षिक परीक्षा दे रहे कक्षा 10 और 12 के छात्र स्कूल आ रहे हैं.

बीकेयू (राजेवाल) के जिला अध्यक्ष हरबंस सिंह ने कहा कि किसानों का इरादा किसी को परेशान करना नहीं है. उन्होंने कहा, ‘हम अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं.’ लुधियाना में, समराला और खन्ना जगराओं में बस स्टैंड खाली दिखायी दिए. बीकेयू (राजेवाल) के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल ने समराला में टोल प्लाजा पर धरना दिया.

अमृतसर में, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) द्वारा संचालित शैक्षणिक संस्थान बंद रहे क्योंकि शीर्ष गुरुद्वारा निकाय ने बंद के आह्वान का समर्थन किया. कई दुकानें भी बंद रहीं. होशियारपुर और कपूरथला में भी व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे. कपूरथला में आंदोलनरत किसानों ने डीसी चौक पर बीच सड़क पर धरना दिया और यातायात बाधित कर दिया.

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फगवाड़ा में किसानों के एक समूह ने दुकानदारों से किसानों की मांगों के समर्थन में अपनी दुकानें बंद करने की अपील की. बैंक, शैक्षणिक संस्थान, फार्मेसी, सरकारी और निजी अस्पताल और नर्सिंग होम सेवाएं सामान्य दिनों की तरह जारी हैं. फगवाड़ा की पुलिस अधीक्षक रूपिंदर कौर भट्टी ने कहा कि जिले में स्थिति शांतिपूर्ण है.

हिसार में हरियाणा रोडवेज की सेवाएं ठप रहीं क्योंकि उसके कर्मचारियों ने बंद के आह्वान का समर्थन किया. बंद के आह्वान का कुरूक्षेत्र में कोई असर नहीं हुआ. दुकानें और बाज़ार खुले रहे और बसों का संचालन भी जारी रहा.

बीकेयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बंद के समर्थन में उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक विरोध प्रदर्शन में भाग लिया. उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘हम स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने और (किसानों के लिए) ऋण माफी आदि की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.’ दिल्ली जाने की उनकी योजना के बारे में पूछे जाने पर, टिकैत ने कहा, ‘शनिवार को सिसौली (मुजफ्फरनगर) में एक बैठक होगी जहां भविष्य की कार्रवाई तय की जाएगी.’

एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के अलावा, किसान कृषकों के कल्याण के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन तथा कर्ज माफी, लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘न्याय’, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को बहाल करने और पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग कर रहे हैं.

(इस खबर को The Hindkeshariटीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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