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कैप्टन रीना वर्गीज, जानें नक्सलियों के पंजे से घायल कमांडो को निकालने वाली ये पायलट कौन है

नक्सलियों के पंजे से घायल कमांडो को निकालने वाली पायलट कैप्टन रीना वर्गीज (Captain Reena Varughese) की बहादुरी की चर्चा हर तरफ हो रही है. एक महिला कैप्टन ने नक्सलियों वाले  हाई रिस्क इलाके से घायल कमांडो को बचा लिया. जिसके बाद खून से लथपथ कमांडो को तुरंत गढ़चरौली भेजा गया. वहां से उसे नागपुर रेफर कर दिया गया. फिलहाल उसकी हालत स्थिर है. रीना वर्गीज की वजह से ही ये संभव हो सका. उन्होंने समय रहते कमांडो को नक्सलियों से बचा लिया. 

रीना वर्गीज अपने शुरुआती दिनों में वह एक नौसिखिया पायलट थीं. उस दौरान माओवादियों ने महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में फैले ‘पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी’ मुख्यालय, अबुजमाढ़ के किनारे लाहेरी में सीनियर  पुलिस और मतदान अधिकारियों को ले जा रहे एक हेलीकॉप्टर को निशाना बनाया था. ये बात 2009 की है. तब भी उन्होंने बहादुरी का प्रदर्शन किया था. 

घायल कमांडो को नक्सलियों के पंजे से बचाया

रीना वर्गीज का 15 साल पहले का वह अनुभव एक बार फिर से काम आया. जब उनके 13 सीटों वाले डॉफिन-एन पवन हंस हेलिकॉप्टर ने गढ़चिरौली से उड़ान भरी और 100 किमी दूर माओवादी गढ़ में पहुंच गया. पीएलजीए के कब्जे वाले अड्डे की घेराबंदी के बीच एक घायल सी-60 कमांडो को बचाने के लिए रीना वर्गीज ने काफी जोखिम उठाया था. उन्होंने मोर्टार दागे जाने की परवाह न करते हुए साहसिक ऑपरेशन को अंजाम दिया. इस ऑपरेशन में पांच नक्सली मारे गए. दरअसल कैप्टन रीना को हाई रिस्क वाले इलाकों में रेस्क्यू ऑपरेशन का अनुभव था. 

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कैप्टन रीना वर्गीज ने मुश्किल ऑपरेशन को दिया अंजाम

सूत्रों के मुताबिक, पर्दे के पीछे रहना पसंद करने वाली रीना वर्गीज जानती थीं कि चट्टानी,जंगली इलाके में उतरना असंभव है. अपने को-पायलट को जिम्मेदारी सौंपते हुए उन्होंने हेलिकॉप्टर से नीचे छलांग लगा दी. ये हेलीकॉप्टर  उड़ती धूल के बीच जमीन से 11 फीट ऊपर घूम रहा था. 

असंभव को संभव कर दिखाया, घायल कमांडो को बचाया

हवाई हमलों का मुकाबला करने के लिए मानवरहित ड्रोनों का एक बेड़ा रखने लिए जाने जाने वाले नक्सलियों के लिए यह हेलिकॉप्टर नाकाफी था, लेकिन इन सब चुनौतियों के बीच रीना वर्गीज ने वो कर दिखाया जो असंभव सा लग रहा था. उन्होंने बहादुरी दिखाते हुए घायल सी-60 कमांडो को सुरक्षित बाहर निकाला.तीन गोलियां लगने से घायल वह कमांडो खून से लथपथ हालत में तीन घंटे तक वहीं पड़ा हुआ था. इस बीच कैप्टन रीना उनके लिए किसी मसीहा से कम नहीं थीं. 

रीना वर्गीज को हाई रिस्क इलाकों में रेस्क्यू ऑपरेशन का अनुभव

सूत्रों के मुताबिक, रीना वर्गीज ने छत्तीसगढ़ के जगदलपुर, सुकमा और चिंतागुफा के नक्सल प्रभावित समेत हाई रिस्क इलाकों में रेस्क्यू ऑपरेशन में अपने अनुभवों को इस चुनौती में भी जमकर इस्तेमाल किया. घायल कमांडो को 30 मिनट के भीतर गढ़चिरौली पहुंचाया, जहां से उन्हें नागपुर के एक अस्पताल भेजा गया. मंगलवार शाम तक उनकी हालत स्थित थी.

रीना वर्गीज ने पायलट ट्रेनिंग से पहले एरोनोटिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया था. वह करोना महामारी के दौरान लक्षद्वीप से कोच्चि तक कोविड रोगियों को ले जाने के लिए चलाए गए ऑपरेशन पवन हंस का भी हिस्सा रहीं. 
 

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