देश

क्‍या लोगों की निजी संपत्ति सरकार ले सकती है या फिर नहीं? सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला


नई दिल्‍ली:

सुप्रीम कोर्ट ने निजी संपत्ति विवाद में बड़ा फैसला सुनाया है. इस मामले में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सभी निजी संपत्ति समुदाय के भौतिक संसाधन नहीं. कुछ निजी संपत्ति समुदाय के भौतिक संसाधन हो सकती हैं. ये ⁠9 जजों के संविधान पीठ का फैसला है, जिसने 1978 से लेकर अभी तक के सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले पलट दिये हैं. सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूंड़ की अगुवाई वाली 9 जजों की बेंच दशकों पुराने इस विवाद पर अपना फैसला सुनाया है. भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने इस साल 1 मई को सुनवाई के बाद निजी संपत्ति मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिय था. मामले में फैसला सुनाते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘तीन जजमेंट हैं, मेरा और 6 जजों का… जस्टिस नागरत्ना का आंशिक सहमति वाला और जस्टिस धुलिया का असहमति वाला. हम मानते हैं कि अनुच्छेद 31सी को केशवानंद भारती मामले में जिस हद तक बरकरार रखा गया था, वह बरकरार है.   

LIVE Updates…

  • सीजेआई ने कहा, सभी निजी संपत्ति समुदाय के भौतिक संसाधन नहीं. कुछ निजी संपत्ति समुदाय के भौतिक संसाधन हो सकती हैं. ⁠9 जजों के संविधान पीठ का फैसला. 1978 से लेकर अभी तक के सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले पलटे. 
  • CJI ने कहा, ‘सामग्री और समुदाय शब्दों का प्रयोग निरर्थक अतिश्योक्ति नहीं है.’
  • सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘व्यापक विधायी व्याख्या के संदर्भ की आवश्यकता नहीं है. संविधान के पाठ से यह स्पष्ट है कि 42वें संशोधन की धारा-4 को शामिल करने का संसद का इरादा विधायिका की शक्ति को शामिल करना था. संसद की स्पष्ट मंशा को देखते हुए यह देखा जा सकता है कि इस शब्द को निरस्त करने का कोई इरादा नहीं था. अनुच्छेद 31सी का असंशोधन पुनर्जीवित हो गया.
यह भी पढ़ें :-  'आप लोग इतने गंभीर हैं...' PM मोदी ने ऐसा क्‍या कहा कि मुस्कुरा दिए CJI चंद्रचूड़

निजी संपत्ति को सामुदायिक संसाधन माना जा सकता है? इस सवाल पर सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संविधान पीठ फैसला सुना रही है. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस बी वी नागरत्ना, जस्टिस सुधांशु धूलिया, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस राजेश बिंदल, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की संविधान पीठ फैसला सुना रही है. 

सुप्रीम कोर्ट आज निजी संपत्ति मामले में कुल 16 याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाएगी. इनमें मुख्‍य याचिका मुंबई के प्रॉपर्टी मालिकों के संघ की है. साल 1986 में महाराष्ट्र में कानून में किए गए संशोधन को चुनौती दी गई है, जिसमें प्राइवेट बिल्डिंग के अधिग्रहण का अधिकार, मरम्मत और सुरक्षा के लिए अधिग्रहण का अधिकार शामिल है. याचिकाकर्ता का कहना है कि कानून में किया गया ये संशोधन भेदभाव पूर्ण है. निजी संपत्ति पर कब्जे की कोशिश है. वहीं, महाराष्‍ट्र सरकार का कहना है कि ये संविधान के मुताबिक संशोधन है. 

निजी संपत्ति मामले में अनुच्छेद 39(B) विवाद की प्रमुख जड़ है. दरअसल, 39(B) की अलग-अलग व्याख्या की गई हैं. अलग-अलग बेंच व्याख्या में उलझती रही है. इससे यह साफ नहीं है कि कौन सी चीज ‘समुदाय का संसाधन’ है और क्या नहीं? 39(B) संविधान के चौथे भाग में आता है. संविधान का ये हिस्सा DPSP कहलाता है. DPSP की बातें लागू करने के लिए सरकार बाध्य नहीं है. हालांकि, याचिकाकर्ताओं की मांग है कि संसाधनों का स्वामित्व और बंटवारा इस तरह हो, जिससे आम लोगों की भलाई हो.



Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button