कैश फॉर क्वेश्चन केस : महुआ मोइत्रा के सबसे कठिन 22 घंटे? एक के बाद एक लगातार आईं तीन आफत!
पहला – बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी ने एफिडेविट देकर सार्वजनिक तौर पर ये माना कि वो महुआ मोइत्रा के करीबी हैं और उनकी तरफ से संसद की आधिकारिक ईमेल आईडी से खुद सवाल पूछ चुके हैं.
दूसरा – दिल्ली हाईकोर्ट में महुआ के वकील को जज से तगड़ी फटकार लगी है, जिसके बाद वकील गोपाल शंकरनारायणन को केस से हटना पड़ा.
तीसरा – एथिक्स कमेटी के अध्यक्ष विनोद सोनकर ने The Hindkeshariसे कहा कि उनको हीरानंदानी का एफिडेविट मिल गया है और प्राइमा फेसी ये गंभीर मामला लगता है.
एथिक्स कमेटी के चेयरमैन और बीजेपी सांसद विनोद सोनकर ने बताया कि महुआ मोइत्रा मामले में उनको कई दस्तावेज़ मिले हैं और शुरुआती तौर पर ये प्रकरण बहुत गंभीर दिखाई देता है.
इसके बाद दुर्गा पूजा करने के लिए बंगाल गईं महुआ मोइत्रा ने एक्स पर पोस्ट किया, “एथिक्स कमेटी के चेयरमैन खुलकर मीडिया से बात कर रहे हैं. कृपया लोकसभा के नियमों को देखिए. ‘एफिडेफिट’ कैसे मीडिया तक पहुंच गया? चेयरमैन को पहले इस मामले की जांच करानी चाहिए कि ये मीडिया तक कैसे लीक हो गया. मैं दोहराती हूं – बीजेपी का एक प्वाइंट एजेंडा है कि मुझे बर्खास्त कराया जाए, ताकि मैं चुप हो जाऊं.”
इस पोस्ट के साथ उन्होंने लोकसभा की रूलबुक की तस्वीर भी पोस्ट की है, जिसका मतलब है कि कमेटी की सुनवाई होने तक कोई भी जानकारी किसी को भी सार्वजनिक नहीं करनी है. जब तक कि स्पीकर की अनुमति ना हो या इन सबूतों को सदन में पेश ना कर दिया गया हो.
महुआ ने की डील की कोशिश!
दरअसल, हुआ ये कि कोर्ट में सुनवाई शुरू होने पर मुख्य शिकायतकर्ता जय अनंत देहाद्रई जो कि अपना मुकदमा खुद लड़ रहे हैं, उन्होंने कोर्ट को बताया कि कल रात शंकर नारायण ने उनसे संपर्क कर कहा कि वो कुत्ते (हेनरी) के बदले सीबीआई को दी गई शिकायत वापस ले लें. जय अनंत ने ये बताया कि उनके पास इस बातचीत की रिकार्डिंग भी है. तब जज ने महुआ के वकील से पूछा कि जब मध्यस्थता कर रहे हो तो फिर वकील के तौर पर कैसे पेश हो सकते हो.
जज की फटकार के बाद वकील ने महुआ से पल्ला झाड़ा
जज के क्रॉस क्वेश्चनिंग के बाद गोपाल नारायण ने माना कि उन्होंने कल रात सेटलमेंट के लिए जय अनंत से संपर्क किया था. नारायण ने ये भी बताया कि उन्होंने महुआ मोइत्रा के कहने पर संपर्क किया था. इसके बाद गोपाल शंकर नारायण से जज ने फटकारते हुये पूछा कि क्या आप अभी भी मुकदमा में बने रहना चाहेंगे. तब कोर्ट का मूड भांपते हुए नारायण ने कहा कि मैं नाम वापस लेता हूं. इसके बाद कोर्ट ने इस मामले की अगली तारीख 31 अक्टूबर की दे दी. जज की फटकार के बाद वकील ने महुआ से पल्ला झाड़ लिया.
इधर जिस उद्योगपति दर्शन हीरानंदानी के हितों के लिए सवाल पूछने का आरोप टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा पर है. उन दर्शन हीरानंदानी ने स्वीकार कर लिया कि जो भी आरोप उनपर लगे हैं, वो सब सच हैं. दर्शन हीरानंदानी ने अपना दस्तखत किया हुआ एफिडेविट एथिक्स कमेटी को सौंप दिया है.
कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के हलफनामे के बाद महुआ मोइत्रा ने भी एक्स पर अपना जबाव दिया. जिसके मुताबिक, हीरानेदानी पर दबाव डालकर ये एफिडेविट बनवाया गया है. महुआ मोइत्रा ने लिखा है कि प्रधानमंत्री कार्यालय के कहने पर हीरानंदानी का ये एफिडेविट तैयार कराया गया है. एक सादे काग़ज़ पर लिखवाकर हीरानंदानी से हस्ताक्षर कराया गया. हीरानंदानी CBI, किसी जांच एजेंसी या संसदीय आचार समिति से तलब नहीं हुए. हीरानंदानी ने ये हलफ़नामा किसे दिया है? हीरानंदानी ने अगर हलफ़नामा दिया, तो ये नोटरी पेपर या लेटरहेड पर क्यों नहीं है? ये हलफ़नामा मीडिया के एक गिने-चुने वर्ग को लीक किया गया.
लेकिन इतने लंबे और विस्तृत जवाब में भी सांसद महुआ मोइत्रा ने दो सबसे ठोस दिख रहे आरोपों पर चुप्पी साध ली.
- हीरानंदानी ने कबूल किया कि उन्होंने महुआ के संसद के लॉग-इन और पासवर्ड का इस्तेमल किया और कई सवाल सीधे ही पोस्ट किए. महुआ इस पर खामोश हैं.
- हीरानंदानी ने माना कि महुआ मोइत्रा कई विदेशी मीडिया हाउस और कुछ लोगों के संपर्क में थीं, ताकि अदाणी समूह को घेरा जा सके. महुआ इस इल्जाम पर भी चुप्पी साध गई हैं.