दिल्ली की मुख्यमंत्री ने बस मार्शलों की पुन: नियुक्ति के लिए उपराज्यपाल को पत्र लिखा
नई दिल्ली:
दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने रविवार को उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना को पत्र लिखकर आग्रह किया कि महिला यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राजधानी की बसों में मार्शल की पुन: नियुक्ति की जाए. मुख्यमंत्री ने दिल्ली के सार्वजनिक परिवहन को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाने में मार्शलों की भूमिका पर प्रकाश डाला.
आतिशी ने पत्र में लिखा, ‘‘जब तक मार्शल तैनात नहीं हुए थे तो बसों में यात्रा के दौरान महिलाओं को हर दिन परेशानी झेलनी पड़ती थी. कई महिलाओं को सुरक्षा का डर था और कई महिलाओं को उत्पीड़न या छेड़छाड़ का सामना करना पड़ा. बसों में 10,000 से अधिक मार्शल की तैनाती ने इस माहौल को बदला.”
पत्र में दावा किया गया कि दिल्ली सरकार द्वारा तैनात मार्शल बदमाशों को पकड़ने और छेड़छाड़ तथा उत्पीड़न की घटनाओं को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे, लेकिन 31 अक्टूबर 2023 को उन्हें अचानक हटा दिया गया और उनका वेतन रोक दिया गया. मुख्यमंत्री कहा कि यह ‘‘साजिश” का हिस्सा है.
आतिशी ने दिल्ली सरकार के कुछ अधिकारियों पर सुरक्षा उपायों को खोखला करने के लिए केंद्र के इशारे पर काम करने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि इन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की जगह उन्हें उच्च पदों पर तैनात किया गयामुख्यमंत्री ने मार्शलों को बहाल करने के प्रस्ताव को मंजूरी देने में देरी पर अफसोस जताया और कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा मार्शलों की पुन: नियुक्ति के लिए प्रस्ताव भेजे हुए दो सप्ताह से अधिक समय हो चुका है.
आतिशी ने कहा, ‘‘सरकार, इन मार्शलों के परिवार और दिल्ली की महिलाएं आपकी मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं.”
पत्र में कहा गया कि 12 नवंबर को दिल्ली के मंत्रियों द्वारा सर्वसम्मति से पारित पुन: नियुक्ति के प्रस्ताव का उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए बसों में मार्शलों को उनकी महत्वपूर्ण भूमिका में वापस लाना है.
इसमें कहा गया, ‘‘इन मार्शलों को हटाकर, आपने न केवल उनकी आजीविका छीन ली है बल्कि आपने महिलाओं की सुरक्षा की ढाल को भी कमजोर कर दिया है.” पत्र में यह भी कहा गया कि इस फैसले से महिलाओं का सार्वजनिक परिवहन में सफर करने के प्रति विश्वास खत्म हो गया है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि 10,000 मार्शलों की किस्मत और दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा का भविष्य अब उपराज्यपाल द्वारा प्रस्ताव को समय पर मंजूरी दिए जाने पर निर्भर करता है.