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बच्चे स्कूल में थे, मां-बाप बारूद में उड़ गए : हरदा के मासूमों के आंसुओं का जवाब कौन देगा?

हरदा की पटाखा फैक्ट्री में 7 मिनट में 2 धमाके हुए. हादसे के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन के बीच कई दर्दनाक कहानियां भी सामने आ रही हैं. अवैध फैक्ट्री में हुए धमाके में सोनू और मोनू (बदला हुआ नाम) ने अपने मां और पिता दोनों को खो दिया है. हादसे के वक्त ये बच्चे स्कूल में थे. मां-बाप दिहाड़ी के लिए फैक्ट्री में काम कर रहे थे. अचानक धमाका हुआ और दोनों बारूद में उड़ गए. अगर प्रशासन ने रिहायशी इलाके में चल रहे इस पटाखे की फैक्ट्री से अपनी आंखें फेर ना ली होती, तो शायद ये बच्चे यतीम (अनाथ) नहीं होते.

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नेहा चंदेल नाम की एक लड़की के माता-पिता की मौत इस धमाके में हो गई. घटना के वक्त वो कोचिंग गई हुई थी, इसलिए बच गई. लेकिन घर लौटने पर उसने देखा कि उसका घर धमाके में उड़ चुका है. अब उसके सिर पर अपने छोटे भाई और बहनों की जिम्मेदारी आ पड़ी है.

स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकारी दफ्तरों में शिकायतों की कॉपियां धूल फांकती रही. इधर, पटाखों की फैक्ट्री चलती रही. मंगलवार को हुए हादसे में बुजुर्ग महिला मीना देवी के बेटे और बहू के चिथड़े उड़ गए. धमाके की चपेट में आकर इनका घर भी जलकर राख हो गया. एक और महिला मीनाक्षी देवी के भाई और भाभी की मौत इस हादसे में हो गई है.

कइयों को गंवाने पड़े हाथ-पैर या आंख

हादसे में जिनकी मौत नहीं हुई, लेकिन उन्हें जिंदगी भर का दर्द मिला. कइयों को हाथ-पैर, आंख सहित अन्य जगह शरीर पर चोट लग गई. किसी को अपनी कलाई गंवानी पड़ी. किसी को अपने पैर गंवाने पड़े. इस हादसे में हाथ-पैर गंवाने वालों में बच्चे भी शामिल हैं और वयस्क भी.

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मंगलवार सुबह करीब 11 बजे हुआ पहला धमाका

हरदा शहर के मगरधा रोड पर बैरागढ़ इलाके में करीब 200 से ज़्यादा लोग पटाखे बनाने के काम में लगे हुए थे. मंगलवार सुबह करीब 11 बजे लोगों ने फैक्ट्री में पहला विस्फोट सुना. फैक्ट्री के आसपास के इलाके में अफरा-तफरी मच गई. लोग भागने लगे और सुरक्षित जगह पर पहुंचने की कोशिश करने लगे. 

बताया जाता है कि यह पटाखा फैक्ट्री 20 साल से संचालित थी. धमाका इतना भयानक था कि शहर से करीब 40 किलोमीटर दूर तक धरती दहल उठी थी. इस फैक्ट्री में इसमें पहले भी हादसा हो चुका है. उस वक्त भी कई लोगों की जान चली गई थी. 

धमाके के बाद गिर रहे थे आग के गोले

एक दूसरे स्थानीय निवासी अमरदास सैनी अपने घर पर थे जब सुबह करीब 11 बजे पहला विस्फोट हुआ. उन्होंने कहा, ‘जब पहला विस्फोट हुआ तब मैं घर पर था. मेरी पत्नी खाना बना रही थी. हम धमाकों के बीच भागे, बजरी, कंक्रीट के टुकड़े और आग के गोले हम पर गिर रहे थे. सड़क से गुजर रही कई मोटरसाइकिलें बुरी तरह प्रभावित हुईं.” इस घटना में कई लोगों के शरीर के हिस्से क्षत विक्षत होकर यहां वहां बिखर गए.

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ठंड में सड़क पर रात बिताने को मजबूर लोग

हरदा हादसे में कई लोगों के घर उजड़ गए हैं. लिहाजा अब वो इस कड़कड़ाती ठंड में खुले आसमान के नीचे सड़कों पर गुजारा करने को मजबूर हैं. इलाके में रहने वाले एक व्यक्ति ने कहा कि उन्होंने इलाके से पटाखा फैक्ट्री को हटाने की मांग भी की थी, लेकिन इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया. 

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हरदा के SP का तबादला

हरदा के SP का तबादला हो गया है, लेकिन बारूद के ढेर पर एक अकेला हरदा नहीं बैठा है. देश के दूसरे हिस्सों की छोड़िए, सिर्फ मध्य प्रदेश में ही कई जगहों पर सरेआम पटाखों की फैक्ट्रियां चल रही हैं. हालांकि, हरदा हादसे के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने प्रदेश भर में अवैध फैक्ट्रियों पर कार्रवाई की. टीकमगढ़ से छतरपुर तक अवैध फैक्ट्रियां सील की गई हैं. कई गोदामों से विस्फोटक सामान ज़ब्त किया गया है.

फैक्ट्री मालिक समेत 3 लोगों को जेल 

हरदा हादसा मामले में फैक्ट्री मालिक राजेश अग्रवाल और सोमेश अग्रवाल के साथ रफीक खान नाम के आरोपी को बुधवार को कोर्ट में पेश किया गया. यहां से पटाखा फैक्ट्री के मालिक राजेश अग्रवाल के साथ ही रफीक खान को जेल भेज दिया. सोमेश अग्रवाल को रिमांड पर लिया है. पुलिस ने इन्हें मंगलवार की रात राजगढ़ जिले के सारंगपुर से गिरफ्तार किया था.

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