धार भोजशाला मामला अब CJI की बेंच में केस ट्रांसफर, प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के साथ होगी सुनवाई
नई दिल्ली:
मध्यप्रदेश के धार स्थित भोजशाला केस की सुनवाई अब प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट को लेकर याचिकाओं के साथ होगी. CJI संजीव खन्ना की बेंच ही इस मामले की सुनवाई करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू पक्ष की ये दलील ठुकराई है कि ये मामला प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत नहीं आता है.
जस्टिस ऋषिकेश रॉय की बेंच ने CJI की.बेंच के पास सुनवाई के लिए भेजा है. जस्टिस ऋषिकेश रॉय की बेंच ने कहा कहा कि चूंकि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के मामले में CJI की बेंच सुनवाई कर रही है. इसलिए CJI की बेंच के सामने ही इस मामले को रखा जाए.
हिंदू पक्ष की ओर से पेश विष्णु जैन ने कहा कि ये मामला PoW का नहीं है, क्योंकि ये जगह ASI की है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसा है तो वो अवमानना का नोटिस भी स्वीकार करें. क्योंकि अदालत ने कहा था कि सर्वे मे कोई खुदाई नहीं होगी. लेकिन कुछ तस्वीरें हैं जिसमें खुदाई हो रही है.
दरअसल, मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट की इजाजत के बाद हो रहे सर्वे पर रोक की मांग को लेकर कोर्ट का रुख किया था. सुप्रीम कोर्ट ने तब मुस्लिम पक्ष की अर्जी पर सुनवाई करते हुए सर्वे पर रोक लगाने से तो इंकार किया था. लेकिन साथ ही साफ किया था कि हाईकोर्ट सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर अभी कोई कार्रवाई न करें.
हिंदू पक्ष का दावा है कि सर्वे में मंदिर होने के पक्ष में पुख्ता सबूत मिले है. हिंदू पक्ष ने अब SC से हाईकोर्ट में सुनवाई पर रोक लगाने वाले आदेश को वापस लेने की मांग की है. हिंदू पक्ष का कहना है कि अगर मुस्लिम पक्ष को ASI की रिपोर्ट पर ऐतराज है तो वो हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखा सकता है. हाईकोर्ट की कार्रवाई पर रोक का औचित्य नहीं है.
क्या है पूरा मामला
‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ नामक संगठन की अर्जी पर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने 11 मार्च को एएसआई को भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था. इसके बाद एएसआई ने 22 मार्च से इस विवादित परिसर का सर्वेक्षण शुरू किया था. मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने दो जुलाई को रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था. लेकिन सर्वेक्षण की रिपोर्ट पेश करने के एएसआई ने चार हफ्तों की मोहलत की मांग की थी. मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने 10 दिन की मोहलत देते हुए सर्वे की रिपोर्ट को 15 जुलाई तक पेश करना का आदेश दिया था.