केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के भाई देवेंद्र सिंह राणा का निधन, जम्मू के नगरोटा से थे विधायक
फरीदाबाद:
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के भाई वरिष्ठ बीजेपी नेता और नगरोटा विधायक देवेंद्र सिंह राणा का गुरुवार को हरियाणा के फरीदाबाद में एक निजी अस्पताल में निधन हो गया. वह 59 साल के थे. बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, देवेंद्र सिंह राणा का अस्पताल में इलाज चल रहा था. उनके परिवार में उनकी पत्नी गुंजन राणा, उनकी बेटियां देवयानी और केतकी और बेटा अधिराज सिंह हैं.
देवेंद्र सिंह राणा की मौत की खबर सुनते ही राजनीतिक नेताओं सहित सैकड़ों लोग जम्मू के गांधीनगर इलाके में उनके आवास पर एकत्र हो गए. केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह भी उनके घर पहुंचे.देवेंद्र सिंह राणा, जिन्होंने व्यवसाय से राजनीति की ओर रुख किया जम्मू के डोगरा समुदाय के लिए एक मजबूत आवाज थे. राणा को हाल ही में जम्मू जिले के नगरोटा क्षेत्र से जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए फिर से चुना गया था.
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह के छोटे भाई देवेंद्र सिंह राणा ने 2014 के विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के टिकट पर जीत हासिल की थी. हाल ही में हुए चुनाव में उन्होंने भाजपा के टिकट पर 30,472 मतों के अंतर से जीत दर्ज कर नगरोटा सीट बरकरार रखी. उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी एनसी के जोगिंदर सिंह को 17,641 मत मिले.
राणा ने 2024 के विधानसभा चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ सबसे अधिक अंतर से जीत हासिल की थी. जम्मू-कश्मीर विधानसभा की 90 सीटों के लिए हुए चुनाव में एनसी ने 42, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 29, कांग्रेस ने छह, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने तीन और माकपा, आम आदमी पार्टी (आप) तथा पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी) ने एक-एक सीटों पर जीत दर्ज की. निर्दलीय उम्मीदवारों के पास सात सीटें हैं जिनमें छह नेशनल कॉन्फ्रेंस में शामिल हो गए हैं.
एनसी ने कांग्रेस, छह निर्दलीय, एक माकपा और एक आप उम्मीदवार के समर्थन से उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में सरकार बनाई है. कांग्रेस, माकपा और आम आदमी पार्टी (आप) सरकार में शामिल नहीं हुई हैं. कांग्रेस ने कहा है कि जब तक राज्य का दर्जा बहाल नहीं हो जाता, वह जम्मू-कश्मीर सरकार में शामिल नहीं होगी.
उमर अब्दुल्ला की अध्यक्षता वाली जम्मू-कश्मीर कैबिनेट ने अपनी पहली बैठक में राज्य का दर्जा बहाल करने का प्रस्ताव पारित किया. उमर अब्दुल्ला ने दिल्ली जाकर इस प्रस्ताव की एक प्रति केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपी. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने भी 4 नवंबर से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए प्रस्ताव लाने का फैसला किया है.
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