बिहार : कैमूर में कॉल सेंटर चला रहे थे साइबर ठग, कन्नड़ में करते थे बात… फिर आया कर्नाटक एंगल, कइयों को ठगा
नई दिल्ली:
साइबर अपराधियों के हौंसले इस कदर बुलंद हो चुके हैं कि अब उन्होंने ज्वाइंट वेंचर के तौर पर संगठित अपराध करना शुरू कर दिया है. ताजा मामला बिहार के कैमूर जिले से का है, जहां पुलिस ने छापेमारी में 18 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है. हैरानी की बात यह है कि इनमें से 15 अपराधी कर्नाटक के थे. ये सभी तकनीक के जानकार और धोखाधड़ी के नए-नए तरीके अपनाने में माहिर हैं. पुलिस की जांच में सामने आया कि ये दो अलग-अलग गैंग्स का संयुक्त नेटवर्क था. एक बेंगलुरु का वेंकटेश गैंग और दूसरा बिहार के नालंदा का कौशल गैंग. इन अपराधियों ने मिलकर अब तक लगभग 5 करोड़ रुपये की ठगी की है.
छानबीन और खुलासे
पुलिस को यह जानकारी मिली जब साइबर पोर्टल पर दर्ज शिकायतों का विश्लेषण किया जा रहा था. शिकायत के मुताबिक, इन गैंग्स ने कर्नाटक और अन्य राज्यों में लोन देने के बहाने लोगों को फंसाया. तकनीकी जांच से पुलिस ने अपराधियों के ठिकाने का पता लगाया और कैमूर जिले के मोहनिया क्षेत्र में दबिश दी. कैमूर एसपी ललित मोहन शर्मा ने कहा, “हमने साइबर पोर्टल पर दर्ज शिकायतों का विश्लेषण किया और तकनीकी जांच से अपराधियों के ठिकाने का पता लगाया.”
पुलिस की दबिश
यहां पर पुलिस को कुछ लोग फोन पर बात करते हुए मिले, जो पुलिस को देखकर भागने की कोशिश करने लगे. घेराबंदी कर पुलिस ने इन्हें धर दबोचा. गिरफ्तार अपराधियों में से अधिकांश कन्नड़ भाषा में बातचीत करते हुए लोगों को ठगी का शिकार बनाते थे. पुलिस ने मौके से 41 मोबाइल फोन्स, 7 एटीएम कार्ड, 34 सिम कार्ड और 5 बही खाता बरामद किए, जिनमें ठगी के पैसों का लेखा-जोखा रखा जाता था.
मुख्य षड्यंत्रकारी
पूछताछ में खुलासा हुआ कि इस साइबर गिरोह के दो प्रमुख मास्टरमाइंड हैं. कर्नाटक गैंग का प्रमुख वेंकटेश है, जो दक्षिण भारत से लोगों को साइबर ठगी में शामिल करने के लिए बिहार लाता है. वहीं, नालंदा का कौशल कुमार इस गिरोह का बिहार में प्रमुख सरगना है, जो फिलहाल फरार है.
तकनीकी विशेषज्ञता
कर्नाटक से इन साइबर अपराधियों के बिहार और अन्य राज्यों में ले जाने की वजह इनकी बेहतर तकनीकी जानकारी बताई जा रही है. कर्नाटक में साइबर अपराध इस कदर बढ़ चुके हैं कि पिछले एक साल में यहां से 465 करोड़ रुपये की ठगी के मामले सामने आए हैं. आंकड़ों के मुताबिक, हर दिन एक करोड़ से ज्यादा की ठगी हो रही है, जबकि रिकवरी 20% से भी कम है. साइबर अपराधी लोगों को फंसाने के लिए हर दिन नए-नए तरीके अपना रहे हैं. कई बार ये फर्जी वीडियो और नामी हस्तियों के नाम का इस्तेमाल कर लोगों को ट्रेडिंग ऐप में निवेश करने के लिए प्रेरित करते हैं.
धोखाधड़ी के उदाहरण
बेंगलुरु में हाल ही में एक मामले में लोगों ने एक करोड़ रुपये तक गंवा दिए, जब एक वीडियो में नारायण मूर्ति और मुकेश अंबानी जैसे बड़े नामों का इस्तेमाल किया गया. एक दूसरे मामले में, एक व्यक्ति को रतन टाटा की आवाज में कॉल करके एक ऐप में निवेश करने का सुझाव दिया और ये कॉल रतन टाटा के निधन के बाद किया गया था. इन घटनाओं ने साइबर सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं और यह चेतावनी भी दी है कि आम जनता को साइबर अपराधों से बचने के लिए सतर्क रहना बेहद जरूरी है.