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तमिलनाडु के पूर्व मंत्री सेंथिल बालाजी के खिलाफ कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में आरोप तय किए


चेन्नई:

चेन्नई की एक विशेष अदालत ने गुरुवार को कथित कैश-फॉर-जॉब घोटाले के सिलसिले में तमिलनाडु के पूर्व मंत्री वी सेंथिल बालाजी के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत आरोप तय कर दिए हैं. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अनुसार, कथित घोटाला 2011 और 2015 के बीच हुआ था. उस समय बालाजी स्वर्गीय जे जयललिता के नेतृत्व वाली अन्नाद्रमुक सरकार में तमिलनाडु के परिवहन मंत्री थे. 

अदालत में गुरुवार को कार्यवाही के दौरान सेंथिल बालाजी ने खुद को निर्दोष बताया. उन्होंने राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप लगाया और कहा कि वह गवाहों से जिरह करना चाहते हैं. हालांकि, अदालत ने जिरह के लिए मामले को 16 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया. 

बालाजी को जून 2023 में कथित घोटाले के सिलसिले में ईडी ने तब गिरफ्तार किया था, जब वे डीएमके के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की सरकार में बिजली मंत्री थे. घंटों पूछताछ के बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया था. सीने में दर्द की शिकायत के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

तमिलनाडु सरकार ने समर्थन जताने के लिए बालाजी को मंत्री को पद पर बनाए रखा था. लेकिन इस साल फरवरी में मद्रास हाईकोर्ट द्वारा यह कहे जाने के बाद कि राजनीतिक मजबूरी सार्वजनिक नैतिकता से अधिक महत्वपूर्ण नहीं हो सकती, उन्होंने इस्तीफा दे दिया था.

डीएमके ने भाजपा पर राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए ईडी सहित केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है. भाजपा ने आरोपों से इनकार किया है और दावा किया है कि ईडी नियमों का पालन कर रहा है.

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बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ईडी को धन शोधन रोकथाम अधिनियम के तहत मामलों में कम सजा दरों का हवाला देते हुए अभियोजन और साक्ष्य की गुणवत्ता पर ध्यान देने की आवश्यकता है. यह टिप्पणी गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय द्वारा लोकसभा को यह बताए जाने के बाद की गई कि 2014 से ईडी द्वारा 5,200 से अधिक धन शोधन मामले दर्ज किए गए हैं और 40 में सजा दी गई है.



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