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'वन नेशन, वन इलेक्शन' को लेकर केंद्र जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम में करेगा संशोधन


नई दिल्ली:

केंद्र सरकार लोकसभा में ‘जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019’ में संशोधन के लिए एक विधेयक पेश करेगी, ताकि केंद्र शासित प्रदेश को ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पहल के साथ जोड़ा जा सके. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने The Hindkeshariसे कहा कि मौजूदा केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा अपना पूर्ण कार्यकाल पूरा करेगी, और यदि विधानसभा का कार्यकाल समय से पहले समाप्त होता है, तो केवल शेष अवधि के लिए मध्यावधि चुनाव कराए जाएंगे. केंद्र इस दिशा में एक विधेयक पेश करने जा रहा है.

अधिकारी ने बताया कि यह कदम जम्मू-कश्मीर को इस पहल के साथ जोड़ने के लिए कानून में संशोधन करने की अनुमति देगा. लोकसभा में सोमवार को निर्धारित कार्यसूची के अनुसार, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ‘केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक-2024’ पेश करेंगे. इस विधेयक के माध्यम से ‘केंद्र शासित प्रदेश शासन अधिनियम, 1963’, ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली शासन अधिनियम, 1991’ और ‘जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019’ में संशोधन किया जाएगा.

केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल द्वारा पेश किए जाने वाले ‘केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक-2024’ के तहत, ‘केंद्र शासित प्रदेश शासन अधिनियम, 1963’ और ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली शासन अधिनियम, 1991’ में संशोधन का उद्देश्य क्रमशः पुडुचेरी और दिल्ली की विधानसभा चुनावों को लोकसभा चुनावों के साथ समन्वित करना है. वहीं, ‘जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019’ में प्रस्तावित संशोधन जम्मू-कश्मीर के चुनावी चक्र को लोकसभा चुनावों के साथ जोड़ेगा.

संशोधनों के अनुसार, ‘जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019’ में यह प्रावधान किया गया है कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा का कार्यकाल लोकसभा के पूर्ण कार्यकाल की समाप्ति पर समाप्त होगा.  विधेयक में कहा गया है कि समानांतर चुनाव एक तय तिथि से प्रभावी होंगे, जिसे राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा के आम चुनाव के बाद पहली बैठक के दिन अधिसूचित किया जाएगा.

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अधिकारी ने The Hindkeshariको बताया कि चूंकि 2024 में चुनी गई लोकसभा की पहली बैठक पहले ही हो चुकी है, इसलिए समानांतर चुनावों के लिए अधिसूचित की जाने वाली सबसे प्रारंभिक तिथि 2029 के चुनाव में चुनी गई. लोकसभा की पहली बैठक हो सकती है. इसका अर्थ है कि समानांतर चुनाव 2034 तक हो सकते हैं, जब उस लोकसभा का पूर्ण कार्यकाल समाप्त होगा.


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