चंपई सोरेन : पिता के साथ खेतों में हल चलाने से लेकर मुख्यमंत्री पद तक का तय किया सफर
मुख्यमंत्री के तौर पर राज्य की बागडोर संभालने वाले चंपई सातवें व्यक्ति हैं. उनसे पहले बाबूलाल मरांड़ी, अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन, मधु कोड़ा, रघुवर दास और हेमंत सोरेन झाऱखंड के मुख्यमंत्री रहे. शिबू सोरेन और उनके बेटे हेमंत के बाद झामुमो से मुख्यमंत्री बनने वाले वह तीसरे नेता हैं.
मैट्रिक तक की पढ़ाई और कम उम्र में शादी
चंपई ने झामुमो विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मैं अपने पिता (सिमल सोरेन) के साथ खेतों में काम किया करता था…अब किस्मत ने मुझे एक अलग भूमिका निभाने का मौका दिया है.”
सरकारी स्कूल से मैट्रिक तक की पढ़ाई करने वाले चंपई की शादी काफी कम उम्र में ही हो गई थी. उनके चार बेटे और तीन बेटियां हैं.
1991 में बने थे पहली बार विधायक
उन्होंने 1991 में सरायकेला सीट से उपचुनाव में निर्दलीय विधायक चुने जाने के साथ अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत की.
इसके चार साल बाद उन्होंने झामुमो के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा और भाजपा उम्मीदवार पंचू टुडू को हराया था. वहीं, 2000 के विधानसभा चुनाव में इसी सीट पर वह भाजपा के अनंत राम टुडू से हार गए.
उन्होंने 2005 में, भाजपा उम्मीदवार को 880 मतों के अंतर से शिकस्त देकर इस सीट पर फिर से अपना कब्जा जमा लिया.
अर्जुन मुंडा सरकार में भी रहे मंत्री
चंपई ने 2009, 2014 और 2019 के चुनावों में भी जीत हासिल की. वह सितंबर 2010 से जनवरी 2013 के बीच अर्जुन मुंडा नीत भाजपा-झामुमो गठबंधन सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे थे. हेमंत सोरेन ने 2019 में राज्य में जब दूसरी बार सरकार बनाई, तब चंपई खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति और परिवहन मंत्री बनाये गए.
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