आठवीं अनुसूची में छत्तीसगढ़ी भाषा जल्द ही शामिल होगी: संस्कृति मंत्री राजेश अग्रवाल….

रायपुर: छत्तीसगढ़ राजभाषा दिवस के अवसर पर पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री राजेश अग्रवाल मुख्य अतिथि के रूप में संस्कृति विभाग के अडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम में रायपुर उत्तर विधायक श्री पुरन्दर मिश्रा, धरसींवा विधायक श्री अनुज शर्मा, छत्तीसगढ़ फिल्म विकास निगम की अध्यक्ष सुश्री मोना सेन, छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष श्री शशांक शर्मा, संचालक संस्कृति एवं राजभाषा श्री विवेक आचार्य, छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग की सचिव डॉ. अभिलाषा बेहार उपस्थित रहीं। अतिथियों का स्वागत पारंपरिक छत्तीगढ़िया तरीके से खुमरी पहना कर किया गया। कार्यक्रम की सबसे विशेष बात यह रही कि सभी अतिथियों ने अपना उद्बोधन छत्तीसगढ़ी में दिया।
छत्तीसगढ़ी में उद्बोधन देते हुए मंत्री श्री अग्रवाल ने कहा कि आठवीं अनुसूची में छत्तीसगढ़ी को शामिल करने के लिए पूर्व में प्रयास हो चुके हैं तथा अब पूरी तैयारी के साथ केंद्र को प्रस्ताव भेजकर इसे जल्द पूरा किया जाएगा। उन्होंने प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में बोली जाने वाली छत्तीसगढ़ी की विविधता पर जोर देते हुए प्रसिद्ध कहावत ‘‘कोस-कोस पर पानी बदले, चार कोस पर बानी‘‘ का उल्लेख किया तथा सभी बोलियों को समाहित कर भाषा को समृद्ध बनाने का संकल्प लिया।

साहित्यकारों को उनके छत्तीसगढ़ी भाषा में योगदान के लिए बधाई दी तथा छत्तीसगढ़ी साहित्यकारों द्वारा लिखित पुस्तकों का विमोचन भी किया। मंत्री श्री अग्रवाल ने संस्कृति विभाग परिसर में लगाई गई छत्तीसगढ़ी किताबों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया तथा सेल्फी प्वाइंट पर अपनी सेल्फी भी ली।

छह साहित्यकारों का सम्मान, 13 पुस्तकों का विमोचन
कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रति योगदान हेतु पद्मश्री धर्मपाल सैनी (जगदलपुर), सरला शर्मा (दुर्ग), एस.पी. जायसवाल (सरगुजा), हेमलाल साहू निर्माेही (दुर्ग), डॉ. प्रकाश पतंगीवार (रायपुर) तथा काशी साहू (बिलासपुर) को मुख्य अतिथियों ने छत्तीसगढ़ी भाषा एवं साहित्य में उनके योगदान हेतु सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ी भाषा में लिखी पुस्तकों का विमोचन भी किया गया जिसमें ‘‘आठवीं अनुसूची में छत्तीसगढ़ी‘‘ प्रधान संपादक डॉ. अभिलाषा बेहार, संपादक डॉ. सुधीर शर्मा, ‘‘छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग प्रांतीय सम्मेलन 2024 की स्मारिका‘‘, श्री सदाराम सिन्हा ‘स्नेही‘ कृत ‘‘सूरूज खड़े मुहाटी म‘‘, स्व. नोहरलाल साहू ‘अधमरहा‘ कृत ‘‘हाना के तराना‘‘, श्री मकसूदन साहू कृत ‘‘बरीवाला‘‘, श्री अरविंद मिश्र कृत ‘‘छत्तीसगढ़ी शब्द सामरथ‘‘, डॉ. राघवेन्द्र दुबे कृत ‘‘मोर छत्तीसगढ़ के माटी‘‘, डॉ. किशन टण्डन कृत ‘‘भुंइयां के भगवान‘‘, श्री जमुना प्रसाद चौहान कृत ‘‘मया के खोंदरा‘‘, डॉ. नरेन्द्र वर्मा कृत ‘‘मैं बेटा किसान के‘‘, डॉ. विवेक तिवारी कृत ‘‘हमर परियावरन‘‘, स्व. भूषण लाल परगनिहा कृत ‘‘श्री गउ रामायन‘‘, श्री विकास कश्यप कृत ‘‘एक दिया‘‘, श्री बलराम मिर्झा कृत ‘‘मन चंगा तो कठौती में गंगा‘‘ और श्रीमती आशा झा कृत ‘‘मया भरे आंखी‘‘ प्रमुख हैं।
कविता पाठ, गोष्ठी और प्रदर्शनी से सजा समारोह
कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ी किताबों की प्रदर्शनी, साहित्यकारों द्वारा कविता पाठ, आठवीं अनुसूची हेतु चर्चा गोष्ठी आयोजित हुई। छत्तीसगढ़ी साहित्यकारों ने कविता पाठ से अतिथियों को मंत्र मुग्ध कर दिया। यह समारोह छत्तीसगढ़ी भाषा के संवर्धन में मील का पत्थर साबित हुआ।



