सुब्रत रॉय के निधन के बाद SEBI के पास पड़ी 25,000 करोड़ रुपये से अधिक की अवितरित धनराशि पर चर्चा शुरू
नई दिल्ली:
सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय के निधन के बाद पूंजी बाजार नियामक सेबी (SEBI) के खाते में पड़ी 25,000 करोड़ रुपये से अधिक की अवितरित धनराशि फिर से चर्चा का विषय बन गई है. लंबे समय से बीमार रॉय का मंगलवार रात मुंबई में निधन हो गया. वह 75 वर्ष के थे. रॉय को अपने समूह की कंपनियों के संबंध में कई विनियामक व कानूनी लड़ाइयों का सामना करना पड़ा. इनमें पोंजी योजनाओं में नियमों को दरकिनार करने का आरोप भी शामिल है. हालांकि, उनके समूह ने हमेशा इन आरोपों को खारिज किया है.
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SEBI ने पहले दिया था आदेश
पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने 2011 में सहारा समूह की दो कंपनियों सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसआईआरईएल) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसएचआईसीएल) को वैकल्पिक रूप से पूर्ण परिवर्तनीय बांड (ओएफसीडी) के रूप में पहचाने जाने वाले कुछ बांडों के जरिए करीब तीन करोड़ निवेशकों से जुटाए गए धन को वापस करने का आदेश दिया था.
दो कंपनियों ने वापस किए थे 138.07 करोड़ रुपये
इसके बाद सहारा को निवेशकों को धन लौटाने के लिए SEBI के पास अनुमानित 24,000 करोड़ रुपये जमा करने को कहा गया. हालांकि समूह लगातार यह कहता रहा कि उसने पहले ही 95 प्रतिशत से अधिक निवेशकों को प्रत्यक्ष रूप से भुगतान कर दिया है. पूंजी बाजार नियामक की नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने सहारा समूह की दो कंपनियों के निवेशकों को 11 वर्षों में 138.07 करोड़ रुपये वापस किए.
इस बीच पुनर्भुगतान के लिए विशेष रूप से खोले गए बैंक खातों में जमा राशि बढ़कर 25,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है. सहारा की दो कंपनियों के अधिकतर बांडधारकों ने इसको लेकर कोई दावा नहीं किया और कुल राशि पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में करीब सात लाख रुपये बढ़ गई, जबकि सेबी-सहारा पुनर्भुगतान खातों में इस दौरान शेष राशि 1,087 करोड़ रुपये बढ़ गई.
वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, SEBI को 31 मार्च, 2023 तक 53,687 खातों से जुड़े 19,650 आवेदन प्राप्त हुए. इनमें से 48,326 खातों से जुड़े 17,526 आवेदनों के लिए 138.07 करोड़ रुपये की कुल राशि लौटाई गई, जिसमें 67.98 करोड़ रुपये की ब्याज राशि भी शामिल है. शेष आवेदन सहारा समूह की दोनों कंपनियों द्वारा उपलब्ध कराई जानकारी के जरिए उनका कोई पता नहीं लग पाने के कारण बंद कर दिए गए.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)