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Parliament Session: ट्रकों के पीछे लिखी शायरी से जवाब न दें… राज्यसभा में ऐसा क्यों बोले RJD सांसद मनोज झा

Parliament Session: बुधवार को संसद के बजट सत्र की चर्चा के दौरान राज्यसभा में राजद सांसद मनोज झा ने कुछ ऐसा कहा जो अब चर्चा में है. राज्यसभा सांसद मनोज झा ने एक बड़े गंभीर मुद्दे पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसका जवाब पूरी गंभीरता से दिया जाना चाहिए, न कि ट्रकों के पीछे लिखी सस्ती शायरी से. आखिर क्या है पूरा मामला जानिए इस रिपोर्ट में. मामला EPIC (Electors Photo Identity Card) से जुड़ा है. दरअसल बुधवार को मनोज झा ने सदन में डुप्लीकेट EPIC कार्ड से जुड़ा सवाल उठाया. 

फ्री और फेयर इलेक्शन पर राजद सांसद के सवाल

मनोज झा ने कहा, यह एक ऐसा प्रश्न है, जो बीते कुछ सालों से आम अवाम के साथ-साथ राजनीतिक दलों को उद्वेलित कर रहा है. आर्टिकल 324 की जब रचना हो रही थी तब संविधान सभा की बैठकों में कई तरह के सुझाव आए. कई तरह की शंकाएं भी जाहिर की गई. इसके मद्देनजर आर्टिकल 324 में फ्री और फेयर इलेक्शन की बात कही गई. 

मनोज झा ने आगे कहा, “फ्री और फेयर इलेक्शन महज एक खोखली इबारत नहीं है. इसके पीछे भाव है, दर्शन है. हाल के दिनों में EPIC कार्ड के कारण जो चीजें हो रही है, वो सबके लिए चिंता की बात है. राज्यों के सीमाई इलाकों में लाखों की संख्या में डुप्लीकेट कार्ड पाए गए हैं. जिससे फेयर इलेक्शन की बात प्रभावित हो रही है.” 

EPIC कार्ड के पहले तीन क्यों हो रहे रिपीट

मनोज झा ने फिर कहा- EPIC कार्ड के पहले तीन अक्षर एसेंबली को डिनोट करते है. लेकिन ऐसा पाया गया है कि उन्हीं तीन नंबरों की राज्य के दूसरे क्षेत्रों में पुनरावृति होती है. अलग-अलग राज्यों में भी ऐसा होता है. यह संसद लोकतंत्र की इमारत की है. लोकतंत्र चुनाव से जिंदा है.  चुनाव की प्रक्रिया में यदि फ्रॉड हो तो लोकतंत्र नहीं बचेगा. 

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मनोज झा ने EPIC कार्ड से जुड़े मामले में उपसभापति के जरिए चुनाव आयोग से मांग भी की. उन्होंने कहा कि तुरंत ये तय हो कि EPIC कार्ड स्टैंड क्या है? इस बात की जांच हो कि यह फ्रॉड कहां से हो रहा है? 

साथ ही मनोज झा ने आगे कहा कि चुनाव आयोग वोटल डिलिशन, न्यू एडिशन और मॉडिफिकेशन का सेपरेट लिस्ट तैयार करें. अपने संबोधन के अंत में मनोज झा ने कहा कि सर यह गंभीर सवाल है. इसका जवाब सस्ती शायरी नहीं हो सकती. इस गंभीर सवाल का जवाब पूरी गंभीरता से दिया जाना चाहिए. ना कि ट्रकों के पीछे लिखे सस्ती शायरियों से.

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