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मुंबई के महालक्ष्मी रेसकोर्स को थीम पार्क में बदलने का हो रहा विरोध, शुरू किया गया अभियान

महालक्ष्मी रेसकोर्स एक ग्रेड II-B हेरिटेज साइट है. यह 140 साल से भी ज्यादा समय से अस्तित्व में है.

मुंबई:

दक्षिण मुंबई में स्थित महालक्ष्मी रेसकोर्स (Mahalaxmi Racecourse) में थीम पार्क (Theme Park) और मुंबई आई (Mumbai Eye)बनाने के महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) के प्रस्ताव का विरोध तेज हो गया है. Change.org पर मुंबई के इकलौते ग्रीन क्षेत्र ‘महालक्ष्मी रेसकोर्स को बचाने’ के लिए एक याचिका चलाई जा रही है. Change.org बदलाव के लिए दुनिया का सबसे बड़ा पिटीशन प्लेटफॉर्म है.

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मुंबई निवासी तनुज भाटिया ने 13 जनवरी को Change.org में पिटीशन लगाई है. इस पिटीशन में अब तक 24,029 साइन किए जा चुके हैं. जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि महालक्ष्मी रेसकोर्स की जगह पर थीम पार्क और मुंबई आई बनाए जाने के बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) के प्रस्ताव का कितने बड़े पैमाने पर विरोध किया जा रहा है.

“याचिका में कहा गया है, “महालक्ष्मी रेसकोर्स एक ग्रेड II-B हेरिटेज साइट है. यह 140 साल से भी ज्यादा समय से अस्तित्व में है. इसमें लगभग 230 एकड़ प्राकृतिक भूभाग यानी मिट्टी और घास का ओपन स्पेस शामिल है. इस खुली जगह के अंदर एकमात्र संरचना घोड़ों के लिए अस्तबल, रेस देखने के लिए स्टैंड और हॉर्स रेसिंग के लिए सहायक और जरूरी RWITC के कुछ ऑफिस बने हैं. महालक्ष्मी रेसकोर्स न सिर्फ एक ओपन स्पेस है. बल्कि ये सैकड़ों साल पुराने पेड़ों से घिरा एक ग्रीन एरिया भी है.”

याचिका में आगे कहा गया है, “रेसकोर्स में रोजाना हजारों नागरिक आते हैं. यह मुंबई का मुख्य और एकमात्र ग्रीन क्षेत्र है. मुंबई के निवासियों की जिदंगी में इसकी अहमियत को कम करके नहीं देखा जा सकता है. क्योंकि ये मुंबईवासियों की लाइन लाइन है.”

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याचिका में रेसकोर्स के लिए राज्य सरकार और बीएमसी की योजनाओं का भी जिक्र किया गया है और बताया गया है कि ये योजनाएं इस क्षेत्र को कैसे प्रभावित करेगा.

याचिका में कहा गया है कि रेसकोर्स में एक थीम पार्क विकसित करने की योजना है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि थीम पार्क में होटल, रेस्तरां, मनोरंजन पार्क और मनोरंजन की अन्य जगहें शामिल होंगी. इसका मतलब होगा कि रेसकोर्स में नागरिकों की पहुंच प्रतिबंधित होगी. हम अब हरियाली और ताज़ी हवा का आनंद नहीं ले पाएंगे.”

एक खास मॉर्डन क्लब हाउस और अस्तबल बनाने के लिए रॉयल वेस्टर्न इंडिया टर्फ क्लब (RWITC) को लगभग 100 करोड़ का फंड देने का विरोध करते हुए याचिका में कहा गया, “सार्वजनिक धन का इस्तेमाल एक निजी क्लब की फंडिंग के लिए किया जा रहा है. एक मॉर्डन क्लब हाउस के निर्माण का मतलब है कि रेसकोर्स का एक बड़ा हिस्सा सिर्फ RWITC के सदस्यों के लिए एक पूरा क्लब बन जाएगा. इसके नतीजे के तौर पर लोगों को खुली जगह से वंचित होना पड़ेगा”.

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