लोकसभा में कल होगी वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा, जानिए कौन सा दल किस गठबंथन के साथ

नई दिल्ली:
वक्फ संशोधन बिल दो अप्रैल को दोपहर 12 बजे लोकसभा में पेश किया जाएगा. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस बिल पर चर्चा के लिए आठ घंटे का समय निर्धारित किया है. वहीं विपक्ष 12 घंटे चर्चा की मांग कर रहा है. इसे देखते हुए चर्चा के हंगामेदार रहने की संभावना है. अब सरकार फ्लोर मैनेजमेंट में लग गई है. दोनों सदनों में इस बिल का पास कराने में सरकार को शायद ही कोई दिक्कत पेश आए. आइए जानते हैं कि इस बिल का समर्थन कौन से दल कर रहे हैं और कौन से दल इसके विरोध में हैं.
वक्फ बिल का सफर
संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री किरेन रिजिजू ने पिछले साल आठ अगस्त को इस बिल को लोकसभा में पेश किया था. उस समय इस बिल को लेकर विपक्ष ने काफी हंगामा किया था. इसके बाद लोकसभा प्रमुख ने बिल को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेज दिया गया था. इस जेपीसी के प्रमुख हैं, बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल.इस समिति ने एनडीए के घटक दलों की ओर से पेश 14 संशोधनों के साथ अपनी रिपोर्ट संसद में पेश की थी.वहीं विपक्ष की ओर पेश 44 संशोधनों को खारिज कर दिया गया था. जेपीसी की रिपोर्ट के आधार पर संशोधित बिल को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है.
लोकसभा का गणित
लोकसभा में इस समय 542 सदस्य हैं. लोकसभा में बीजेपी सबसी बड़ी पार्टी है.उसके 240 सदस्य हैं. उसे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल दलों का समर्थन हासिल है. इस समय एनडीए में शामिल दलों के लोकसभा में कुल 293 सदस्य हैं. इनमें टीडीपी और जेडीयू जैसे दल हैं, जिनके सदस्यों की संख्या दहाई के अंक में हैं. लोकसभा में एनडीए में शामिल दलों के कुल 293 सदस्य हैं.
इसी तरह वक्फ संशोधन बिल का विरोध कर रहे दलों के सदस्यों की संख्या करीब 245 है. इन दलों में मुख्यतौर पर इंडिया गठबंधन में शामिल दल हैं. कांग्रेस इस गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी है. लोकसभा में कांग्रेस के 99 सदस्य हैं. कांग्रेस के अलावा केवल सपा और तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों की ही संख्या दहाई में है. लोकसभा में सपा के 37 तो तृणमूल कांग्रेस के 28 सदस्य हैं. विपक्षी गठबंधन में उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी भी शामिल है. उद्धव ठाकरे की शिवसेना के नौ और शरद पवार की एनसीपी के आठ सदस्य हैं. इस तरह विपक्षी खेमे में करीब 245 सदस्य हैं.
लोकसभा में किसके पक्ष में है नंबर गेम
इनके अलावा कुछ निर्दलीय हैं, जो न तो सत्तारूढ़ एनडीए में शामिल हैं और न ही विपक्षी इंडिया गठबंधन में. इन लोगों ने अभी तक यह साफ नहीं किया है कि वो इस बिल के समर्थन में हैं या विरोध में. ऐसे में बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए के पास बहुमत के लिए जरूरी 272 से अधिक 293 सदस्यों का समर्थन हासिल है.
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