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क्या तलाक के समय पति को भी मिल सकता है गुजारा भत्ता? जानें क्या है नियम


नई दिल्ली:

कहते हैं शादी सिर्फ दो लोगों का नहीं, बल्कि दो परिवारों का मिलन होता है. लेकिन जब ये रिश्ता टूटता है, तो कई भावनात्मक और कानूनी पहलू सामने आते हैं. तलाक के बाद सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक होता है गुजारा भत्ता यानी Alimony. जो आर्थिक रूप से कमजोर जीवनसाथी को दी जाने वाली सहायता होती है. यह सुनिश्चित करता है कि तलाक के बाद भी कोई व्यक्ति अपने जीवनयापन के लिए संघर्ष न करे. लेकिन सवाल ये कि ये जो Alimony का पैसा है इसका निर्धारण किस आधार पर किया जाता है. सवाल ये भी क्या सिर्फ पत्नी को ही गुजारा भत्ता मिलता है या फिर पति भी इसका हकदार हो सकता है?

Photo Credit: Dhanashree Verma Instagram

बीते दिनों भारतीय क्रिकेटर युजवेंद्र चहल और धनश्री वर्मा के तलाक की खबरें सुर्खियों में रही हैं. बॉम्बे हाई कोर्ट के फैमिली कोर्ट को युजवेंद्र और धनश्री के तलाक को मंजूर कर दिया है. अब जो बात चर्चा का विषय बनीं हुई है वो है Alimony के पैसे. तलाक के बाद युजवेंद्र चहल को धनश्री वर्मा को Alimony के तौर पर 4 करोड़ 75 लाख रुपये देने का आदेश दिया गया है.

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भारत में गुजारा भत्ते का निर्धारण कई चीजों पर निर्भर करता है और ये हिंदू विवाह अधिनियम 1955, विशेष विवाह अधिनियम 1954, क्रिश्चियन मैरिज एक्ट 1872, और मुस्लिम पर्सनल लॉ जैसे विभिन्न कानूनों के तहत तय किया जाता है. 

Alimony का निर्धारण कैसे किया जाता है?

  • गुजारा भत्ता स्थायी या अस्थायी हो सकता है. इसे तय करने के लिए न्यायालय यह देखता है कि दोनों में से किसकी आर्थिक स्थिति मजबूत है और किसे सहायता की आवश्यकता है. यानी पति-पत्नी की आय और संपत्ति.
  • लंबी अवधि तक चले विवाहों में आमतौर पर गुजारा भत्ता अधिक दिया जाता है.
  • अगर पत्नी आर्थिक रूप से निर्भर है और उसके पास आय का कोई स्रोत नहीं है, तो उसे गुजारा भत्ता मिल सकता है.
  • तलाक से पहले पति-पत्नी जिस जीवनशैली में रह रहे थे, उसे ध्यान में रखते हुए न्यायालय गुजारा भत्ता तय करता है.
  • अगर बच्चों की जिम्मेदारी किसी एक पक्ष के पास है, तो न्यायालय यह तय करता है कि Alimony की राशि कितनी होनी चाहिए.
  • पति-पत्नी की शारीरिक और मानसिक स्थिति अगर किसी पक्ष को कोई बीमारी है या वह किसी वजह से कमाने में असमर्थ है, तो उसे गुजारा भत्ता मिल सकता है.
  • अगर तलाक का कारण क्रूरता या Adultery है तो दोषी पक्ष को भत्ता नहीं मिल सकता.
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क्या पति को भी गुजारा भत्ता मिल सकता है?

भारत में पति को भी गुजारा भत्ता मिल सकता है. पहले गुजारा भत्ता सिर्फ पत्नी को ही दिया जाता था, लेकिन हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 24 और 25 के तहत पति भी Alimony मांग सकते है. इसके लिए कुछ शर्तें हैं. पहली, पत्नी की आय पति से अधिक हो. दूसरी, पति आर्थिक रूप से निर्भर हो या उसकी आय न हो. तीसरी, पति बीमार, विकलांग या किसी अन्य कारण से काम करने में असमर्थ हो. चौथी,तलाक के बाद पत्नी की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी हो और वह आर्थिक रूप से सक्षम हो.

हालांकि अदालत केस-दर-केस आधार पर फैसला करती है कि पति को गुजारा भत्ता मिलना चाहिए या नहीं. आमतौर पर मासिक गुजारा भत्ता पति या पत्नी की मासिक आय के 25% तक हो सकता है. अगर भत्ता एक साथ दिया जा रहा हो तो कुल संपत्ति का एक तिहाई या एक पाचंवा हिस्सा हो सकता है. हालांकि यह राशि केस-टू-केस बदल भी सकती है.

गुजारा भत्ता कब बंद हो सकता है?

एलिमनी बंद हो सकती है अगर गुजारा भत्ता प्राप्त करने वाला दोबारा शादी कर ले. अगर प्राप्तकर्ता की आर्थिक स्थिति बेहतर हो जाए. अगर प्राप्तकर्ता खुद-से-खुद कमा सके और आत्मनिर्भर हो जाए. अगर कोई पक्ष कोर्ट में साबित कर दे कि गुजारा भत्ता देना अनुचित है.

दूसरे देशों की बात करें तो हर देश में गुजारा भत्ते के नियम लग होते हैं, लेकिन लगभग सभी जगहों पर विवाह की अवधि, दोनों पक्षों की आर्थिक स्थिति और आत्मनिर्भरता को ध्यान में रखा जाता है.

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