देश

'वर्क प्रेशर' से मौत! कॉर्पोरेट वर्ल्ड के लिए वेक-अप कॉल, पुणे की घटना से 'मेंटल स्ट्रेस' पर फिर शुरू हुई बहस


मुंबई:

पुणे में 26 साल की सीए (CA) की मौत पर उनकी मां के ख़त ने सोशल मीडिया पर खलबली मचा दी है. कॉर्पोरेट वर्ल्ड में बढ़ता ‘वर्क-प्रेशर’ लाइमलाइट में है. मौत पर जांच चल रही है, लेकिन हक़ीकत देखें तो 25-30% मानसिक तनाव वाले मरीज नौकरी के दबाव से गुजर रहे हैं. पुणे में हुई ये मौत कॉर्पोरेट वर्ल्ड के लिए वेकअप कॉल बताई जा रही है.

स्कूल-कॉलेज टॉपर और काम को लेकर बेहद पैशनेट केरल की 26 साल की चार्टर्ड अकाउंटेंट एना सेबेस्टियन के सपने बड़े थे. महाराष्ट्र के पुणे की एक बड़ी अकाउंटिंग कंपनी Ernst & Young में नौकरी मिली, लेकिन चार महीने में ही सपनों की उड़ान, कब मौत का कारण बन गई, ऐना का परिवार भी समझ नहीं पाया.

मृतका ऐना की मां अनीता ऑगस्टाइन ने E&Y के चेयरमैन के नाम लिखे पत्र में कई गंभीर खुलासे किए हैं.

अनीता ने अपने पत्र में लिखा, “मैं ये पत्र एक दुखी मां के रूप में लिख रही हूं, जिसने अपने बच्चे को खो दिया है. वो 19 मार्च, 2024 को एक एग्जीक्यूटिव के रूप में कंपनी में शामिल हुईं थी, लेकिन चार महीने बाद 20 जुलाई को मेरी दुनिया उजड़ गई, जब मुझे खबर मिली कि एना अब इस दुनिया में नहीं है. मेरी एना सिर्फ 26 साल की थी. काम के बोझ, नए माहौल और लंबे समय तक काम करने से उसे फिजिकल, इमोशनल और मेंटल रूप से नुकसान हुआ. कंपनी से जुड़ने के तुरंत बाद वो चिंता, अनिद्रा और तनाव का अनुभव करने लगी, लेकिन वो खुद को आगे बढ़ाती रही, ये मानते हुए कि कड़ी मेहनत से एक दिन उसे सफलता मिलेगी. एना के पास कंपनी का बहुत ज्यादा काम था. अक्सर उसे आराम करने के लिए बहुत कम समय मिलता था. यहां तक कि वीकेंड्स पर भी उसे काम करना पड़ता था. वो सीने में जकड़न की शिकायत करती थी, डॉक्टर को दिखाने के बाद पहले की तरह काम शुरू कर दिया. उसे पर्याप्त नींद नहीं मिल रही थी, वो बहुत देर से खाना खा रही थी. एना की मृत्यु को कंपनी के लिए एक वेकअप कॉल के रूप में देखना चाहिए.”

हालांकि ईवाई कंपनी ने जारी बयान में एना के निधन पर दुख जताते हुए, परिवार के संपर्क में रहने और उनकी मदद की बात कही. लेकिन सोशल मीडिया पर इससे घटना से नाराज पोस्ट्स की बाढ़ आ गई.

इसी बीच केंद्र सरकार ने दावा किया कि ऐना की मौत की जांच चल रही है. केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा, “चाहे वो व्हाइट कॉलर नौकरी हो या कोई और नौकरी, किसी भी स्तर पर काम करने वाला या कर्मचारी, अगर देश के किसी भी नागरिक की मृत्यु होती है, तो जाहिर है हमें इसका दुख होता है. मामले की जांच चल रही है और जांच के आधार पर कदम उठाए जाएंगे.”

यह भी पढ़ें :-  Exit Polls को अंतिम सच समझ लेने की गलती ना करें, हमेशा सही नहीं होते
देश के मनोचिकित्सक ‘कॉर्पोरेट वर्क कल्चर’ में बदलाव की मांग रहे हैं. उनका कहना है कि काम की जगह पर तनाव इस कदर बढ़ रहा है कि उन्हें रोज़ क़रीब 25% ऐसे मरीज़ दिख रहे हैं जो काम के दबाव से मानसिक तनाव झेल रहे हैं.

मनोचिकित्सक डॉ हरीश शेट्टी कहते हैं, “रोज़ 100 मरीज़ देखता हूं, उनमें 20-25% जॉब की वजह से मेंटल स्ट्रेस में हैं, प्रेशर कूकर की तरह लोग फट रहे हैं, सुसाइड बढ़ रहा है इसी चक्कर में, ये समझें. लोगों को हार्ट अटैक आ रहे हैं. क्या कारण है? समझते हैं? हर कंपनी ऑफिस में मेंटल स्ट्रेस के लिए कमेटी हो, जांच करे, एम्प्लोयी ऑडिट हो. मौतें हो तो उसे एनालिसिस करें. विदेश का वर्क एथिक देखिये, हम क्यों नहीं अपना सकते?”

Latest and Breaking News on NDTV

केईएम हॉस्पिटल की मनोचिकित्सक डॉ नीना सावंत ने कहा, “ऐसे जॉब वाली महिलाओं का आंकड़ा मानसिक तनाव के मरीज़ों में क़रीब 35% है. चौतरफ़ा स्ट्रेस है. महिलाएं सबसे ज़्यादा सुसाइड अटेम्पट करती हैं. क्योंकि उनके ऊपर कई ज़िम्मेदारियां होती हैं. उनका बिल्ट अलग होता है. वर्क प्रेशर हर एक के लिए झेल पाना मुश्किल होता है. शरीर पर इफ़ेक्ट दिखने लगते हैं, जिससे मानसिक संतुलन भी बिगड़ता है. पुणे में हुई इस बच्ची की मौत को गंभीरता से लेना चाहिए.”

सिर्फ़ युवा ग्रुप ही नहीं, नौकरीपेशा कई महिलाएं मान रही हैं कि तनाव चौतरफ़ा बढ़ा है. उनका कहना है कि सुबह घर संभालो, फिर ऑफिस भागो, काम में बराबरी देखते हैं, मर्दों से कैसे कम्पीट कर सकते हैं, वो सिर्फ़ काम करते हैं, हम क्या-क्या करते हैं उनको भी नहीं पता. सब जगह सब करके भी कम पड़ जाते हैं. हमें सब संभालना होता है. 15-20 साल से नौकरी कर रहे हैं, कुछ नहीं बदला सिर्फ़ तनाव बढ़ा है.

ना जानें कितनी मौतें शारीरिक कारणों से दिखती हैं, लेकिन इसके पीछे दिमाग़ी बीमारी को समझना शायद जितना कठिन है, उतना ही इस विषय पर चर्चा भी, क्योंकि सक्सेस की ओर रेस लगाने की होड़ में ‘स्ट्रेस’ जैसी चीज़ बीमारियों की फ़ेहरिस्त में दूर-दूर तक नहीं आती.

यह भी पढ़ें :-  उत्तर भारत बनाम दक्षिण भारत : 2024 चुनाव में दिखेगा तेलंगाना में कांग्रेस की 'एंट्री' का असर?


Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button