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कांग्रेस ने नए आपराधिक न्याय कानूनों को वंचित तबकों के लिए बताया खतरनाक, जयराम ने यह कहा

जयराम रमेश ने कहा कि हल्के-फुल्के अंदाज में कहें तो भारतीय दंड संहिता की सबसे व्यापक रूप से ज्ञात धारा 420 अब इतिहास बन गई है.

नई दिल्ली:

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा तीन नए आपराधिक न्याय विधेयकों को मंजूरी दिए जाने के बाद कांग्रेस ने सोमवार को आरोप लगाया कि ये कानून समाज के सबसे वंचित वर्गों के लिये खतरनाक हैं. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘भारत के 146 सांसदों के जानबूझकर निलंबन की मदद से पिछले हफ्ते संसद में पारित किए गए तीन आपराधिक न्याय विधेयकों को अब राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है. कई प्रतिष्ठित वकील और न्यायविद पहले ही इसके खतरनाक परिणामों की ओर इशारा कर चुके हैं, खासकर समाज के सबसे वंचित वर्गों के लिए.’

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जयराम रमेश ने कहा, ‘हल्के-फुल्के अंदाज में कहें तो भारतीय दंड संहिता की सबसे व्यापक रूप से ज्ञात धारा 420 अब इतिहास बन गई है. इसने 1955 में राज कपूर-नरगिस की हिट फिल्म ‘श्री 420′ को भी प्रेरित किया था, जिसमें कई सुपरहिट गाने थे. अब से वह भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 316 होगी.’ उन्होंने तंज कसते हुए कहा, ‘कोई बात नहीं, ‘श्री 420’ नहीं, तो ‘श्री जी20′ ही सही!’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि नई भारतीय दंड संहिता और अधिक कठोर हो गई है. उन्होंने यह भी कहा कि 2024 में जो भी सरकार बने, उसे इन कानूनों की समीक्षा करनी चाहिए और ‘कठोर’ प्रावधानों को हटाना चाहिए. राष्ट्रपति मुर्मू ने संसद द्वारा पिछले सप्ताह पारित किए गए तीन नए आपराधिक न्याय विधेयकों को सोमवार को स्वीकृति प्रदान कर दी.

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तीन नए कानून – भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य कानून औपनिवेशिक काल के तीन कानूनों भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान लेंगे.

 

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