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22 की उम्र में राजनीति में एंट्री, सबसे कम उम्र के मेयर; ऐसे देवेंद्र बने महाराष्ट्र की राजनीति का नया चाणक्य?


मुंबई:

महाराष्ट्र की राजनीति में एक ऐसा नाम है, जो हर बार चुनौतियों का सामना कर अपनी ताकत साबित करता है—देवेंद्र फडणवीस. पांच साल पहले जब अजित पवार के साथ मिलकर सरकार बनाने का उनका दांव विफल हो गया, तब उन्होंने कहा था, “मैं समंदर हूं, लौटकर आऊंगा.” और वे सच में लौटे, हालांकि उपमुख्यमंत्री के रूप में.

राजनीतिक सफर: शुरुआती दिनों से शीर्ष तक

22 जुलाई 1970 को नागपुर के एक ब्राह्मण परिवार में जन्मे फडणवीस का बचपन आरएसएस और बीजेपी की विचारधारा से प्रभावित रहा. उनके पिता, गंगाधर फडणवीस, बीजेपी और आरएसएस से जुड़े थे, और इमरजेंसी के दौरान जेल भी गए. फडणवीस ने नागपुर विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की और जर्मनी में प्रोजेक्ट मैनेजमेंट का डिप्लोमा हासिल किया.

राजनीति में उनकी शुरुआत महज 22 साल की उम्र में हुई, जब वे 1992 में नगरसेवक बने. 27 साल की उम्र में, वे नागपुर के सबसे कम उम्र के मेयर बने और 1999 में विधायक बने. तब से, उन्होंने लगातार छह चुनाव जीते हैं.

महाराष्ट्र बीजेपी के उभार के केंद्र में

फडणवीस की राजनीति में बड़ा मोड़ 2013 में आया, जब उन्हें महाराष्ट्र बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया. यह वह समय था जब नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय राजनीति में उभर रहे थे. 2014 के विधानसभा चुनावों के बाद, फडणवीस महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने. उनका नेतृत्व “देश में नरेंद्र, महाराष्ट्र में देवेंद्र” के नारों के साथ सुर्खियों में आया.

चुनौतियों और वापसी का सफर

2019 में शिवसेना और बीजेपी के गठबंधन में दरार के बाद उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने, लेकिन फडणवीस ने विपक्ष में रहते हुए सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ा. उन्होंने एंटीलिया विस्फोटक कांड और भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर कर ठाकरे सरकार पर दबाव बनाया.

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2022 में शिवसेना में बगावत हुई और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में सरकार बनी, जिसमें फडणवीस उपमुख्यमंत्री बने. हालांकि यह कदम उनके राजनीतिक डिमोशन के रूप में देखा गया, लेकिन उन्होंने इसे पार्टी हित में स्वीकार किया.

रणनीति और नेतृत्व की मिसाल

फडणवीस ने अपनी राजनीतिक कौशल से न केवल शिवसेना, बल्कि एनसीपी में भी बगावत कराई. अजीत पवार के धड़े को साथ लेकर उन्होंने बीजेपी की सरकार को और मजबूत किया. वे खुद स्वीकार कर चुके हैं कि उन्होंने महाराष्ट्र में दो पार्टियों को तोड़ा.


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