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"जल्दीबाजी ना करें" : लखनऊ में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पर SC ने 4 मार्च तक लगाई रोक

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को लखनऊ के अकबर नगर में व्यावसायिक दुकानों में तोड़फोड़ की कार्रवाई पर 4 मार्च तक रोक लगा दी. साथ ही शीर्ष इन दुकानों के पीछे स्थित रिहायशी इलाके पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के आदेश आने तक कोई कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया. लेकिन सरकारी जमीन पर कब्जे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर सवाल उठाए हैं. जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि सरकार की ओर से भी विफलता है. लगभग सभी मौकों पर जमीन सरकार के पास होती है, इस वजह से कीमतें बहुत ऊंची होती हैं. 

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अदालत ने पूछा कि दिल्ली में इतनी सारी अनधिकृत कॉलोनियां क्यों हैं?

अदालत ने पूछा कि दिल्ली में इतनी सारी अनधिकृत कॉलोनियां क्यों हैं? क्योंकि डीडीए ऐसा करने में सक्षम नहीं था. हमें इसे स्वीकार करना होगा.दरअसल मामले का उल्लेख करने बाद जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले पर सुनवाई करते हुए पाया कि दुकानदार यह मान रहे हैं वह जमीन उनकी नहीं हैं.  पीठ ने कहा कि जब आप मान रहे हैं कि वे जमीनें सरकार की है तो आप उस पर कैसे कब्जा कर सकते हैं.

अदालत ने दुकानदारों को दुकानों से अपना सामान निकालने के लिए चार मार्च रात 12 बजे तक का समय दिया है. पीठ ने कहा है कि इसके बाद लखनऊ विकास प्राधिकरण(एलडीए) ढहाने की कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होगा. 

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कब्जेदारों की याचिका खारिज कर दी थी

27 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कब्जेदारों की याचिका खारिज कर दी जिससे एलडीए के लिए अवैध प्रतिष्ठानों को ध्वस्त करने का रास्ता साफ हो गया था. हाईकोर्ट के आदेश के बाद एलडीए ने मंगलवार शाम से ही विध्वंस प्रक्रिया शुरू भी कर दी थी. एलडीए की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल(एएसजी) केएम नटराज ने बताया कि अब तक 23 व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को विध्वंस किया जा चुका है. 

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वहीं सरकारी भूमि पर आवासीय संपत्तियों के विध्वंस से संबंधित एक अन्य याचिका से निपटते हुए पीठ ने निर्देश दिया कि हाईकोर्ट का फैसला सुनाए जाने तक कोई भी विध्वंस कार्रवाई नहीं होनी चाहिए. इस मामले में हाईकोर्ट ने हाल ही में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. दरअसल ये आवासीय संपतियां, उन दुकानों के पीछे का हिस्सा हैं जिन्हें हाईकोर्ट ने ढहाने का आदेश दिया था.  

अतिक्रमण हटाने में न हो जल्दबाजी

पीठ ने एएसजी नटराज से सख्ती से कहा, “उनमें से कई गरीब लोग हैं कोई भी जल्दबाजी वाली कार्रवाई न करें. हाईकोर्ट का फैसला सुनाए जाने तक प्रतीक्षा करें. जस्टिस खन्ना ने मानवीय दृष्टिकोण का आह्वान किया. उन्होंने पुनर्वास के संबंध में विशेष रूप से अधिक मानवीय दृष्टिकोण का आह्वान किया.  एएसजी से उन्होंने कहा कि आपको शायद कुछ मौद्रिक लाभ भी देना होगा, जैसा कि दिल्ली मामले में किया गया था. नटराज ने बताया कि उन्होंने अतिक्रमण किया है, खासकर नदी तल पर.

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