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CJI संजीव खन्ना ने CEC और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति मामले से खुद को किया अलग, दूसरी बेंच को भेजा


नई दिल्ली:

मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में CJI की भूमिका ख़त्म करने के केंद्र सरकार के कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर कल सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था. पिछले साल 2 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को पारदर्शी बनाने के लिए आदेश दिया था कि इन पदों पर नियुक्ति  चीफ जस्टिस,पीएम और विपक्ष के नेता वाली कमेटी द्वारा  की जाएं. ⁠लेकिन सरकार ने क़ानून लाकर इस नियुक्ति में चीफ जस्टिस की भूमिका को खत्म कर दिया था. इसी बीच आयोग में नई नियुक्तियां भी हो गई. 

इस क़ानून के खिलाफ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और  मध्यप्रदेश कांग्रेस नेता जया ठाकुर समेत कई लोगों ने अर्जी दायर की है. चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए बनी चयन समिति में चीफ जस्टिस की भूमिका ख़त्म करने वाले केंद्र सरकार के बनाए कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट जनवरी के दूसरे हफ्ते में सुनवाई करेगा 

हालांकि याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि मौजूदा मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार 18 फरवरी 2025 को रिटायर होने वाले हैं. यानी एक नियुक्ति होनी है तो कोर्ट उससे पहले इस मामले में निर्णय ले. कोर्ट फिलहाल सरकार को मौजूदा व्यवस्था के तहत इस पद पर नियुक्ति करने से रोक दे. हालांकि चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की पीठ ने इन दलीलों पर कोई गौर नहीं.किया. 

चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया. उन्होंने कहा कि मैं अंतरिम आदेश देने वाली पीठ का हिस्सा था. अब ये मामला जनवरी के दूसरे हफ्ते में नई बेंच के सामने सुनवाई के लिए लाया जाएगा. 

कोर्ट ने इस दौरान केंद्र और  निर्वाचन आयोग को याचिकाओं में उठाए गए मसलों पर जवाब दाखिल करने को कहा है.
पिछले साल 2 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति को पारदर्शी बनाने के लिए आदेश दिया था कि चूंकि निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति के लिए कोई तय संवैधानिक प्रक्रिया नहीं है लिहाजा इस पद पर नियुक्ति के लिए पैनल होगा. उसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में  विपक्ष के नेता और सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस होंगे.

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लेकिन सरकार ने क़ानून लाकर इस नियुक्ति के लिए बनाए चयन मंडल में चीफ जस्टिस की भूमिका को खत्म कर दिया था. अब नियुक्ति के लिए चयन मंडल में प्रधान मंत्री और लोकसभा में नेता विपक्ष के अलावा प्रधान मंत्री की ओर से नियुक्त एक मंत्री होते हैं.


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