देश

"रो पड़ी लापता पोती को ढूंढ़ रही दादी…", The Hindkeshariग्राउंड रिपोर्ट में समझिए हाथरस हादसे की दादी का दर्द

हाथरस हादसे के बाद बुजुर्ग औरत अपनी पोती को ढूंढ़ने के लिए अस्पतालों के चक्कर काट रही हैं


नई दिल्ली:

हाथरस हादसे में अभी तक 121 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि ऐसे कितने ही लोग हैं जो इस हादसे के बाद से ही अपनों से बिछड़ गए हैं. NDTV, हाथरस से आपके लिए अपनी ग्राउंड रिपोर्ट के दौरान उन लोगों का दर्द सामने लेकर आ रहा है, जो इस हादसे के बाद से ही अपनों को ढूंढ़ने में एक अस्पताल से दूसरे अस्पतालों का चक्कर लगा रहे हैं. उर्मिला देवी भी उन भक्तों में से एक हैं जो मंगलवार को भोले बाबा के सत्संग में शामिल होने हाथरस आई थीं. इस दौरान उनके साथ उनकी पोती भी थी. अब उर्मिला अपनी पोती की तलाश के लिए एक शहर से दूसरे शहर और एक अस्पताल से दूसरे अस्पतालों के चक्कर लगा रही हैं. The Hindkeshariने जब उर्मिला देवी से बात की तो उनके आंसू छलक गए. उन्होंने हमें बताया कि जिस समय सत्संग के बाद भगदड़ मची उस दौरान मेरी पोती मेरे साथ थी. 

“लोग यहां से वहा भाग रहे थे”

सत्संग के खत्म होने के बाद वहां जितने लोग थे उनमें सबको जल्दी थी. सब लोग यहां से वहां भाग रहे थे. मुझे भी भीड़ में धक्का लगा था, मैं गिर गई थी लेकिन इससे पहले की लोग मुझे रौंदते हुए निकले, मुझे किसी दूसरी औरत ने उठा लिया. लेकिन मेरी पोती मुझसे बिछड़ गई थी. भीड़ इतनी ज्यादा थी कि मैं उसे ढूंढ़ नहीं पा रही थी. लोग यहां से वहां भाग रहे थे सिर्फ. मेरी पोती 16 साल की है. मैं अपनी पोती को एटा से सिकंदराराऊ तक ढूंढ़ कर आई हूं. अब मैं हाथरस के अस्पताल में उसे ढूंढ़ने आई हूं. मैं पूरी-पूरी रात अपनी पोती को एक अस्पताल से दूसरे अस्तपाल में ढूंढ़ रही हूं. 

यह भी पढ़ें :-  The Hindkeshariके रिपोर्टरों की आंखोंदेखी: अस्पताल से 'बाबा' के घर तक पड़ताल, जानें किस हाल में हाथरस

“किसी सेवादार ने कोई मदद नहीं की”

उर्मिला बताती हैं कि वो घटना के बाद से अपनी पोती की तलाश में लगी हैं. लेकिन इस दौरान उन्हें पुलिस की तरफ से कोई मदद नहीं मिली है. उन्होंने बताया कि वह बीते छह साल से भोले बाबा की भक्त हैं. वो बताती है कि मैं अतरौली से यहां आई थी. मैं बाबा के सेवादारों के पास गई थी. वो खुद यहां से वहां भागे फिर रहे हैं. उन्होंने कुछ नहीं बोला. किसी सेवादार ने मेरी कोई मदद नहीं की. वो तो पुलिस ने बताया कि मुझे अस्पताल जाना चाहिए तो मैं अलग-अलग अस्पताल जा रही हूं. मैं तो अभी अपनी पोती को ढूंढ़ रही हूं. मेरे घर वाले मेरी पोती तो ढूंढ़ेंगे. इतना कहते ही उर्मिला देवी के आंखों से आंसू छलक गए. उर्मिला आगे बताती है कि अगर पोती नहीं मिली तो मैं घर नहीं जाऊंगी. 

“कोई बाबा के पैर छूने की कोशिश नहीं कर रहा था”

उर्मिला देवी ने कहा कि अगर बाबा के लोग कहते हैं कि जो लोग मारे गए उन्हें मुक्ति मिल गई तो ये तो बाबा के लोगों को ही पता होगा. मैं तो इसलिए इनके सत्संग में आती थी क्योंकि मेरे साथ की कुछ अन्य महिलाएं भी यहां आ जाती थी. जब ये हादसा हुआ उस दौरान कोई बाबा के पैर छूने की कोशिश नहीं कर रहे थे. जब बाबा सत्संग स्थल से चले गए थे उसके बाद ही भगदड़ मची थी. जो लोग वहां मौजूद थे उन्होंने आपस में धक्का-मुक्की शुरू की थी. 

यह भी पढ़ें :-  मुझसे कोई उम्मीद ना रखें : ..जब कोलकाता के RG Kar अस्‍पताल की नई प्रिंसिपल ने खोया आपा



Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button