दुनिया

पाकिस्तान में जीवन-यापन की लागत पूरे एशिया में सबसे अधिक, महंगाई और बढ़ेगी : एडीबी

रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान अपने प्राथमिक बजट लक्ष्य से पीछे रह सकता है.

इस्लामाबाद:

पाकिस्तान में 25 प्रतिशत मुद्रास्फीति दर के साथ जीवन-यापन की लागत पूरे एशिया में सबसे अधिक है. एशियाई विकास बैंक (एडीबी) की ताजा रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई. मनीला में बृहस्पतिवार को जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था 1.9 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है. एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने बताया कि एशियाई विकास परिदृश्य ने अगले वित्त वर्ष के लिए एक निराशाजनक तस्वीर पेश की है, और इस दौरान 15 प्रतिशत मुद्रास्फीति दर और 2.8 प्रतिशत वृद्धि दर का अनुमान लगाया गया है.

एडीबी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में पाकिस्तान में मुद्रास्फीति की दर 25 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो पूरे एशिया में सबसे अधिक है. इस तरह एशिया में सबसे अधिक महंगाई पाकिस्तान में है. पाकिस्तान लंबे समय से मुद्रास्फीतिजनित मंदी के दौर में है और विश्व बैंक ने भी पिछले सप्ताह कहा था कि महंगाई के कारण यहां एक करोड़ लोग गरीबी के जाल में फंस सकते हैं. पाकिस्तान में लगभग 9.8 करोड़ लोग पहले से ही गरीबी में जी रहे हैं.

यह भी पढ़ें

इसी महीने विश्व बैंक ने भी कहा है कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बिगड़ रही है. उसने आगाह किया है कि नकदी संकट से जूझ रहे देश में एक करोड़ से अधिक लोग गरीबी रेखा के नीचे जा सकते हैं. विश्व बैंक की यह आशंका 1.8 प्रतिशत की सुस्त आर्थिक वृद्धि दर के साथ बढ़ती मुद्रास्फीति पर आधारित है जो चालू वित्त वर्ष में 26 प्रतिशत पर पहुंच गयी है.

यह भी पढ़ें :-  पाकिस्तान में होने वाले एससीओ सम्मेलन में शिरकत करेंगे पीएम मोदी? विदेश मंत्रालय का जवाब

रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान अपने प्राथमिक बजट लक्ष्य से पीछे रह सकता है. वह लगातार तीन साल तक घाटे में रह सकता है. यह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की शर्तों के उलट है. मुद्रा कोष ने अनिवार्य रूप से अधिशेष की स्थिति की शर्त रखी हुई है.

इसमें कहा गया है कि आर्थिक वृद्धि मामूली 1.8 प्रतिशत पर स्थिर रहने का अनुमान है. वहीं लगभग 9.8 करोड़ पाकिस्तानी के पहले से ही गरीबी रेखा के नीचे हैं. इसके साथ गरीबी की दर लगभग 40 प्रतिशत पर बनी हुई है.

विश्व बैंक ने आगाह किया कि बढ़ती परिवहन लागत के साथ-साथ जीवन-यापन खर्च बढ़ने कारण स्कूल न जाने वाले बच्चों की संख्या में वृद्धि की आशंका है. साथ ही इससे किसी तरह गुजर-बसर कर रहे परिवारों के लिए बीमारी की स्थिति में इलाज में देरी हो सकती है.

Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button