"कांग्रेस को राहुल, गांधी परिवार से बाहर भी सोचना चाहिए": जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल The Hindkeshariसे शर्मिष्ठा मुखर्जी
जयपुर :
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में हिस्सा लेने आईं देश के पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने The Hindkeshariसे खास बातचीत करते हुए कहा कि कांग्रेस को राहुल गांधी और गांधी परिवार से बाहर भी सोचना चाहिए. राहुल गांधी की आलोचना कांग्रेस की आलोचना नहीं है. मेरी किताब में इंदिरा गांधी, मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी से मेरे पिता के अच्छे संबंधों का जिक्र है. क्या वे सब कांग्रेस के नहीं हैं?
कांग्रेस के हालात से परेशान
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शर्मिष्ठा मुखर्जी ने लिटरेचर फेस्टिवल में पिता पर लिखी किताब के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि प्रणब मुखर्जी, इंदिरा गांधी के अंधभक्त थे. वे इंदिरा गांधी से पूछकर कपड़े पहनते थे. साथ ही उन्होंने बताया कि वह अपने जीवन के आखिरी दिनों में कांग्रेस के हालात से परेशान थे. मैं भी कांग्रेसी हूं और मौजूदा हालातों से मुझे भी परेशानी है. यह सिर्फ मेरी नहीं, बल्कि हर कांग्रेसी नेता के मन के हालात हैं.
बीजेपी में जाने की बात कोरी अफवाह
शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि मेरे बीजेपी में जाने की बात कोरी अफवाह है. मैंने राजनीति से संन्यास ले लिया है। मेरा किसी भी राजनीतिक दल का हिस्सा बनने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन मैं कांग्रेस की हार्डकोर समर्थक हूं.
इंदिरा गांधी से पूछकर कपड़े पहनते थे प्रणब मुखर्जी!
चर्चा के दौरान उन्होंने प्रणब मुखर्जी के अलग-अलग नेताओं से जुड़े संस्मरण भी साझा किए. उन्होंने बताया, “मेरे पिता मानते थे कि वे जो भी कुछ हैं, उसमें इंदिरा गांधी का बड़ा योगदान है. इंदिरा गांधी से उनके काफी अच्छे संबंध थे, वह राजनीति से परे थे. इंदिरा गांधी ने उन्हे एक अंग्रेजी शिक्षक रखने को भी कहा था, क्योंकि वे मानती थीं कि प्रणब मुखर्जी का अंग्रेजी का उच्चारण खराब था. यहां तक कि वे क्या कपड़े पहनेंगे, यह भी इंदिरा गांधी जी से पूछते थे.
मेरे पिता इंदिरा गांधी के अंधभक्त थे।
जब RSS कार्यक्रम में गए थे प्रणब मुखर्जी
शर्मिष्ठा मुखर्जी ने बताया कि मेरे पिता ने जब नागपुर में आरएसएस के कार्यक्रम में जाने का फैसला किया था, तब मैं काफी नाराज हुई थी. लेकिन तब उन्होंने समझाया कि लोकतंत्र में संवाद बहुत जरूरी है. उनके हर दल में संबंध थे. उन्होंने आरएसएस के मंच का इस्तेमाल अपनी विचारधारा को बताने के लिए किया था. वहां उन्होंने नेहरू के विचारों की बात की थी. धर्मनिरपेक्षता की बात की थी. उन्होंने कहा कि प्रणब, प्रधानमंत्री बनना चाहते थे, लेकिन नहीं बन पाए, वे समझते थे कि यह मुश्किल है. इसलिए जब राष्ट्रपति बनने का मौका आया, तो वे जरूर बनना चाहते थे.
शर्मिष्ठा मुखर्जी ने बताया कि राजीव गांधी से शुरुआती दिनों में प्रणब मुखर्जी के मधुर संबंध नहीं रहे, क्योंकि राजीव गांधी के आसपास गैर राजनीतिक लोगों का जमावड़ा था और प्रणब मुखर्जी ऐसे लोगों से दूर रहना चाहते थे. लेकिन मनमोहन से काफी अच्छे संबंध थे. मनमोहन सिंह ने प्रणब मुखर्जी के साथ हमेशा अच्छा व्यवहार किया. प्रधानमंत्री बनने के बावजूद उन्होंने कई बार प्रणब मुखर्जी को सर बोला. फिर प्रणब मुखर्जी ने उन्हे रोका, वे दोनों एक-दूसरे की बेहद इज्जत करते थे.
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