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सज गया दिल्ली का चुनावी दंगल, जानें आप, बीजेपी और कांग्रेस का क्या है दांव पर


नई दिल्ली:

चुनाव आयोग दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है. आयोग के मुताबिक इस बार दिल्ली में पांच फरवरी को मतदान कराया जाएगा. आयोग के मुताबिक मतों की गणना आठ फरवरी को कराई जाएगी. इस बार दिल्ली का मुकाबला दिलचस्प हो गया है. आम आदमी पार्टी पिछले तीन बार से दिल्ली की सत्ता पर काबिज है. उसे सत्ता से हटाने के लिए बीजेपी और कांग्रेस जोर लगा रही हैं. भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के कोख से पैदा हुई आम आदमी पार्टी पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे हैं. बीजेपी और कांग्रेस इन्हीं आरोपों पर आप की सरकार को घेर रही हैं. दिल्ली की 70 सदस्यों वाली विधानसभा का पिछला चुनाव एक चरण में आठ फरवरी 2022 को कराया गया था. दिल्ली की वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 23 फरवरी को खत्म हो रहा है.मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के मुताबिक दिल्ली में कुल एक करोड़ 55 लाख 24 हजार 858 मतदाता हैं. ये मतदाता दिल्ली में 70 सीटों पर अपना विधायक चुनेंगे.

मुख्य निर्वाचन अधिकारी की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में कुल एक करोड़ 55 लाख 24 हजार 858 वोटर हैं. इनमें 83 लाख 49 हजार 645 पुरुष और 71 लाख 73 हजार 952 महिला वोटर हैं.विकासपुरी विधानसभा सीट पर सबसे अधिक चार लाख 62 हजार वोटर हैं. वहीं दिल्ली छावनी सीट पर सबसे कम 78 हजार 893 वोटर हैं. दिल्ली में तीसरे लिंग के एक हजार 261 वोटर हैं. 

भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी आम आदमी पार्टी

कोरोना के संकट से निकलने के बाद बीजेपी ने आम आदमी पार्टी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने शुरू कर दिए थे. उसके इन आरोपों को उस समय बल मिला जब मई 2022 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन को गिरफ्तार कर लिया.उन पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं. इसके बाद दिल्ली की शराब नीति में हुए कथित घोटाले में तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया समेत कई लोगों को जेल जाना पड़ा. दोनों को सुप्रीम कोर्ट ने सशर्त जमानत दी है. भ्रष्टाचार के आरोपों से बचने के लिए ही अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद छोड़कर आतिशी को मुख्यमंत्री बनवाया. 

विधानसभा चुनाव का मुख्य मुद्दा क्या है

इस बार के चुनाव में भ्रष्टाचार प्रमुख मुद्दा बनकर उभरा है.बीजेपी और कांग्रेस आप की सरकार पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाए हैं. इनमें शराब घोटाले के अलावा मुख्यमंत्री निवासी की साज-सज्जा के नाम पर हुए कथित घोटाले का आरोप शामिल है. वहीं आप इन आरोपों का जवाब अपनी कल्याणकारी योजनाओं से दे रही है. इस बार के चुनाव से पहले ही आप ने कई घोषणाएं की हैं, इनमें बिजली-पानी के मुद्दों समेत महिलाओं, पुजारियों, ग्रंथियों और इमामों के लिए हर महीने पैसा और बुजुर्ग नागरिकों के मुफ्त इलाज जैसी घोषणाएं प्रमुख हैं. दिल्ली में आम आदमी पार्टी के समर्थकों में बड़ा आधार उसकी कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों का है.

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पीएम नरेंद्र मोदी की रैली में उनकी तस्वीर के साथ आया एक समर्थक.

दिल्ली में सस्ती बिजली, पानी और शिक्षा के क्षेत्र में किए गए काम ने आप के समर्थकों का एक बड़ा आधार तैयार किया है. इसी का परिणाम है कि पिछले दिनों पीएम नरेंद्र मोदी को भी दिल्ली में यह कहना पड़ा कि किसी भी कल्याणकारी योजना को बंद नहीं किया जाएगा. पीएम मोदी ने कहा है कि दिल्ली के विकास के लिए ‘डबल इंजन’ की सरकार जरूरत है. बीजेपी इसी नारे के साथ चुनाव में उतर रही है. वहीं पिछले तीन बार से दिल्ली की सत्ता से दूर चल रही कांग्रेस अपने लोक लुभावन योजनाओं के सहारे चुनाव मैदान में उतरने की कोशिश कर रही है. उसने सोमवार को ही महिलाओं के लिए हर महीने 2500 रुपये देने की प्यारी दीदी योजना की घोषणा की है.आने वाले दिनों वो इसी तरह की कुछ और योजनाओं को घोषणा कर सकती है.

उम्मीदवारों की घोषणा में सबसे आगे हैं आप

इस बार के चुनाव में उम्मीदवारों की घोषणा में आम आदमी पार्टी ने अपने प्रतिद्वंदियों से बाजी मार ली. उसने अपने सभी 70 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की है. आप ने एंटी इनकंबेंसी की लहर को देखते हुए उम्मीदवारों के चयन में कई प्रयोग किए हैं. उसने अपने 16 मौजूदा विधायकों के टिकट काट दिए हैं. वहीं चार विधायकों की सीटों को बदला गया है. इनमें पार्टी ने नंबर दो की हैसियत वाले मनीष सिसोदिया का नाम भी शामिल हैं.वहीं बीजेपी ने अपनी पहली सूची चार जनवरी को जारी की. इसमें 29 सीटों के उम्मीदवारों के नाम शामिल थे. वहीं कांग्रेस ने अपने 48 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है. 

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दिल्ली में इस बार आम आदमी पार्टी ने उम्मीदवारों की घोषणा सबसे पहले की.

दिल्ली में इस बार आम आदमी पार्टी ने उम्मीदवारों की घोषणा सबसे पहले की.

दिल्ली की तीन हाई प्रोफाइल सीटों के लिए तीनों दलों ने अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है. इनमें से सबसे प्रमुख सीट है- नई दिल्ली. पिछली तीन बार से यह सीट आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल जीत रहे हैं. इस बार उन्हें कड़ी टक्कर देने के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने कड़ी तैयारी की है. केजरीवाल के खिलाफ कांग्रेस ने पूर्व सांसद संदीप दीक्षित को उम्मीदवार बनाया है. वो दिल्ली की तीन बार मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित के बेटे हैं. वहीं बीजेपी ने प्रवेश वर्मा को टिकट दिया. वो दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे और पूर्व सांसद हैं. इस वजह से इस बार नई दिल्ली में कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है. 

दिल्ली की तीन हाई प्रोफाइल सीटें 

इस समय दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठीं आतिशी कालकाजी सीट से चुनाव जीती थीं. आप ने उन्हें इस बार भी उसी सीट से टिकट दिया है. वहां उनका मुकाबला कांग्रेस की तेज-तर्रार नेता अलका लांबा और बीजेपी के पूर्व सांसद रमेश विधूड़ी से होगा. लांबा एक बार आप के टिकट पर चांदनी चौक से विधायक और दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की अध्यक्ष रह चुकी हैं. वहीं बीजेपी उम्मीदवार विधूड़ी अपने नाम की घोषणा के साथ ही सुर्खियां बटोर रहे हैं. उन्होंने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया. इसके लिए उनकी जमकर आलोचना हुई. इसके बाद उन्होंने माफी मांग ली है. 

दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया इस बार जंगपुरा से चुनाव लड़ रहे हैं. पिछला चुनाव उन्होंने पटपड़गंज से जीता था. इस बार उन्हें वहां एंटी इनकंबेंसी का डर सता रहा था. इस बार उनकी सीट बदल दी गई है. आप ने पटपड़गंज से यूट्यूबर टीचर अवध ओझा को टिकट दिया है. जंगपुरा में सिसोदिया का मुकाबला कांग्रेस के फरहाद सूरी से है. वो कांग्रेस की दिग्गज नेता ताजदार बाबर के बेटे हैं. बाबर दो बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक रह चुकी हैं. वहीं बीजेपी ने जंगपुरा से तरविंदर सिंह मारवाह को उम्मीदवार बनाया है. वो जंगपुरा सीट से तीन बार विधायक रह चुके हैं. मारवाह ने 2022 में कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए थे.

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दिल्ली की राजनीति में आम आदमी पार्टी

अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी पिछले तीन बार से दिल्ली में सरकार चला रही है. आप पहली बार 2013 के चुनाव में सत्ता में आई थी. विधानसभा के उस चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला था. उस चुनाव में बीजेपी ने 33.12 फीसदी वोट के साथ 31 सीटें जीती थीं. पहली बार चुनाव लड़ रही आप ने 29.64 फीसदी वोट के साथ 28 सीटें जीती थीं. वहीं कांग्रेस को 24.67 फीसदी वोट और आठ सीटें मिली थीं.आप ने कांग्रेस के समर्थन से अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में सरकार बनाई थी. 

आप की पहली सरकार बहुत दिन नहीं चल सकी थी. इस वजह से 2015 में एक बार फिर विधानसभा चुनाव कराने पड़े. इस चुनाव में ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए आप ने 70 में से 67 सीटें जीत ली थीं. बीजेपी केवल तीन सीटें जीत पाई थी. कांग्रेस के हिस्से में कोई सीट नहीं आई थी. इसके बाद 2020 में कराए गए चुनाव में आप अपना पिछला प्रदर्शन नहीं दोहरा पाई. इसके बाद भी आप 70 में से 62 सीटें जीतने में कामयाब रही. बीजेपी को आठ सीटें मिलीं. कांग्रेस को इस चुनाव में भी शून्य से ही संतोष करना पड़ा था.

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