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इंग्लैंड में भी मनाई गई छठ, 2000 लोगों के साथ वरिष्ठ राजनेता भी हुए पूजा में शामिल

“हम भारतीय जहां भी रहें, अपने त्यौहारों को कभी नहीं भूल सकते”

नॉर्थम्प्टन:

छठ पर्व सिर्फ हिंदुस्तान के बिहार, यूपी, दिल्ली आदि में ही नहीं, बल्कि विदेश तक में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है. इंग्लैंड के नॉर्थम्प्टन में 2000 से अधिक श्रद्धालुओं ने एक साथ मिलकर सामुदायिक रूप से छठ पूजा की. यहां, बिहार कनेक्‍टर (Bihari Connect) सोसाइटी के मंच तले 18 लोग पारंपरिक तरीके से एक साथ छठ व्रत का परंपरागत रूप से पालन कर रहे हैं.

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बाथ के पूर्व उप-मेयर और कंजर्वेटिव पार्टी के उपाध्यक्ष डॉ. युक्तेश्वर कुमार भी इस वर्ष नॉर्थम्प्टन में पूजा कर रहे हैं. डॉ. युक्तेश्वर कुमार ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के बहुत करीबी भी हैं. यह इतिहास में पहली बार है कि इंग्लैंड के एक वरिष्ठ राजनीतिज्ञ ने खुद छठ पूजा की है. एनडीटीवी से बात करते हुए युक्तेश्वर कुमार कहते हैं कि हम भारतीय जहां भी रहें, अपने त्यौहारों को कभी नहीं भूल सकते हैं. सभी देशवासियों को इंग्लैड में रह रहे सभी भारतीयों की तरफ से छठ पूजा की शुभकामनाएं… साथ ही हम दुआ करते हैं कि छठी मैया के आशीर्वाद से एक नया प्रकाश और खुशी का संसार में प्रसार होगा.

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छठ पूजा का पर्व चार दिनों का होता है. ये भैयादूज के तीसरे दिन से शुरू होता है. पहले दिन को नहाय खाय कहा जाता है. इसमें घर की सफाई करके पवित्र किया जाता है, जिसके बाद नजदीक नदी, तालाब में जाकर स्नान करते है. इस दिन सेंधा नमक, घी से बना हुआ अरवा चावल और कद्दू की सब्जी प्रसाद के रूप में ली जाती है. छठ पर्व का दूसरा दिन जिसे खरना या लोहंडा के नाम से जाना जाता है. व्रति दिनभर अन्न-जल त्याग कर शाम करीब 7 बजे से खीर बनाकर, पूजा करने के उपरान्त प्रसाद ग्रहण करते हैं, तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य यानी दूध अर्पण करते हैं.

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छठ पर्व का तीसरा दिन जिसे संध्या अर्घ्य के नाम से जाना जाता है, चैत्र या कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है. पूरे दिन सभी लोग मिलकर पूजा की तैयारियां करते है. छठ पूजा के लिए विशेष प्रसाद जैसे ठेकुआ, चावल के लड्डू (कचवनिया) बनाया जाता है.. छठ पूजा के लिए एक बांस की बनी हुई टोकरी जिसे दउरा कहते हैं, उसमें पूजा के प्रसाद, फल डालकर देवकारी में रख दिया जाता है. 

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वहां पूजा अर्चना करने के बाद शाम को एक सूप में नारियल, पांच प्रकार के फल और पूजा का अन्य सामान लेकर दउरा में रख कर घर का पुरुष अपने हाथो से उठाकर छठ घाट पर ले जाता है. यह अपवित्र न हो इसलिए इसे सर के ऊपर की तरफ रखते हैं. छठ घाट की तरफ जाते हुए रास्ते में हमेशा महिलाये छठ का गीत गाते हुए जाती है. अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य चढ़ाते हैं. पूजा में पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है. लहसून, प्याज वर्जित होता है, जिन घरों में यह पूजा होती है, वहाँ भक्तिगीत गाये जाते हैं.

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