डीएनडी फ्लाई ओवर टोल फ्री रहेगा, सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को रखा बरकरार
DND टोल प्लाजा को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट डीएनडी फ्लाइवे को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को ही बरकरार रखने का फैसला किया है. शुक्रवार को इस मामले में हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने विशेष टिप्पणी करते हुए कहा है कि संबंधित कंपनी ने डीएनडी फ्लाइवे के निर्माण पर हुए रिटर्न, ब्याज और लागत वसूल कर ली है. ऐसे में अब वे और पैसे वूसलने के हकदार नहीं हैं.
आपको बता दें कि वर्ष 2016 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिल्ली को नोएडा से जोड़ने वाले डीएनडी फ्लाइवे पर बने टोल बूथ से पैसे वसूलने पर रोक लगा दी थी. कोर्ट ने उस दौरान फैसला सुनाते हुए कहा था कि डीएनडी पर अब अवैध वसूली हो रही है. अदालत ने उस दौरान सरकार से भी कहा था कि वो यहां से अब टोल वसूले जाने पर तुरंत रोक लगाए. आपको बता दें कि इस उस दौरान इलाहाबाद हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने चार साल की सुनवाई के बाद ये फैसला सुनाया था.
डीएनडी क्या है और इससे जुड़ा मसला है क्या?
- डीएनडी एक फ्लाइवे है जो दिल्ली से नोएडा को जोड़ता है.
- 2001 में इसपर सबसे पहले वाहनों की आवाजाही शुरू हुई थी.
- इस फ्लाइवे से गुजरने वाले वाहनों से शुरू से ही टोल वसूला जा रहा था.
- 2012 में पहली बार मांग उठी की जिस कंपनी के पास टोल वसूलने का अधिकार है वो लागत से ज्यादा टोल वसूल चुका है. ऐसे ेमें अब टोल वसूलना बंद करना चाहिए.
- मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट गया. जहां चाल साल की सुनवाई के बाद कोर्ट ने इसपर फैसला दिया.
- कोर्ट ने कहा कि चुकि कंपनी अपनी लागत तक पैसे वसूल चुकी है लिहाजा अब इस फ्लाइवे को टोल फ्री कर दिया जाए.
- इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुनाते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा.
लागत से ज्यादा टोल वसूलने पर कोर्ट ने दिया था आदेश
इलाहाबाद हाई कोर्ट सुनवाई के बाद कहा था कि इस फ्लाइवे को बनाने में कंपनी को जितनी लागत आई थी अब वह उसके कहीं ज्यादा पैसे की वसूली कर चुका है. ऐसे में अब यहां से टोल प्लाजा को हटाना जरूरी है. इस आदेश के बाद से ही डीएनडी पर किसी तरह का टोल वसूलना बंद कर दिया गया था.
2012 में दायर की गई थी याचिका
आपको बता दें कि डीएनडी पर वर्ष 2001 में वाहनों की आवाजाही शुरू हुई थी. इसको बनाने के लिए नोएडा प्राधिकरण और नोएडा टोल ब्रिज कंपनी के बीच समझौता हुआ था. इस समझौते के तहत कंपनी को मिलने वाले 20 फीसदी मुनाफे समेत कई ऐसे बिंदू थे जिससे संबंधित कंपनी को सबसे ज्यादा फायदा हो रहा था. डीएनडी को टोल फ्री करने के लिए सबसे पहले 16 नवंबर 2012 को इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. साथ ही इस याचिका में तुरंत प्रभाव से टोल वसूलने पर रोक लगाने की भी बात की गई थी. हाई कोर्ट में सुनवाई की गति धीमी होने के कारण याचिकाकर्ता ने बाद में 26 अप्रैल 2016 को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.