डेमचोक और देपसांग में डिसइंगेजमेंट पूरा, पीछे हटी भारत-चीन की सेना : सूत्र
नई दिल्ली/लद्दाख:
पूर्वी लद्दाख सीमा पर देपसांग और डेमचोक पॉइंट से डिसइंगेजमेंट (सेनाओं के पीछे हटने की प्रक्रिया) पूरा हो चुका है. रक्षा सूत्रों के मुताबिक, दोनों पॉइंट से भारत-चीन के सेनाओं की टुकड़ी की पूरी तरह से वापसी हो चुकी है. गुरुवार को दीपावली के दिन सैनिकों में मिठाइयां बांटी जाएंगी. इसके बाद जल्द ही इन दोनों पॉइंट पर भारतीय सेना पेट्रोलिंग शुरू करेगी. इस दौरान लोकल कमांडर लेवल की बातचीत चलती रहेगी. इससे पहले एक बयान में रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि भारत और चीन 28-29 अक्टूबर तक LAC पर सैन्य वापसी की प्रक्रिया पूरी कर लेंगे.
देपसांग और डेमचोक से पीछे हटने की जानकारी 18 अक्टूबर को सामने आई थी. इसमें बताया गया था कि यहां से दोनों सेनाएं अप्रैल 2020 से पहली की स्थिति में वापस लौटेंगी. साथ ही उन्हीं क्षेत्रों में गश्त करेंगी, जहां अप्रैल 2020 से पहले किया करती थीं.
भारत और चीन की सेनाएं शुक्रवार 25 अक्टूबर से पूर्वी लद्दाख सीमा से पीछे हटनी शुरू हुई थीं. डेमचोक और देपसांग पॉइंट में दोनों सेनाओं ने अपने अस्थायी टेंट और शेड हटा लिए. बख्तरबंद गाड़ियां और मिलिट्री डिवाइसेस भी पीछे ले जाए गए. पहले दिन 40 से 50% डिसइंगेजमेंट हुआ. इसके बाद मंगलवार तक 90% डिसइंगेजमेंट पूरा हो चुका था. बुधवार को देपसांग और डेमचोक पर डिसइंगेजमेंट का काम पूरा हो गया.
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डिसइंगेजमेंट के लिए भारत और चीन के लोकल कमांडर हर सुबह हॉटलाइन पर बात करते रहे. इसमें तय किया जाता था कि हर दिन कौन सी प्रक्रिया करनी है. फिलहाल आपसी विश्वास और भरोसे के आधार पर ये काम किया जा रहा है.
गलवान घाटी और गोगरा हॉट स्प्रिंग्स अभी नहीं शुरू होगी गश्त
LAC पर तनाव कम करने को लेकर हुए समझौते में डेमचॉक के गलवान घाटी और गोगरा हॉट स्प्रिंग्स में गश्त को लेकर कुछ नहीं कहा गया है. यानी यहां अभी न तो डिस इंगेजमेंट होगा और न ही पेट्रोलिंग शुरू हो सकेगी.
भारत-चीन के बीच क्या है सीमा विवाद?
-पूर्वी लद्दाख में 7 ऐसे पॉइंट हैं, जहां चीन के साथ टकराव की स्थिति रहती है. ये हैं पेट्रोलिंग पॉइंट 14 यानी गलवान, 15 यानी हॉट स्प्रिंग, 17A यानी गोगरा, पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण छोर, डेपसांग प्लेन और डेमचॉक में चारदिंग नाला हैं, जहां तनाव रहता है.
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-अप्रैल 2020 में चीन ने एक सैन्य अभ्यास के बाद पूर्वी लद्दाख के 6 इलाकों में अतिक्रमण किया था. 2022 तक 4 इलाकों से चीन की सेना पीछे हट गई. दौलत बेग ओल्डी और डेमचॉक पर भारतीय सेना को पेट्रोलिंग नहीं करने दी जा रही थी.
-अप्रैल 2020 से पहले सैन्य अभ्यास के नाम पर चीनी सेना हजारों की तादाद में सीमा पर जमा हो गई. जवाबी कार्रवाई में भारतीय सेना ने भी तैनाती की. जून 2020 में गलवान में चीनी सैनिकों और भारतीय जवानों के साथ खूनी झड़प हुई. इस दौरान भारत के 20 जवान शहीद हो गए. जबकि चीन के इससे भी दोगुनी संख्या में सैनिक मारे गए थे. हालांकि, चीन ने सिर्फ 3 सैनिकों के मारे जाने की बात मानी थी.
-फिर कई दौर की बातचीत के बाद सितंबर 2022 में गोगरा और हॉट स्प्रिंग पर डिसएंगेजमेंट की सहमति बन चुकी थी, जिसके तहत चीन की सेना वहां से पीछे हट गई थी. फिर दो अहम पॉइंट डेपसांग, डेमचॉक बचे रह गए थे. इनपर 21 अक्टूबर को डिसएंगेजमेंट पर सहमति बनी है.
बफर जोन कहां हैं?
दो साल पहले पैंगोग एरिया यानी फिंगर एरिया और गलवान के पीपी-14 से डिसइंगेजमेंट हुआ. फिर गोगरा में पीपी-17 से सैनिक हटे और फिर हॉट स्प्रिंग एरिया में पीपी-15 से. पीपी यानी पेट्रोलिंग पॉइंट. यहां अभी बफर जोन बने हैं. उनमें न तो भारत के सैनिक पेट्रोलिंग कर रहे हैं ना चीन के. सूत्रों के मुताबिक, इन पेट्रोलिंग पॉइट पर भी फिर से पेट्रोलिंग शुरू करने को लेकर बातचीत चल रही है.
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PM मोदी ने जिनपिंग से कहा था-आपसी भरोसा जरूरी
बता दें कि रूस के कजान शहर में 16वें BRICS समिट से इतर बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात हुई थी. जिनपिंग से मुलाकात के बाद PM मोदी ने फिर से शांति की बात दोहराई थी. उन्होंने कहा, “LAC पर शांति-स्थिरता हमारी प्राथमिकता है. इसके लिए आपसी भरोसा और सम्मान हमारे लिए जरूरी है. मुझे विश्वास है कि हम आगे भी खुले मन से चर्चा करेंगे. हमारी चर्चा कंस्ट्रक्टिव होगी.”
PM मोदी ने कहा, “हम 5 साल बाद औपचारिक रूप से बैठक कर रहे हैं. पिछले 4 सालों में सीमा पर पैदा हुई. समस्याओं पर जो सहमति बनी है, उसका हम स्वागत करते हैं. सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए.”
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