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'दिल्ली चलो' मार्च : किसानों ने तोड़े बैरिकेड्स, दागे गए आंसू गैस के गोले-वाटर कैनन; प्रदर्शन की 10 बड़ी बातें

नई दिल्ली:
न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) को लेकर नए कानून की मांग पर किसानों और केंद्र सरकार के बीच टकराव देखने को मिल रहा है. किसानों के प्रस्तावित ‘दिल्ली चलो’ मार्च को हरियाणा और पंजाब बॉर्डर पर प्रशासन ने रोक दिया है. फतहगढ़ साहेब से शंभू बॉर्डर पर जमा हुई किसानों की भीड़ पर पुलिस ने सख्ती दिखाते आंसू गैस के गोले दागे हैं. सिंघु बॉर्डर, टीकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात है. विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर किसानों की मांग को उचित बताते हुए. कांग्रेस सरकार आने पर एमएसपी कानून बनाने की बात कही है.

मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :

  1. केंद्र और किसानों के बीच सहमति न बनने के बाद किसानों ने दिल्ली कूच शुरू कर दिया है. किसानों ने कई जगहों पर बैरिकेड्स तोड़ दिए. फेतहगढ़ साहेब से शंभू बॉर्डर पर जमा हुई किसानों की भीड़ पर पुलिस ने सख्ती दिखाते आंसू गैस के गोले दागे, जिसके बाद वहां अफरातफरी मच गई.

  2. सोमवार को सरकार और किसानों के बीच देर रात तक चली बातचीत बेनतीजा रही. किसानों का प्लान है कि वे पहले दिल्ली के पास बॉर्डर पर जमा होंगे और उसके बाद आगे की रणनीति के बारे में फैसला करेंगे. सरकार का कहना है बातचीत जारी रहेगी वहीं दूसरी तरफ़ किसान भी आगे बातचीत को लेकर तैयार हैं. 

  3. इस मामले में हाईकोर्ट (High Court) ने भी दखल दिया है. अदालत ने कहा है कि कानून-व्यवस्था बनाए रखी जाए, बल का इस्तेमाल आखिरी उपाय हो. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि कानून- व्यवस्था बनाए रखी जाए.सभी मुद्दों का सौहार्दपूर्ण ढंग से हल निकले. सभी पक्षों को बैठकर मामले का समाधान निकालना चाहिए. बल का इस्तेमाल आखिरी उपाय हो. 

  4. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा (Union Minister Arjun Munda) ने किसान आंदोलन पर बात करते हुए आज कहा कि दो बार की किसानों से बातचीत बेनतीजा नहीं रही है. समाधान के लिए और चर्चा जरूरी है. The Hindkeshariसे बात करते हुए केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि बातचीत से समाधान मुमकिन है. रास्ता निकालने को तैयार हैं. किसान ध्यान रखें कि कुछ तत्व इसका लाभ लेने की कोशिश न करें.

  5. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, आज किसान दिल्ली की ओर मार्च कर रहे हैं. उन्हें रोका जा रहा है, उन पर आंसू गैस के गोले छोड़े जा रहे हैं. वो क्या कह रहे थे? वे सिर्फ अपने परिश्रम का फल मांग रहे हैं. भाजपा सरकार ने एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने की घोषणा की, लेकिन वे एमएस स्वामीनाथन की कही गई बात को लागू करने के लिए तैयार नहीं हैं. हमारी सरकार बनेगी तो हम एमएसपी कानून को लागू करेंगे. 

  6. सोमवार देर रात को केंद्र सरकार के साथ पांच घंटे से अधिक समय तक चली दूसरे चरण की बैठक के बाद किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंधेर ने कहा था, “हमें नहीं लगता कि सरकार हमारी किसी भी मांग पर गंभीर है. हमें नहीं लगता कि वे हमारी मांगों को पूरा करना चाहते हैं… हम कल सुबह 10 बजे दिल्ली की ओर मार्च करेंगे.”

  7. किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च पर किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है, “एमएसपी गारंटी कानून और स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट, बिजली संशोधन बिल और कर्ज माफी देशभर के किसानों के मुद्दे हैं. कई किसान यूनियन हैं और उनके अलग-अलग मुद्दे हैं. अगर सरकार दिल्ली की ओर मार्च कर रहे इन किसानों के लिए कोई समस्या पैदा करती है, तो हम उनसे दूर नहीं हैं. हम उनके समर्थन में हैं.”

  8. किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का कहना है, “यह मोदी सरकार की विफलता है. उन्हें एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी की किसानों की मांग पूरी करनी चाहिए थी. दूसरी मांग स्वामीनाथन समिति के फॉर्मूले को लागू करना है. सरकार समय क्यों बर्बाद कर रही है? आप उन्हें ऐसे रोक रहे हैं जैसे किसी पड़ोसी देश की सेना आ रही हो.

  9. आंदोलनकारी किसान एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के अलावा, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों व कृषि मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि कर्ज माफ करने, पुलिस में दर्ज मामलों को वापस लेने, लखीमपुरी खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय, भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को बहाल करने और 2021 में हुए आंदोलन में मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजे की मांग कर रहे हैं. 

  10. त्रिची में तमिलनाडु के किसानों के एक समूह ने ‘दिल्ली चलो’ किसानों के विरोध का समर्थन किया. किसान नेता पी. अय्याकन्नु ने कहा, “संविधान के अनुसार, हम अपने अधिकारों के लिए देश के भीतर स्वतंत्र रूप से घूम सकते हैं, लेकिन पुलिस किसानों को दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दे रही है. अगर प्रधानमंत्री मोदी आगामी चुनावों में तमिलनाडु के किसी भी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ते हैं, तो किसान उस निर्वाचन क्षेत्र से उनके खिलाफ नामांकन दाखिल करेंगे.”

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