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न्यूजीलैंड को हल्के में न लें आप

दुबई में रविवार को होने वाले चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल के लिए भारत और न्यूजीलैंड अपनी अपनी रणनीति बना रही है. भारत को एक बात का फायदा है कि वह टूर्नामेंट के शुरूआत से ही दुबई में है और उसे वहां की पिच पर खेलने का अनुभव हो गया है. हालांकि, फाइनल की पिच कौन सी होगी और कैसा व्यवहार करेगी यह किसी को नहीं मालूम. न्यूजीलैंड ने दुबई में एक ही मैच खेला है. भारत के खिलाफ जिसे वो हार चुके हैं और अब फाइनल में भारत और न्यूजीलैंड एक बार फिर भिड़ रहे हैं. 25 साल पहले यानी 2000 चैंपियंस ट्रॉफी के फाइल में भारत और न्यूजीलैंड का आमना सामना हो चुका है, जहां पर न्यूजीलैंड को जीत मिली थी. सौरव गांगुली उस वक्त भारतीय टीम के कप्तान थे और न्यूजीलैंड के स्टीफन फ्लेमिंग. मैन ऑफ मैच थे क्रिस केर्यन्स. बहरहाल, इस बात को पच्चीस साल होने को आए मगर उसका बदला तो बनता ही है इस बार दुबई में.

अब बात करते हैं दोनों टीमों की .वैसे जानकार भारत को बेहतर बता रहे हैं मगर न्यूजीलैंड भी 19 नहीं है .जहां तक तेज गेंदबाजी की बात है भारत के शमी और हार्दिक के मुकाबले न्यूजीलैंड के मैट हेनरी,विल ओ रूकी और जेमीसन भारी ही पड़ते हैं.लंबे तगड़े खिलाड़ियों तेज गति से ऊंचाई से आती गेंद भारतीय बल्लेबाजों को मुश्किल में डाल सकते हैं..वहीं, स्पिन गेंदबाजी की बात करें, तो भारत के पास वरुण चक्रवर्ती सब पर भारी है और साथ में अक्षर,कुलदीप,जडेजा भी हैं. मगर भी न्यूजीलैंड इस मामले बहुत पीछे नहीं है. उसके कप्तान मिचेल सैंटनर बेहतरीन गेंदबाजी कर रहे हैं.उनका साथ देने के लिए ब्रेसवेल,ग्लेन फिलिप्स और रचिन रवींद्र भी है.कुल मिला कर दुबई में ये स्पिन अटैक न्यूजीलैंड के लिए अच्छा काम कर सकती है.

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अब आते हैं फल्डिंग यानी क्षेत्ररक्षण पर. उनके पास ग्लेन फिल्पिस है जो गाहे बगाहे जोंटी रोड्स की याद दिलाते हैं. उन्होंने हाल के दिनों में और इस टूर्नामेंट में भी कमाल के कैच पकड़े हैं. न्यूजीलैंड की कोशिश रहेगी कि वो भारत को नजदीक में एक रन देने से रोके और यहीं पर रन आउट के भी चांस बनते हैं. न्यूजीलैंड मैदान में कम से कम तीस से चालीस रन तो जरूर रोकता है और यही बाद में जीत का अंतर रह जाता है. दुबई का मैदान काफी बड़ा है एक यो दो कैच मैच या रन आउट मैच का रुख बदल सकते हैं.

अब बात करते हैं बैटिंग की  न्यूजीलैंड के पास केन विलियमसन हैं जो विराट कोहली की तरह एक छोड़ पर खड़े रह कर टीम को आगे ले जाते हैं. शुरूआत में बिल यंग और रचिन रवींद्र हैं और दोनों शानदार फार्म में हैं. दोनों ने टूर्नामेंट में शतक लगाया है, फिर केन विलियमसन आते हैं जो पूरे चालीस ओवर तक टिकने का प्लान बना कर आते हैं एक या दो रन ले कर खेल को आगे चलाते रहते है. उनके बाद  डेरेम मिचेल, टॉम लेथम और ग्लेन फिलिप्स हैं और जरूरत पड़ी तो सेंटनर भी लंबे छक्के लगा लेते हैं. कहने का मतलब है कि अभी तक के प्रदर्शन के आधार पर दोनों टीमें करीब करीब बराबर हैं.

भारत को लगातार दुबई में खेलने का फायदा मिल सकता है मगर फाइनल में वही टीम जीतेगी, जिसकी टीम में से कम से कम एक खिलाड़ी शानदार खेल दिखाए,वो खिलाड़ी रोहित भी हो सकते हैं या फिर विराट या शुभमन या फिर वरुण चक्रवर्ती या कोई गेंदबाज. कहने का मतलब है रविवार को जो पचास ओवर को उसी अंदाज में खेलेगा जिस तरह विराट या केन विलियमसन खेलते हैं, हड़बड़ी में या खराब शार्ट मार कर विकेट नहीं गवांएगा और अपने जोश और होश पर काबू रखेगा जीत उसी की होगी.

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मनोरंजन भारती The Hindkeshariइंडिया में मैनेजिंग एडिटर हैं…

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.

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