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"निराश हूं, लेकिन हतोत्साहित नहीं…": अनुच्छेद 370 पर SC के फैसले को लेकर उमर अब्दुल्ला

उन्होंने सोशल मीडिया ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, ”निराश हूं लेकिन हतोत्साहित नहीं. संघर्ष जारी रहेगा. यहां तक पहुंचने में बीजेपी को दशकों लग गए. हम लंबी दौड़ के लिए भी तैयार हैं.”

डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी (डीपीएपी) के अध्यक्ष गुलाम नबी आज़ाद ने सोमवार को संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को “दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण” बताया, लेकिन कहा कि “हमें इसे स्वीकार करना होगा”. आज़ाद ने यहां संवाददाताओं से कहा, “यह (अदालत का फैसला) दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है.”

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने को सुप्रीम कोर्ट द्वारा वैध ठहराए जाने पर AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “हम इस फैसले से निराश हैं…”

जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन ने कहा, “अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला निराशाजनक है. न्याय एक बार फिर जम्मू-कश्मीर के लोगों से दूर है. अनुच्छेद 370 भले ही कानूनी रूप से खत्म कर दिया गया हो, लेकिन यह हमेशा हमारी राजनीतिक आकांक्षाओं का हिस्सा रहेगा.” .

उच्चतम न्यायालय ने पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के सरकार के फैसले को बरकरार रखते हुए सोमवार को कहा कि अगले साल 30 सितंबर तक विधानसभा चुनाव कराने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए. शीर्ष अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाए.

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प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने अपने और न्यायमूर्ति बी आर गवई एवं न्यायमूर्ति सूर्यकांत की ओर से फैसला सुनाते हुए कहा कि संविधान का अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था और राष्ट्रपति के पास इसे रद्द करने की शक्ति है.

शीर्ष अदालत ने पांच अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को अलग करने के फैसले की वैधता को भी बरकरार रखा. केंद्र सरकार ने इस दिन अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था और पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख में विभाजित कर दिया था.

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(इस खबर को The Hindkeshariटीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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