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डॉक्टरों ने पुणे वाले नाबालिग का ब्लड सैंपल कूड़े में फेंक दिया, सड़क से अस्पताल तक यह कैसा सिस्टम है?


नई दिल्‍ली:

पुणे के पोर्शे हिट एंड रन केस (Pune Porsche Case) में हर गुजरते दिन के साथ चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं और सामने आ रहे नए तथ्‍य कई सवाल खड़े कर रहे हैं. सबसे ताजा और चौंकाने वाला सवाल है कि आखिर अस्‍पताल का यह कैसा सिस्‍टम है, जहां नाबालिग का ब्‍लड सैंपल कूड़े में फेंक दिया जाता है. पुलिस ने नाबालिग की ब्लड रिपोर्ट के साथ छेड़छाड़ करने के आरोप में दो डॉक्टरों और एक चपरासी को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस के मुताबिक, डॉक्‍टरों ने नाबालिग के ब्‍लड सैंपल को कूड़े में फेंक दिया और उसकी जगह किसी और का ब्‍लड सैंपल फोरेंसिक लैब को भेजा गया. पुलिस ने ससून अस्पताल के डॉ. अजय तावड़े और डॉ. हरि हरनोर को पुणे क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया है. इस मामले में दो लोगों अनीश अवधिया और अश्विनी कोस्‍टा की मौत हो गई थी. 

पुणे के पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने बताया कि अस्पताल में लिए गए और फोरेंसिक टेस्ट के लिए भेजे गए ब्लड सैंपल आरोपी नाबालिग के नहीं थे. इसका मतलब सैंपल बदल दिए गए.

पुणे के पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने बताया, “19 मई को सुबह करीब 11 बजे ससून अस्पताल में लिया गया ब्लड सैंपल (नाबालिग का) को कूड़ेदान में फेंक दिया गया और उसकी जगह किसी और का ब्लड सैंपल लिया गया और फोरेंसिक लैब भेजा गया. सीएमओ श्रीहरि हैलनोर ने ब्लड सैंपल को बदला था. हमने जांच में पाया कि ससून अस्पताल में फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के एचओडी अजय तावड़े के निर्देश पर श्रीहरि हल्नोर ने ऐसा किया.”

पुलिस ने जब्‍त किए दोनों डॉक्‍टरों के फोन 

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उन्‍होंने बताया कि दोनों डॉक्टरों के फोन जब्त कर लिए गए हैं. उन्‍होंने बताया कि जांच से पता चला है कि डॉ. तावड़े और नाबालिग आरोपी के पिता ने हादसे के दिन फोन पर बात की थी.

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पहले कुछ रिपोर्ट्स आई थीं, जिनमें दावा किया गया था कि नाबालिग की ब्लड रिपोर्ट में उसके शराब पीने की बात सामने नहीं आई है. हालांकि, उस रात वह जिन बारों में गया था उनमें से एक के सीसीटीवी फुटेज में उसे दोस्तों के साथ शराब पीते हुए देखा गया था.

शक के बाद करवाया गया था डीएनए टेस्‍ट 

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, नाबालिग के पहले ब्लड सैंपल में एल्कोहल नहीं आया था, लेकिन दूसरे में आया था. इसकी वजह से शक हुआ, जिसके बाद डीएनए टेस्ट करवाया गया. डीएनए रिपोर्ट में ये सामने आया कि ब्लड सैंपल अलग-अलग लोगों के थे, इसका मतलब नाबालिग के ब्लड सैंपल को किसी दूसरे व्यक्ति के सैंपल के साथ बदल दिया गया, ताकि उसकी रिपोर्ट में एल्कोहल का जिक्र ना आए.

300 शब्‍दों का निबंध लिखने का दिया था आदेश 

वहीं इस मामले में नाबालिग को 14 घंटे के अंदर जमानत मिल गई थी. पुलिस अधिकारियों ने नाबालिग आरोपी के जमानत को लेकर बताया था कि अदालत ने अपराध को इतना गंभीर नहीं माना कि जमानत से नहीं दी जा सके. अदालत ने शर्तों के साथ नाबालिग को जमानत दे दी थी.

अपने आदेश में अदालत ने नाबालिग को ‘सड़क दुर्घटनाओं के प्रभाव और उनके समाधान’ विषय पर 300 शब्दों का निबंध लिखने का आदेश दिया था. साथ ही 15 दिनों तक यातायात पुलिस के साथ काम करने, शराब छोड़ने के लिए नशामुक्ति केंद्र जाने के लिए भी कहा था. हालांकि बाद में किशोर न्याय बोर्ड ने अपने आदेश में संशोधन किया है और नाबालिग को 5 जून तक रिमांड होम भेज दिया गया.

… तो आज मेरा बेटा जीवित होता : अनीश अवधिया की मां 

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अश्विनी कोष्टा की मां ममता कोष्‍टा ने हादसे के बाद नाबालिग को जमानत मिलने पर कहा था, “यह क्या मजाक है? वह क्या निबंध लिखेगा? यह एक मजाक चल रहा है.” उन्होंने अश्विनी को “बहुत प्रतिभाशाली लड़की” बताया था और रोते हुए कहा था कि, “वह लाखों में एक थी. उसके बहुत सारे सपने थे.” 

अनीश अवधिया की मां सविता अवधिया भी The Hindkeshariसे बात करते हुए अपने आंसू नहीं रोक सकीं. उन्होंने कहा कि, “उसने मेरे बेटे को मार डाला. अब मैं अपने बेटे से कभी नहीं मिल पाऊंगा. यह लड़के की गलती है, आप इसे हत्या कह सकते हैं. अगर उसने इतनी बड़ी गलती नहीं की होती, तो कोई भी नहीं मरता. उसके परिवार के सदस्यों ने ध्यान दिया होता तो आज मेरा बेटा जीवित होता.”

पुलिस भी मरने वाली लड़की के भाई से ही करती रही सवाल 

वहीं इस मामले में पुणे पुलिस की कार्यशैली को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. अनीश अवधिया के परिवार ने इस मामले में पुलिस पर आरोपी के खिलाफ नरम रुख रखने का आरोप लगाया था. अनीश के भाई देवेश ने बताया कि जांच का अधिक समय इस पर लगा दिया कि अनीश अवधिया और अश्विनी कोस्टा के बीच क्या संबंध था.

देवेश का आरोप है कि पुलिस कथित तौर पर आरोपी का ध्यान रख रही थी और जन्मदिन की पार्टी के बारे में अनीश के दोस्तों से पूछताछ में जुटी थी. 

अनीश के छोटे भाई देवेश ने आरोप लगाया है कि यरवदा पुलिस स्टेशन के अधिकारियों ने आरोपी के खिलाफ नरम रुख रखा और जांच का अधिक समय अनीश अवधिया और अश्विनी कोस्टा के बीच क्या संबंध था, इसपर लगा दिया. 

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