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तारीख: 20 अगस्त 2013 , वक्तः 7:15 मिनट, सैर के लिए निकले थे दाभोलकर और…हत्या से फैसले तक की पूरी कहानी

रेंद्र दाभोलकर हत्याकांड में फैसले की घड़ी.(फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के संस्थापक डॉक्टर नरेंद्र दाभोलकर (Narendra Dabholkar Murder Case) मर्डर केस में करीब 11 साल बाद इंसाफ की घड़ी आ गई है. इस हत्याकांड में आज यानी कि शुक्रवार को फैसला आ सकता है. पुणे की विशेष सीबीआई अदालत फैसला सुना सकती है. इस मामले में डॉक्टर विरेंद्रसिंह तावड़े, शरद कलस्कर,सचिन अंडूरे, विक्रम भावे और संजीव पुनालकेर समेत कुल 5 आरोपी हैं. डॉक्टर नरेंद्र दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 की सुबह पुणे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस घटना की प्राथमिक जांच पुणे पुलिस ने की थी, हालांकि बाद में यह केस सीबीआई को सौंप दिया गया था. सीबीआई ने 2016 में आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी.

20 अगस्त 2013 की वो सुबह, जब दाभोलकर अपने घर से सैर के लिए निकले थे. जब घड़ी में करीब 7 बजकर 15 मिनट हुए थे, उसी दौरान बाइक सवार हमलावरों ने दाभोलकर को मौत के घाट उतार दिया. हमलावरों ने दाभोलकर पर एक के बाद एक लगातार 5 गोलियां दागी, जिनमें 2 गोलियां मिसफायर हो गईं लेकिन 2 गोलियां उनके सिर और छाती में जा लगीं. जमीन पर गिरते ही उनकी मौत हो गई. वहीं बाइक सवार हमलाकर इस घटना का अंजाम देते ही मौके से फरार हो गए. 

दाभोलकर के हत्यारों की तलाश में दर-दर भटकी पुलिस

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दाभोलकर हत्याकांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. शुरुआती जांच के दौरान पुलिस ने घटनास्थल के पास के 100 से ज्यादा सीसीटीवी फुटेज खंगाले, लेकिन तस्वीरें धुंधली होने की वजह से आरोपियों को ठीक से पहचाना नहीं जा सका. घटना को करीब से देखने वाले एक गवाह ने बताया था कि दाभोलकर के हमलावर 7756 नंबर वाली बाइक से वहां से भागे थे. इस हत्या की जांच के दौरान पुणे पुलिस ने नासिक, पुणे और ठाणे की जेलों में बंद करीब 200 अपराधियों और गैंगस्टरों समेत 1500 लोगों से पूछताछ की. जानकारी के मुताबिक करीब 16 जगहों से पुलिस ने 8 करोड़ फॉन कॉल का डेटा भी जुटाया. गवाह द्वारा बताए गए बाइक के नंबर की तरह दिखने वली सभी ब्लैक बाइकों की भी लिस्ट तैयार की गई थी. लेकिन तब भी पुलिस के हाथ कोई भी सुराग नहीं लग सका. 

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दाभोलकर हत्याकांड में कितनी गिरफ्तारियां?

दाभोलकर की हत्या के तीन घंटे बाद पुलिस ने पहले आरोपी को गिरफ्तार किया था. उसके बाद दो हथियार डीलरों, मनीष नागोरी और विकास खंडेलवाल की गिरफ्तारी हुई. दोनों के पास से पुलिस ने देसी पिस्तौल, दो जिंदा गोलियां और 4 कारतूस बरामद किए थे. इन हाथियारों को जांच के लिए पुलिस ने फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी को भेजा. इसकी जांच रिपोर्ट में सामने आया कि मौके से मिली गोलियां नागोरी और खंडेलवाल की 7.65 मिमी. पिस्तौल से ही चलाई गई थीं. ये भी पता गया कि गोलियों के जो निशान दाभोलकर के शरीर पर मिले, वह बी बरामद कारतूस से मिलते-जुलते हैं. 

सीबीआई ने 6 सितंबर 2019 को दाभोलकर हत्याकांड में शरद कलस्कर, सचिन अंडूरे के खिलाफ पूरक चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की. साल 2019 में सीबीआई ने विक्रम भावे नाम के शख्स को इस मर्डर केस का मास्टरमाइंड बताया. पुलिस ने जांच को आगे बढ़ाते हुए शरद कलस्कर, सचिन अंडूरे को गिरफ्तार किया था. इन तीनों के अलावा जांच एजेंसी ने विक्रम भावे, संजीव पुनालेकर के खिलाफ भी चार्जशीट दाखिल की. बता दें कि कालस्कर, तावड़े, अंडूरे फिलहाल जेल में बंद हैं, वहीं विक्रम भावे और पुनालेकर को जमानत दे दी गई थी.

क्यों हुई नरेंद्र दाभोलकर की हत्या? 

सीबीआई का मानना है कि दाभोलकर की हत्या के पीछे की मुख्य वजह महाराष्ट्र अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति और सनातन संस्था के बीच का टकराव रही. इस मामले में गिरफ्तार वीरेंद्र तावड़े सनातन संस्था से जुड़ा हुआ था. सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, आरोपी डॉ तावड़े 22 जनवरी 2013 को अपनी बाइक से पुणे गया था. इस बाइक का इस्तेमाल वह 2012 से ही कर रहा था. उसी बाइक पर बैठकर हत्यारों ने 22 अगस्त 2013 को डॉ नरेंद्र दाभोलकर पर गोलियां दागी थीं. घटना के बाद भी तावड़े बाइक का इस्तेमाल करता रहा. उसे पुणे के एक गैराज में ठीक भी करवाया गया था. बाद में इसी बाइक को लेकर वो कोल्हापुर भी गया, जहां 2015 में कॉमरेड पंसारे का मर्डर हुआ.

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