देश

कोलकाता रेप मर्डर के विरोध में डॉक्टर्स का प्रदर्शन, एम्स दिल्ली में इलाज को तरसे मरीजों ने बयां किया दर्द


नई दिल्ली:

पश्चिम बंगाल (West Bengal) के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (RG Kar Medical College & Hospital) में ट्रेनी महिला डॉक्टर से रेप के बाद हुई हत्या की घटना ने सभी को झकझोर के रख दिया है. घटना के बाद से पूरे देश भर के जूनियर डॉक्टर सड़क पर है और वो अब चिकित्सकों की सुरक्षा के लिए सरकार से सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट  (Central Protection Act) लागू करने की मांग कर रहे हैं. वहीं, जूनियर डॉक्टरों के स्ट्राइक और प्रदर्शन करने से मरीजों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

डॉक्टरों की हड़ताल से इलाज के लिए भटक रहे मरीज

डॉक्टरों के स्ट्राइक के दौरान भले ही आपात सेवा (Emergency Service) चालू है लेकिन ओपीडी (OPD) और इलेक्ट्रिव सर्जरी (Elective Surgery) बंद होने से मरीज परेशान हैं. बिहार के मुजफ्फरपुर से आए उमेश शाह ने बताया, “3 दिन से आए हैं. लेकिन यहां बताया गया कि सिर्फ पुरानी पर्ची लगेगी, नई पर्ची नहीं लगेगी (यानी जो पहली बार आया है उसको नहीं देखा जा रहा है).”

मरीज के साथ आए एक अन्य परिजन ने कहा, “एंजियोग्राफी कराने आए थे लेकिन कहा गया कि हार्ट अटैक है, एडमिट कर लिया है लेकिन 48 घंटे से ऊपर हो गया है अब तक कोई भी रिस्पांस है नहीं.  पेशंट भी होश में नहीं आया है.”

उमेश शाह के साथ आए जय नाथ शाह ने कहा, “मुझे नस में दिक्कत है. लेकिन कोई डॉक्टर यहां देखने को तैयार नहीं है. जबकि उमेश ने कहा, “यहीं एम्स के पास कमरा लिया है. हजार रूपए उसका भाड़ा है, वहां से एम्स तक आने-जाने में दिनभर का किराया करीब 350 रूपए लग जाता है. जब से आए हैं हर दिन हजार रुपए खर्चा है, पर हमारी सुनवाई कोई नहीं है. रोज कहते हैं आज हो जाएगा….3 दिन से यही स्ट्राइक चल रही है. हम बहुत परेशान हैं. ” “यहां मरीज के साथ भी दो लोग साथ में आते हैं, एक मरीज की देखभाल करने के लिए और दूसरा अस्पताल में कुछ और जरूरत लगे उसके लिए, लेकिन मरीज के साथ आने वालों के लिए कोई सुविधा नहीं है.”

यह भी पढ़ें :-  "गवाह को प्रभावित करने की कोशिश चल रही है...", मुहआ मोइत्रा पर बीजेपी MP निशिकांत दुबे ने लगाया आरोप

AIIMS के बाहर सड़क पर सो रहे मरीज

बिहार के बक्सर से आई एक महिला ने कहा, “मेरी 12 साल की बेटी के पैर में दिक्कत है, वो ठीक से चल नहीं सकती है. मैं अपने पति के साथ बेटी को लेकर आई हूं. लेकिन डॉक्टरों के स्टाइक की वजह से अब तक दिखा नहीं पाई हूं. हम पिछले 6 दिनों से एम्स के बाहर सड़क पर रह रहे हैं. हमारे पास इतना पैसा नहीं है कि दिल्ली में जाकर रह सकें. शाम को कुछ लोग आते हैं, खाना बांटते हैं तो खा लेते हैं नहीं तो रेहड़ी की दुकानों से खाना खरीदते हैं.

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से आए राकेश ने कहा कि उनके भाई को दिमाग में दिक्कत आ गई है. कंडीशन कुछ ठीक नहीं है. चार दिन से परेशान है लेकिन सुनवाई नहीं है. इसलिए एम्स के बाहर सड़क पर रात गुजार रहे हैं.

“अगले दिन के लिए एक दिन पहले लाइन में लगना पड़ता है”

दिल्ली के 79 साल निवासी एक मरीज ने बताया, “एम्स में सुविधा बहुत है. इलाज भी बेहतर है, लेकिन डॉक्टरों की स्ट्राइक से परेशानी बढ़ गई है.” उन्होंने ने कहा कि नंबर की वजह से पिछले एक हफ्ते से यहीं पूरा समय गुजर रहा है. “शाम को चार बजे यहां आकर लगते हैं तब जाकर अगले दिन के लिए नंबर मिल पाता है. लेकिन एक हफ्ते से वो भी संभव नहीं है.”

कुछ लोगों ने ये भी बताया कि ऑनलाइन नंबर 12 साल से ऊपर वाले मरीज का लगता है, ऐसे में अगर मरीज की उम्र उससे कम है तो उसको लाइन में लगकर ही पर्ची बनवानी पड़ती है. कुल मिलाकर जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल से मरीज परेशान हैं और वो चाहते हैं कि जल्द से जल्द स्ट्राइक खत्म हो.

यह भी पढ़ें :-  "दखल नहीं दे सकते...": खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत पन्नू हत्या साजिश मामले में निखिल गुप्ता को SC से राहत नहीं

ये भी पढ़ें : “ये घटना स्थानीय प्रशासन की विफलता”: RG कर कॉलेज में हुई तोड़फोड़ पर कलकत्ता HC ने प्रशासन को लगाई फटकार


Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button