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डेरेक ओ ब्रायन आपको मैं सदन से बाहर कर दूंगा… आखिर ऐसा क्या हुआ कि सभापति ने दे दी ये चेतावनी


नई दिल्ली:

संसद के मौजूदा सत्र में गुरुवार को राज्यसभा में जो कुछ हुआ उसकी कल्पना किसी ने नहीं की होगी. दरअसल, हुआ कुछ यूं कि राज्यसभा की कार्यवाही जैसे ही शुरू हुई तो विपक्षी दलों के सांसद विनेश फोगाट को पेरिस ओलंपिक में अयोग्य घोषित किए जाने पर सदन में हंगामा करने लगे. इसी दौरान सभापति ने पहले उनसे शांत रहकर संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से चलने देने का आग्रह किया. लेकिन विपक्षी दलों के सांसद नहीं मानें. कुछ देर बाद विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने विनेश फोगाट की अयोग्या का मामला सदन में उठाने की कोशिश की. लेकिन सभापति ने उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं दी. इसके बाद जब सभापति ने आईएनडी के कार्तिकेय शर्मा को अपनी बात रखने को कहा तो पीछे से डेरेक ओ ब्रायन फिर से विनेश फोगाट मामले को सदन में उठाने की बात करने लगे. 

“आपका व्यवहार सबसे आपत्तिजनक रहा है”

डेरेक ओ ब्रायन सभापति के मना करने के बाद भी नहीं रुक रहे थे. इसके बाद सभापति जगदीन धनखड़ बेहद गुस्सा हो गए. उन्होंने मिस्टर डेरेक ओ ब्रायन आप चेयर (सभापति) पर कैसे चिल्ला रहे हैं. आप ये कैसे कर सकते हैं. इस समय सदन में कई वरिष्ठ सांसद भी मौजूद हैं, आप सबकी मौजूदगी में ऐसा कैसे कर सकते हैं. आपका व्यवहार सबसे आपत्तिजनक है. अगर आपने एक बार फिर ऐसे किया तो मैं आपको सदन से बाहर कर दूंगा. अगर आपको लगता है कि आप ही सिर्फ बुद्धिमान हैं तो आप सही नही हैं. और जहां तक बात विनेश फोगाट की है तो उस लड़की के साथ जो हुआ उसका दर्द हम सभी महसूस कर रहे हैं. हम सभी उसके साथ खड़े हैं. चाहे बात राष्ट्रपति महोदया की हो या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की. सभी इस बात से दुखी हैं.

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Photo Credit: AFP

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“इस मुद्दे पर राजनीति ना करें”

फिलहाल पूरा देश विनेश के साथ खड़ा है. लेकिन ऐसे समय में भी इस बात को लेकर राजनीति करना कहीं से शोभा नहीं देता है. ये पूरी तरह से गलत है. हरियाणा सरकार भी विनेश के साथ खड़ी है. यही वजह है कि जब ये खबर आई तो राज्य सरकार ने इस बात की घोषणा की कि वह उन्हें एक पदक विजेता के तौर पर देख रहे हैं. और उन्हें भी दूसरे पदक विजेताओं की तरह ही सभी सुविधाएं और वित्तीय पुरस्कार दिए जाएंगे. माननीय सांसद ये मुद्दा देश के सम्मान का है देश के मान का है, इसपर राजनीति करना सही नही है. 

सभापति ने सभी सांसदों को संबोधित करते हुए कहा कि माननीय सदस्यगण, इस पवित्र सदन को अराजकता का केंद्र बनाना, भारतीय प्रजातंत्र के ऊपर कुठारघात करना, अध्यक्ष की गरिमा को धूमिल करना, शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण माहौल बनाना, क्या ये अमर्यादित आचरण नहीं है, ये हर सीमा को लांघने जैसा है. 

सभापति ने आगे कहा कि ये सदन इस समय देश की रूलिंग पार्टी के अध्यक्ष को यहां देख रही है. इसी समय यहां विपक्ष दलों के कई वरिष्ठ सांसद भी यहां मौजूद हैं. इस समय यहां कांग्रेस के वरिष्ठतम नेता भी मौजूद हैं. मैं हाल के दिनों में जो देख रहा हूं और जिस तरह से शब्दों से, पत्र के माध्यम से और अखबार के माध्यम चुनौती दी जा रही है, मैंने देखा है कि मुझपर कितनी गलत टिप्पणियां की गई हैं.

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मेरे को यह चुनौती नहीं दी जा रही है, यह चुनौती सभापति के पद को दी जा रही है. ये चुनौती इसलिए दी जा रही है क्योंकि जो व्यक्ति इस पद पर बैठा है वो इसके लायक नहीं है, ऐसा ये लोग सोचते हैं. मैं आपसे साफ कह देना चाहता हूं कि मैं कहीं भाग नहीं रहा हूं. ऐसे में सदन की गरिमा को मत गिराए. अमर्यादित आचरण मत कीजिए. ये किसी के लिए भी और खास तौर पर लोकतंत्र के इस ‘मंदिर’ के लिए सही नहीं है. 

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